कैबिनेट मंत्री को बर्खास्त करने की मांग को लेकर प्रदेशभर में हो रहे आंदोलन, सरकार ने दिया तोहफा, जीओएम में सदस्य नामित

पहले हम हल्की भूमिका पर बात करेंगे। उत्तराखंड के विधानसभा सत्र के दौरान बहस में वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल तैश में आ गए और उनके जुबां फिसल गई। हालांकि उन्होंने विवाद बढ़ने के बाद अपनी गलती पर माफी भी मांगी, लेकिन उनके खिलाफ धरने और प्रदर्शन का दौर आज भी जारी है। कैबिनेट मंत्री डॉ. अग्रवाल पर आरोप हैं कि उन्होंने पहाड़ के लोगों को गाली दी। ऐसे में उनकी बर्खास्तगी की मांग को लेकर पूरे राज्यभर में कहीं ना कहीं से प्रदर्शन की हर दिन सूचना आती रहती है। साथ ही खबरें उड़ाई जाने लगी कि आज इस्तीफा हो रहा है, कल हो जाएगा। फिलहाल हमें ऐसी कोई सूचना नहीं है। हालांकि हमने फेसबुक में एक मित्र की पोस्ट में लिख दिया था कि एक विशेष पार्टी में इस बात को लेकर नेताओं में कंप्टीशन है कि कौन विवादित बयान दे। जो जितने विवादित बयान देगा वह उतना ज्यादा प्रमोट होगा। ये बात अब तो सही साबित हो रही है। आज की खबर है कि डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल पर कार्रवाई की बजाय उन्हें तोहफा दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल के मीडिया ग्रुप में बताया गया कि उत्तराखंड के वित्त मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल को प्राकृतिक आपदाओं या आपदाओं के मामले में राजस्व जुटाने के लिये मंत्री समूह (जीओएम) में सदस्य नामित किया गया है। इस महत्वपूर्ण दायित्व के लिए मंत्री डा. अग्रवाल ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी का आभार प्रकट किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जीएसटी परिषद ने किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में विशेष आपदा उपकर लगाने के लिये मंत्रियों के समूह का गठन किया है। इस सात सदस्यीय मंत्री समूह में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, उत्तरखंड के वित्त मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल, असम से अजंता नियोग, छत्तीसगढ़ से ओपी चौधरी, गुजरात से कनुभाई देसाई, केरल से केएन बालगोपाल और पश्चिम बंगाल से चंद्रिमा भट्टाचार्य शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंत्री समूह के सदस्य प्राकृतिक आपदा या आपदाओं के मामले में राजस्व जुटाने के लिये राज्यों द्वारा विशेष उपकर लगाने की संवैधानिक और कानूनी जांच करेंगे। जीएसटी व्यवस्था के तहत राज्यों द्वारा ऐसे विशेष उपकर लगाने के उद्देश्य से किसी घटना को प्राकृतिक आपदा के रूप में वर्गीकृत करने के लिये उपयोग किये जाने वाले ढांचे की जांच और पहचान करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अलावा यह जांच करना कि क्या जीएसटी मूल ढांचे में बदलाव किये बिना प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राज्यों की मदद के लिये कोई वैकल्पिक तंत्र तैयार किया जा सकता है। साथ ही यह भी जांच की जानी चाहिए कि क्या विशेष उपकर को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित रखा जाना चाहिए या सभी क्षेत्रों पर लागू किया जाना चाहिए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।