डॉ.स्वामी राम का 30 वां महासमाधि दिवस आज, जानिए उनका जीवन परिचय, समाज में योगदान
डॉ. स्वामीराम
देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) जौलीग्रांट में संस्थापक डॉ. स्वामी राम का 30वां महासमाधि दिवस आज श्रद्धा एवं भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंहसमारोह के मुख्य अतिथि होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि इस वर्ष का महासमाधि दिवस समारोह विशेष रूप से भव्य रूप में आयोजित किया जा रहा है। समारोह को सफल बनाने हेतु संस्थान में व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा चुकी हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. धस्माना ने बताया कि समारोह के दौरान स्वामी राम मानवता पुरस्कार – 2025 से सुमंगली सेवा आश्रम, कर्नाटक को सम्मानित किया जाएगा। यह संस्था पिछले लगभग पाँच दशकों से समाज के वंचित वर्गों और निर्धन महिलाओं, अनाथ बच्चों, वृद्धजन एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सेवा में समर्पित है। इस उपलब्धि के लिए संस्था को गोल्ड मेडल, प्रशस्ति पत्र एवं 10 लाख रुपये का नगद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. धस्माना ने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत संस्थान के चयनित कर्मचारियों को ‘उत्कृष्ट कर्मचारी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। इसके उपरांत श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया जाएगा। शाम को करीब साढ़े 6 बजे से विश्वविद्यालय सभागार में ‘शांति की स्वर धारा” भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। इसमें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार व एवं शांतिदूत हिरोकी ओकानो बांसुरी वादन की संगीतमय प्रस्तुति देंगे। समारोह में बड़ी संख्या में स्वामी जी के अनुयायी एवं श्रद्धालु सम्मिलित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. स्वामी राम जी का जीवन परिचय
स्वामीराम को लोग एक संत, समाजसेवी, चिकित्सक, फिलोसफर, लेखक के रुप में जानते हैं। इन सबसे इतर दुनिया उन्हें मानव सेवा के संदेश वाहक के रुप में भी जाना जाता है। वर्ष 1925 में पौड़ी जनपद के तोली-मल्ला बदलपुर पौड़ी गढ़वाल में स्वामीराम का जन्म हुआ। किशोरावस्था में ही स्वामीराम ने संन्यास की दीक्षा ली। 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया। गुरु के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे। 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वास्थ्य सुविधाओं से महरुम उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामीराम ने सपना देखा था। उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया 1989 में। इसी वर्ष उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की स्थापना की। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्त्य सुविधाओं के पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) व 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी जी ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए। इसके बाद स्वामी जी के उद्देश्य व सपनों को साकार करने का जिम्मा ट्रस्ट के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने उठाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ.धस्माना की अगुवाई में संस्थान निरंतर कामयाबी के पथ पर अग्रसर है। 2007 में कैंसर रोगियों के लिए अत्याधुनिक अस्पताल कैंसर केयर एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की। 2013 में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए जॉलीग्रांट में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) स्थापना की गई। इसके तहत विश्वविद्यालय की जॉलीग्रांट व तोली पौड़ी में सभी शिक्षण संस्थाएं संचालित की जा रही हैं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




