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November 18, 2024

उत्तराखंडः केंद्र के हाथ खड़े, विदेश से मंगवाएंगे वैक्सीन, ऑक्सीन आपूर्ति सिस्टम लचर, कोरोना हराने को घर घर बटेगी दवा

उत्तराखंड भी लोगों के टीकाकरण के लिए विदेश से दवा खरीदने की योजना बना रहा है। फिलहाल अभी तक ये तय नहीं कि किस कंपनी की कौन सी दवा खरीदी जाएगी।

भारत में जिस तेजी से कोरोना का कहर बढ़ रहा है, उसे नियंत्रित करने में केंद्र सरकार ने तो लगता है हाथ खड़े कर दिए। अब राज्यों को उनके ही हाल में छोड़ दिया गया है। नतीजा ये है कि राज्यों के पास कोरोना की वैक्सीन समाप्ति की ओर है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। अब उत्तराखंड भी लोगों के टीकाकरण के लिए विदेश से दवा खरीदने की योजना बना रहा है। फिलहाल अभी तक ये तय नहीं कि किस कंपनी की कौन सी दवा खरीदी जाएगी। भले ही प्रदेश की पूरी आबादी का टीकाकरण न हो, लेकिन अब प्रदेश में घर घर जाकर हर व्यक्ति को कीड़े की दवा आइवर वैक्टीन खिलाई जाएगी। माना जा रहा है कि इस दवा को खाने वाले को कोरोना का जल्दी असर नहीं होता है। वहीं, उत्तराखंड में ऑक्सीजन की आपूर्ति की सिस्टम भी बेहत लचर और अजीबोगरीब है। यहां के प्लांट से चार राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। इसके विपरीत उत्तराखंड में तीन हजार किलोमीटर दूर से ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने प्रेस वार्ता में कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय किया है कि अब विदेशों से वैक्सीन आयात की जाएगी। इसके लिए कमेटी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में पांच सदस्य हैं। इसमें अपर सचिव युगल किशोर पंत, अरुणेश सिंह चौहान अपर सचिव, खजान सिंह पांडे राज्य वित्त सेवा अधिकारी, सुमंत शर्मा पीपीसी प्रकोष्ठ नियोजन प्रभाग उत्तराखंड शासन अधिकारी हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार से लगातार बात कर रहे हैं। जो वैक्सीन मिल रही है वो अपेक्षाकृत कम है। बताया गया कि भारत में इस महीने आठ करोड व जून में नौ करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी। हमें जनसंख्या के हिसाब से एक प्रतिशत वैक्सीन मिलती है। यानी इस मई माह में हमें केंद्र से आठ लाख और अगले माह जून में नौ लाख विक्सीन मिलेगी।
भारत सरकार के निर्देश हैं कि सबसे पहले उन्हें वैक्सीन दी जाए, जिनको सेकेंड डोज लगनी है। सेंकेड डोज की मात्रा केंद्र से मिलने वाली वैक्सीन की 70 प्रतिशत रहेगी। ऐसे में हमारे पास नए लोगों और 18 से लेकर 44 साल तक के टीकाकरण के लिए एक ही विकल्प बचता है कि वैक्सीन का आयात किया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से निजी अस्पताल सीधे भी आयात कर सकते हैं। देश मे जो कंपनियां हैं, उनसे भी वार्ता चल रही है कि भारत सरकार से आवंटित मात्रा के अतिरिक्त हमें वैक्सीन दें। कुछ मिली कुछ मिलनी है।
उन्होंने बताया कि वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए हम 20 लाख डोज का आयात करेंगे। अगले दो महीने में वैक्सीन आयात करेंगे। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था हो गई। वैक्सीन किस कंपनी की होगी, अभी इसे तय नहीं किया गया है। उन्होने कहा कि मुख्य रूप से स्पूतनिक वैक्सीन मंगाई जा सकती है। कीमत के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल ये सिंगल डोज वैक्सीन है। इन दिनों इसकी कीमत 2300 रुपये है। इनके मूल्य घटते बढ़ते रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर राज्य सरकार व देश का नियंत्रण नहीं होता।
कालाबाजारी पर सख्ती
मुख्य सचिव ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप कालाबाारी करने वालों के खिलाफ और सख्त कदम उठाने जा रहे हैं। अस्पताल, दवा विक्रेता की ओर से ज्यादा रेट वसूलने, नकली दवा आदि के खिलाफ अगले सप्ताह से अभियान शुरू होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि नकली दवा में कठोर सजा का प्रावधान है। इसमें आजीवन कारावास से नीचे की सजा नहीं है। एक दो मामले ऐसे पकड़ में आते ही इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
ऑक्सीजन के हाल
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड के लिए हाल ही में आक्सीजन 80 मेट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंची है। रोज सात मेट्रिक टन अतिरिक्त चाहिए। 20- 20 मेट्रिक टन के दो कंटेनर ही उत्तराखंड को मिले हैं। आक्सीजन के दो हजार किलोमीटर से आने से 36 घंटे लगते हैं। प्रतिदिन अगर 60 मेट्रिक टन की आपूर्ति बनाने को 12 कंटेनर चाहिए। शुक्रवार तक हमें भारत सरकार से छह और कंटेनर मिल जाएंगे।
ऑक्सीजन का लगता है लंबा फेरा
पत्रकार वार्ता में एक बात ये भी सामने आई कि उत्तराखंड में ऑक्सीजन के जो प्लांट हैं, उनकी उत्पादन क्षमता 419 मेट्रिक टन है। इन प्लांट से उत्तराखंड को आज तक सिर्फ 123 मेट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिली है। इन प्लांट से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को ऑक्सीजन की आपूर्ती की जा रही है। वहीं, उत्तराखंड के लिए जमशेदपुर, दुर्गापुर से ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है।
उत्तराखंड के ही प्लांट से राज्य को ऑक्सीजन की आपूर्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि आवंटन भारत सरकार से किया जाता है। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि हमें यहीं के प्लांट के आपूर्ति की जाए। ये भारत सरकार पर निर्भर करता है कि वे कितना मानते हैं। कई स्तर पर अनुरोध किया है। नीति आयोग से भी अनुरोध किया गया है।
आरटी-पीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता पर बोले
केंद्र सरकार के दूसरों राज्यों में आरटी-पीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता को खत्म करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस संबंध में राज्य को कोई आदेश नहीं मिले हैं।
आदेश का इंतजार कर रहे हैं। यदि लक्षण हैं तो रैपिड टेस्ट करेंगे। नहीं तो किसी को राज्य में आने नहीं देंगे। केंद्र सरकार के जैसे आदेश आएंगे उसके अनुरूप हम विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि आरटी-पीसीआर की क्षमता सीमित है। हम असिमित संख्या में नहीं कर सकते हैं। जिनमें लक्षण हैं, उनमें प्राथमिकता के आधार पर टेस्ट होगा।


कालाबाजारी रोकने को पुलिस को दें सहयोग
आइजी अमित सिंहा ने कहा कि पुलिस कालाबाजारी को लेकर निरंतर छापेमारी कर रही है। अब तक 24 एफआइर दर्ज 35 गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि में चालान कर अब तक चार करोड़ 26 लाख का जुर्माना वसूला गया है। कालाबाजारी रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए फोन नंबर दिए गए हैं। इसमें लोग शिकायत कर सकते हैं।


घर घर होगा दवा का वितरण
सचिव पंकज पांडे ने बताया कि विशेषज्ञ समिति का सुझाव के अनुरूप अब राज्य की पूरी जनसंख्या को आइवर मैक्टीन दवा देंगे। इस दवा को तीन दिन तक खाया जाएगा। इसका साइड इफेक्ट कम है। सिर्फ ये गर्भवती महिला व दो साल से कम को नहीं जाएगी। इसके लिए बूथ लेवल अफिसर्स (बीएलओ) के माध्यम से अभियान शुरू किया जा रहा है। हर गांव, मोहल्ले और बूथ को कवर करेंगे। दवा आ रही है। आइवर मैक्टीन डी वार्मिंग की दवा है। ये दवा कीड़े मारने के लिए होती है। ये कोरोना को डवलप नहीं होने देती। उसके असर को खत्म हो जाती है। जिसने खाई है उसे कोरोना नहीं हुआ।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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