Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 11, 2025

ग्राफिक एरा में औषधीय पौधों पर राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, मिट्टी है देश की वास्तविक संपदा

देहरादून स्थित ग्राफिक एरा में राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से आए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने औषधि और सुगंधित पौधों के क्षेत्र में नई संभावनाओं और प्रगति के तरीकों पर चर्चा की। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की महानिदेशक डॉ एन कलाईसेल्वी ने कहा कि मिट्टी की सेहत ही देश की असली संपदा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में औषधीय पौधों पर राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ एन कलाईसेल्वी ने कहा कि भारत की मिट्टी न केवल उर्वर है, बल्कि यह औषधीय पौधों की विविधता से परिपूर्ण है। यह किसानों की आजीविका बदलने के साथ ही भारतीय चिकित्सा विज्ञान को भी नई दिशा दे सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डा. एन. कलाईसेल्वी ने ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन के चेयरमैन डा. कमल घनशाला की दूरदर्शी सोच और नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि डा. घनशाला ने एक छोटे से कंप्यूटर सेंटर को आज भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थान में बदल दिया है। उनका विजन और समर्पण देश भर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

उत्तराखंड के औषधीय पौध बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. निर्पेंद्र चैहान ने कहा कि उत्तराखंड जैव विविधता से समृद्ध राज्य है और इसकी औषधीय जड़ी बूटियां इसकी असली पहचान है। उन्होंने कहा कि 40,000 से अधिक किसान सुगंधित पौधों की खेती कर रहे हैं जिससे ग्रामीण आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। उन्होंने बताया कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियां, जलवायु परिवर्तन और वन्यजीवों से फसलों को नुकसान जैसी चुनौतियां किसानों के पलायन का कारण बन रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए नीति निर्माता और वैज्ञानिकों को मिलकर काम करना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सम्मेलन में सोसायटी फॉर प्लांट रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डा. एस. के. भटनागर ने कहा कि भारत प्राचीन काल से जैव विविधता का केंद्र रहा है, लेकिन हमने इसकी वैज्ञानिक उपयोगिता समय रहते नहीं समझी। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों का ज्ञान हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे प्रयोगशाला से बाहर लाकर किसान और आम लोगों तक पहुंचाना होगा तभी अनुसंधान का वास्तविक लाभ समाज को मिलेगा। यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. नरपिंदर सिंह ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राष्ट्रीय सम्मेलन में औषधीय और सुगंधित पौधों की जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े विषयों पर आठ तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में नवीनतम शोध नवाचार और उनके व्यवहारिक उपयोग पर विस्तार से चर्चाएं होगी। देश के 16 राज्यों से आए 200 से अधिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता और विशेषज्ञ इस सम्मेलन में भाग लेकर अपने शोध और सुझाव प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा. एन कलाईसेल्वी ने यूनिवर्सिटी में रुद्राक्ष और अश्वगंधा के पौधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्मेंट और सेंटर फॉर अरोमैटिक प्लांट्स ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में प्रो वाइस चांसलर डा. संतोष एस. सर्राफ, कुलसचिव डा. नरेश कुमार शर्मा, बायोटेक्नोलॉजी डिपार्मेंट के हेड डा. रूपक नागरिक, डॉ जानवी मिश्रा रावत समेत अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. जिगिशा आनंद ने किया।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यदि आप अपनी पसंद की खबर शेयर करोगे तो ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। बस इतना ख्याल रखिए।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *