यहां सरकार ने ही कर दिया लोगों का बुरा हाल, गोली खाकर भी नहीं आ रही है नींद
देहरादून में जहां एक तरफ लोग कोरोना कर्फ्यू के चलते घरों में कैद हैं, वहीं अब कुछ स्थानों पर लोगों की रात की नींद भी उड़ गई है। स्थिति है कि दवा खाने के बाद भी नींद नहीं आ रही है। ऐसे में अब पूर्व पार्षद एवं उत्तराखंड के अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा ने जिलाधिकारी देहरादून से गुहार लगाई है।
स्मार्ट सिटी के कार्य के चलते हो रही है दिक्कत
देहरादून में इन दिनों शहर में स्मार्ट सिटी के तहत कार्य चल रहा है। इसके तहत सड़कों की खुदाई हो रखी है। वैसे तो सड़कों में कोरोना कर्फ्यू के चलते ट्रैफिक ना के बराबर है, लेकिन धूल धक्कड़ से ऐसे स्थानों के आसपास रहने वाले परेशान रहते हैं। करीब छह माह से ज्यादा वक्त हो गया है और सड़कें जगह जगह खुदी पड़ी हैं।
देर रात तक चल रहा काम, लोगों की नींद हराम
अशोक वर्मा ने जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में बताया कि इन दिनों दर्शनलाल चौक पर काम चल रहा है। आसपास कई दर्जन परिवार के सौ से अधिक सदस्य इससे प्रभावित हो रहे हैं। कारण ये है कि ये काम दिन में तो ठीक है, लेकिन देर रात 12 बजे से बाद भी किया जा रहा है। इससे जेनरेटर और अन्य मशीनों की आवाज से सौ से अधिक लोगों की नींद उड़ी हुई है। इस कारण समस्त क्षेत्र में अशांति व्याप्त हो गई है।
उन्होंने कहा कि जहां एक और पूरा भारतवर्ष आज करोना के खौफ से अपने घरों में कैद है, वहीं दूसरी ओर स्मार्ट सिटी विभाग के कार्य करने के तरीके से आम जनता में गहरा आक्रोश व्याप्त होता जा रहा है। दिन में निर्माण कार्य के लिए कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन रात में इस प्रकार तीव्र ध्वनि के जनरेटर चलाकर क्षेत्र की शांति भंग किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता।
उन्होंने कहा कि सभी घरों में आजकल कहीं ना कहीं कोई ना कोई किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है। उन्होंने जिलाधिकारी सेअनुरोध किया कि अपने स्तर से स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें कि वे जन भावनाओं को ध्यान में रखकर देर रात तक शोर शराबा न करें।
अशोक वर्मा ने कहा कि शादियों में डीजे बजाने का समय 10 बजे रात्रि तक है। वहीं, सर्वोच्च न्यायलय के भी आदेश हैं कि ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग एक निहित समय सीमा तक ही होगा। साथ ही ध्वनि की मात्रा भी बहुत कम होगी। ऐसे में रात के 12 बजे तक जेनरेटर की आवाज से ध्वनि प्रदूषण कहां तक जायक है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।