बेजुबान घोड़ा फंसा मुसीबत में, पुलिस ने निभाया धर्म तो बची जान
पुलिस का काम कानून व्यवस्था को बनाए रखने के साथ ही लोगों की हर संभव मदद करना है। यहां तो पुलिस ने बेजुबान घोड़े के लिए किसी देवदूत की भांति मददगार बनी। पुलिस ने धर्म निभाया तो घोड़े की जान बच पाई। घोड़ा तो नहीं बोल सकता, लेकिन सभी ग्रामीणों ने पुलिस का आभार जताया।
ऐसे होते हैं आपदा से दो चार
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में हर तरह की आपदा से जूझना आम लोगों की नियती बना हुआ है। वहीं, बेजुबान भी ऐसी ही मुसीबतों से हर दिन दो चार होते रहते हैं। हाल ही में उत्तरकाशी की ग्रामसभा मुखवा में प्रवीन के दो खच्चर काल के ग्रास में समा गए थे। एक खच्चर सेब की पेटी ढोते समय पहाड़ी से फिसलकर खाई में गिरकर मर गया था। दूसरे को अगले दिन गुलदार ने शिकार बना दिया था।
घोड़ा फंसा पुल पर
अब बेजुबान की बात करें तो उत्तरकाशी के नौगांव के मंजियाल गांव निवासी आलम सिंह घोड़े को लेकर नौगांव पुल से गुजर रहे थे। इस बीच घोड़े का पैर पुल पर बने होल में फंस गया। काफी प्रयास के बाद भी वह घोड़े के फंसे पैर को बाहर नहीं निकाल सके। घोड़ा दर्द से तड़प रहा था। इसी बीच वहां से पुरोला थानाध्यक्ष प्रदीप तोमर जीप से गुजर रहे थे।
मददगार बनी पुलिस
थानाध्यक्ष ने जब देखा तो उन्होंने चालक लोकेंद्र और कांस्टेबल रोशन के साथ घोड़े को बचाने के प्रयास किए। सब्बल, बल्लम आदि जुटाए गए। पुल पर जहां होल था, वहां खुदाई कर चौड़ा किया गया। काफी प्रयासों के बाद घोड़े के पैर को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। जिस भी ग्रामीण ने यह घटना देखी और सुनी सभी पुलिस के इस नेक कार्य के लिए उनका आभार व्यक्त कर रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।