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November 8, 2024

सुश्री राधिका (प्रियंका) केदारखंडी बेटियों के लिए नजीर, प्रवचन के साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा

राधिका को पहली शिवपुराण कथा में संगीत और भजन का कार्यक्रम बदरीनाथ में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज के सानिध्य में मिला।

रुद्रप्रयाग जनपद की जलेई ग्राम सभा की सुदुर उतुंगवादियों में बाँज, बुराँश काफल आदि घनी वनस्पतियों के बीच में श्री नागेश्वर शिवालय अवस्थित है। इस पावन धाम में माँ नन्दा राज राजेश्वरी व भगवान भोलेनाथ जी का स्वयम्भू लिंग है। मंदिर ठीक पहाड़ी के नीचे नागेश्वरी गंगा के उद्गम स्थल पर स्थित है। इस पौराणिक गंगा का वर्णन श्री केदारखंड में भी मिलता है।
जंगल में अवस्थित होने के कारण यहाँ पर वनदेवी-देवती व भूमियाळ देवता को इष्टदेव मानकर पूजन अर्चन किया जाता है। इस पवित्र तीर्थ के पहले महन्त स्वामी नन्द ब्रह्मचारी थे। 11 फरवरी 1998 की रात्रि को स्वामी नन्द ब्रह्मचारी ने महाप्रयाण लेते वक्त श्री हरिशंकर को वचनवद्ध किया था कि अब आप इस कुटिया को सम्भालेंगे व मंदिर की पूजा अर्चना के लिए कृत संकल्प होंगे। तदुपरान्त उन्होंने महाप्रयाण किया। उन महान सन्त की समाधि इसी स्थान पर बनी हुई है।
तदुपरान्त हरिशंकर गोस्वामी ने 2000 में रूद्रप्रयाग के कोटेश्वर महादेव के महन्त 108 शिवानन्द गिरी महाराज से 31 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की और महन्त के प्रथम शिष्य बन गये। जिसके बाद उनको हरिहरानन्द गिरी महाराज के नाम से सुशोभित किया। इसके साथ ही उन्होंने अपना घर और संसारिक मोह माया को त्याग दिया। आज वे इस पवित्र तीर्थ पर भगवान नागेश्वर व माँ नन्दा देवी के पुजारी के रूप में सन्त को दिया वचन निभाते हुए आश्रम की व्यवस्था को देख रहे हैं। इन्हीं की सुपुत्री नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत श्री राधिका (प्रियंका) केदारखंडी हैं।
राधिका के बारे में
महन्त शिव स्वरूप श्री श्री हरिशंकर गोस्वामी जी की सुपुत्री ठेठ गढ़वाली संस्कृति में पली-बढ़ी सुश्री राधिका (केदारखंडी) का जन्म 17 जनवरी 1994 को रूद्रप्रयाग जिले के ग्राम जलई सुरसाल के एक छोटे से गाँव सदेला की पवित्र गौशाला में हुआ।
राधिका की प्रारम्भिक शिक्षा 1998 में सरस्वती शिशु मन्दिर कण्डारा से हुई। इसके बाद 2012 में राधिका ने 12 वीं की शिक्षा राजकीय इण्टर कॉलेज कण्डारा से उत्तीर्ण कर वर्ष 2017 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि से संस्कृत में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई-लिखाई के साथ राधिका पिताजी की प्ररेणा से श्रीमद्भागवत, श्रीरामचरितमानस आदि धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन भी करती रहीं। अपनी माता रामेश्वरी देवी के साथ घरेलू कार्यों में भी हाथ बँटाती रहीं, जिस कारण आप घरेलू कार्यों में भी दक्ष हैं। अब राधिका अपनी जिजीविषा, मेहनत एवं लगन के बल पर आज मातृशक्ति के लिए एक नजीर बन गयीं हैं।
उनके पिताजी श्री गोस्वामी जी ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। गोस्वामी रंगमंच से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। गीत, संगीत एवं अभिनय में आपकी बचपन से ही रुचि थी। राधिका के पिता ने मुंबई के गोरेगांव से लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर से संगीत की शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही परिवार में संगीत और भजन के माहौल के कारण राधिका और उनके दोनों भाइयों का रूझान संगीत की तरफ होने लगा। राधिका और उनके भाइयों ने अपने पिता से ही संगीत की शिक्षा ग्रहण की। इसका प्रतिबिंब तीनों बच्चों में स्पष्ट झलकता है।
सात साल की उम्र में दी पहले भजन की प्रस्तुति
तीनों बच्चे नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गये हैं। अपने गायन वादन के माध्यम से जनता के दिलों में राज कर रहे हैं। राधिका को पहली शिवपुराण कथा में संगीत और भजन का कार्यक्रम बदरीनाथ में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज के सानिध्य में मिला। तब राधिका जी की उम्र महज 7 साल थी। नागेश्वर भजन संध्या एवं कोटेश्वर महादेव साउण्ड के बैनर तले राधिका उत्तराखंड सहित अन्य प्रदेशों में भी भजन व कीर्तनों के माध्यम से भक्तों के दिलों से सीधे जुड़ गई हैं।
16 साल की उम्र में किया पहला प्रवचन
राधिका ने अपना पहला प्रवचन 16 वर्ष की उम्र में एक दिवसीय गौमाता की महिमा पर ग्राम सुरसाल में दिया था। ग्राम सुरसाल से ही राधिका जी को गद्दी प्राप्त हुई थी। राधिका जी के मुखारविन्द से गौमाता की अद्वितीय दिव्य महिमा को सुनते-2 अनायास ही अभिभूत होकर राधिका के पिता के श्रीमुख से “पूज्या राधिका जी केदारखण्डी” की संज्ञा उच्चारित हो गयी। यह एक सन्त की वाणी से निकला हुआ सम्मान सूचक शब्द था। जिस कारण कालान्तर में राधिका जी राधिका केदारखण्डी के नाम से प्रसिद्ध हो गयीं।
राधिका के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब वर्ष 2013 में राधिका को रूद्रप्रयाग में गोपाल गोलोक धाम में गोपालमणि महाराज के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाराज जी का आशीर्वाद मिला, गौमाता के प्रति श्रद्धा और प्रभु की कथाओं एवं गोकथा के प्रति रूझान को देखकर महाराज ने उचित मार्गदर्शन किया।
कई चैनलों में हो रहा प्रसारण
आगे चलकर राधिका जी ने अनेक सन्तों के सानिध्य में बड़े-बड़े मंचों में अनेक गो कथायें तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण का पाठ किया। जिसका कई चैनलों पर प्रसारण भी किया गया। अभी तक राधिका कई गो कथाएं और श्रीरामकथा कर चुकी हैं। राधिका की कथायें, प्रवचन एवं भजन का प्रसारण सामुदायिक रेडियो 90.8 एफ०एम० “मंदाकिनी की आवाज”, आध्यात्म टीवी चैनल, बाबा प्रोडेक्शन यूट्यूब चैनल एवं स्वयं का धेनू वर्षा यूट्यूब चैनल पर भी किया जाता है। राधिका की बुद्धि, पाण्डित्य व सामाजिक सहभागिता से प्रभावित होकर “मंदाकिनी की आवाज कल्याण सेवा समिति” और “नन्दा देवी कौथिग” आदि की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया है।
पहाड़ की बेटियां भी कम नहीं
राधिका ने अपनी छोटी सी उम्र में ही दिव्य गौ कथा, श्रीमदभागवत कथा व दिव्य श्री राम कथा की व्यासपीठ से अपनी मधुर वाणी से प्रस्तुति देकर यह साबित कर दिया है कि पहाड़ की बेटियाँ भी ज्ञान व कौशल में कम नहीं हैं। राधिका महज जब 5-6 वर्ष की थी तो गाँव में श्री रामलीला मंचन के दौरान अपने पिताजी व भाइयों के साथ भजन व कीर्तनों की दिव्य प्रस्तुतियाँ देती थीं। तभी भविष्य का अंदाज लग जाता था कि ये बिटिया निश्चित ही एक दिन बहुत बड़ा दायित्व निभाने वाली है। बहू-बेटियों के लिए आपका व्यक्तित्व अनुकरणीय है।
स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा
स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने व प्राकृतिक वस्तुओं का सदुपयोग कर राधिका कथाओं के साथ-साथ गोमाता के गोबर और हिमालय की अलग-अलग जड़ी-बूटियों को मिलाकर शुद्ध प्राकृतिक धूप भी तैयार करती हैं। जिसका नाम धेनु वर्षा रखा गया। अभी राधिका गोबर से अन्य वस्तुएँ बनाने के प्रयास में लगी हुई हैं। कुछ शोध कर उन्होंने गोबर से दिया, गोबर गणेश, गोबर से राखियाँ, गोबर से समिधा/लकड़ी, गोबर से माला, गोबर से मूर्तियाँ आदि तैयार कर रही हैं। धेनु वर्षा के नाम पर ही राधिका जी का अब स्वयं का यूट्यूब चैनल भी है। जिसके माध्यम से लाइव कथाओं का प्रसारण किया जाता है।


लेखक का परिचय
नाम-माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली, ब्लॉक जखोली, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड। निवासी ग्राम पैलिंग, जनपद रुद्रप्रयाग।

 

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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