रामदेव के बयान का उसी अंदाज में जवाब, सीएम तीरथ के चिकित्सक ने दी खुली बहस की चुनौती
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के चिकित्सक व जिला चिकित्सालय में तैनात वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट ने वैज्ञानिक और आध्यामिक आधार पर बाबा रामदेव के सवालों का जबाव दिया है।
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योगगुरु बाबा रामदेव के एलौपैथी पर दिए गए बयान और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से पूछे गए 25 सवालों के बाद एलौपैथिक चिकित्सकों में नाराजगी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के चिकित्सक व जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) में तैनात वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट ने इस संर्दभ में एक वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया है। इसमें उन्होंने वैज्ञानिक और आध्यामिक आधार पर बाबा रामदेव के सवालों का जबाव दिया है। साथ ही आयुर्वेद व योग पर किसी भी मंच पर खुली बहस की चुनौती दी है। वह भी संस्कृत भाषा में।
उत्तराखंड के देहरादून में जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) में तैनात डा. बिष्ट का कहना है कि उत्तराखंड स्वामी रामदेव की कर्मभूमि है, इसलिए उन्हें जबाव भी यहीं से मिलना चाहिए। यह अलग बात है कि इनमें ज्यादातर सवाल जबाव देने लायक भी नहीं हैं।
एलोपैथी का उड़ाया था मजाक
गौरतलब है कि आईएमए ने सोशल मीडिया पर उस वायरल वीडियो पर आपत्ति जताई थी, जिसमें रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘बेवकूफी भरा विज्ञान’ है। उन्होंने कहा था कि कोरोना के इलाज के लिए स्वीकृत रेमडेसिविर, फेवीफ्लू और ऐसी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों का इलाज करने में असफल रही हैं।
बाबा रामदेव मोबाइल से पढ़कर बोल रहे थे। उनके इस बयान ने जब तूल पकड़ा तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एलोपैथी के बारे में योग गुरु रामदेव के बयान को रविवार को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया था। साथ ही इसे वापस लेने को कहा था। इसके बाद कहा गया कि बाबा रामदेव ने अपना बयान वापस ले लिया।
फिर बाबा रामदेव ने फिर रंग बदला और ट्विटर अकाउंट में आइएमए को खुला पत्र जारी किया। उन्होंने आइएमए को चुनौती दी। साथ ही उनसे 25 सवाल पूछे और कई बीमारियों का स्थायी इलाज पूछा। अब उनके इस बयान से एक बार फिर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। गौरतलब है कि बाबा की ओर से एलोपैथ को लेकर दिए गए पूर्व के बयान पर उन्हें आइएमए ने नोटिस भी भेजा है।
डा. बिष्ट के जवाब
स्वामी रामदेव ने पूछा था कि यदि एलौपैथी सर्वशक्तिमान है तो फिर कोरोना से चिकित्सक मर क्यों रहे हैं। इस पर डॉ. बिष्ट ने जबाव दिया है कि एलौपैथी कोई पैथी नहीं बल्कि विज्ञान है। विज्ञान का न कोई सगा और ना ही पराया होता है। ना ही विज्ञान की कोई अपनी संस्कृति होती है। विज्ञान सभी के लिए बराबर है।
उन्होंने कहा कि डाक्टर भगवान नहीं, बल्कि इंसान हैं। अन्य इंसानों की तरह उनका शरीर भी उन्हीं कोशिकाओं से बना होता है, जो जीवाणु या विषाणु से संक्रमित हो सकती हैं। हां, स्वामी लोग ईश्वर पुरुष हैं और शायद अमर रह सकते हैं। पर डाक्टर कोरोना से जूझेंगे भी, मरेंगे भी और अपने मरीजों को बचाएंगे भी। उन्होंने व्यंग्य करते कहा है कि कोरोनाकाल में शायद स्वामी रामदेव के भक्त कम हो गए हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि चिकित्सक उनकी चर्चा करें।
ध्यान देना बंद कर देंगे चिकित्सक
उन्होंने कहा कि धनबल, लोकप्रियता आदि में वह बेशक हमसे काफी आगे हैं, लेकिन इस तरह की घुसपैठ का कोई फायदा उन्हें नहीं होने वाला। क्योंकि चिकित्सक थोड़े स्वार्थी होते हैं। उनका पहला स्वार्थ पेशा और दूसरा मरीज हैं। इस तरह की बातों के लिए उनके पास समय नहीं है। वह एकाध दिन गुस्सा जरूर होंगे और फिर सब भूल जाएंगे। आप फिर ऐसी कोई बात करेंगे तो वह वापस पलटकर भी नहीं देखने वाले। कुछ चिकित्सक आपको मानते भी होंगे तो वह अब ध्यान देना भी छोड़ देंगे।
रामदेव के पास दवा है तो अंधभक्तों को दें
इसी तरह स्वामी रामदेव के क्रूरता व हिंसा को लेकर पूछे गए सवाल पर डॉ. बिष्ट ने कहा है कि इसकी एलोपैथी में कोई दवा नहीं है। यदि आयुर्वेद में है तो उसका सबसे पहले प्रयोग स्वामी रामदेव व उनके अंधभक्तों पर किया जाना चाहिए। ताकि उन्होंने एलोपैथी से जुड़े चिकित्सकों पर जो जुबानी हिंसा की है उसका स्थाई इलाज हो सके। जिन बीमारियों के स्थाई समाधान की बात बाबा कर रहे हैं, यदि वह सही और प्रमाणिक हैं तो उन्हें नोबेल और विश्व के प्रथम नागरिक का दर्जा मिलना चाहिए। ऑक्सीजन सिलेंडर के बिना ऑक्सीजन बढ़ाने उपाय उन्होंने खोजे हैं। चांद व मंगल ग्रह पर कालोनी बनाने की जो बात की जा रही है, वहां स्वामी जी की मदद ले ली जाए।
पहले ऑक्सीजन की कमी को लेकर आया था बयान
इससे पहले भी बाबा रामदेव विवादों में आए। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बाबा रामदेव कह रहे थे कि-चारों तरफ ऑक्सीजन ही ऑक्सीजन का भंडार है, लेकिन मरीजों को सांस लेना नहीं आता है और वे नकारात्मकता फैला रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी है। रामदेव ने कहा था कि जिसका भी ऑक्सीजन स्तर गिर रहा है उसे ‘अनुलोम विलोम प्रामायाम’ और ‘कपालभाती प्राणायाम’ करना चाहिए। बाबा रामदेव की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के उपाध्यक्ष डॉ. नवजोत सिंह दहिया ने शनिवार को जालंधर पुलिस में केस दर्ज कराया और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।