हरिद्वार कुंभः चैत्र पूर्णिमा में प्रतीकात्मक हो रहा है अंतिम शाही स्नान, संतो ने लगाया मास्क
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हरिद्वार कुंभ में चैत्र पूर्णिमा के मौके पर हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में अंतिम शाही स्नान प्रतीकात्मक आयोजित किया जा रहा है। अखाड़ों के स्नान का क्रम सुबह से चल रहा है। इस दौरान संत मास्क लगाए हुए नजर आए। चैत्र पूर्णिमा के मौके पर जहां सुबह हरिद्वार में स्नान करने वालों का तांता लगा रहता था, वहीं, मंगलवार 27 अप्रैल की सुबह को हरिद्वार में हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों में सन्नाटा रहा। बहुत कम ही लोग गंगा स्नान के लिए जुटे। वहीं, बाद में हरकी पैड़ी में आम लोगों के स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसे शाही स्नान के लिए आरक्षित कर दिया गया। गौरतलब है कि पूर्व में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कुंभ के शाही स्नान को प्रतीकात्मक ढंग से आयोजित करने की अपील की थी।
चैत्र पूर्णिमा पर मंगलवार को होने वाले कुंभ के अंतिम शाही स्नान में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए संतों ने भरोसा दिलाया है कि शाही स्नान में प्रत्येक अखाड़े से अधिकतम 100 संत ही भाग लेंगे। इसके अलावा जुलूस में भी संख्या सीमित रखी जाएगी। वाहनों की संख्या भी कम रहेगी। इसी क्रम में सबसे पहले र निरंजनी अखाड़ा के संत महात्माओं ने स्नान किया। आज खास बात ये रही कि संतों के जुलूस में अधिकतर ने मास्क लगाए थे।
गौरतलब है कि कुछ अखाड़ों ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच पहले ही कुंभ समापन की घोषणा कर दी थी। वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद शाही स्नान के लिए स्नान का क्रम पहले ही निर्धारित कर चुका है। यह क्रम पिछले शाही स्नान की तरह ही तय है। इसके तहत सबसे पहले श्री निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़े के साथ स्नान तय था। इसके बाद जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े की बारी है। तीसरे क्रम पर महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा के साथ स्नान करेगा। संन्यासी अखाड़ों के स्नान के बाद तीनों बैरागी अणियां और उनके अखाड़े स्नान करेंगे। बैरागी अणियों के बाद दोनों उदासीन अखाड़ा और सबसे अंत में निर्मल अखाड़ा स्नान करेगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से नाराज चल रहे बैरागी अखाड़ों ने भी इस स्नान क्रम पर सहमति जताई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।