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April 19, 2025

देहरादून के पर्यावरण को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने निकाला शांति मार्च

देहरादून में विकास के नाम पर पेड़ों के कटान के विरोध में और शहर का पर्यावरण बचाने को लेकर आज रविवार पर्यावरण प्रेमियों ने शांति मार्च निकाला। शांति मार्च का आयोजन देहरादून में राजपुर रोड स्थित दिलाराम चौक से लेकर कैंट रोड स्थित सेंट्रियो मॉल तक किया गया। दावा किया गया कि शांति मार्च में 33 संगठनों के पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आज रविवार दो मार्च को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सुबह करीब साढ़े सात बजे शांति मार्च का आयोजन किया गया। सिटीजन फॉर ग्रीन दून संस्था की ओर से इसका आह्वान किया गया था। इससे पहले भी देहरादून में सहस्त्रधारा रोड पर पेयजल योजना के नाम पर हजारों पेड़ काटने, कैंट रोड पर भी पेड़ों के कटान, कैनाल रोड जाखन में भी पेड़ों को काटने के विरोध में इस संस्था ने विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर आंदोलन किया और इसमें सफलता भी मिली। यही नहीं, सड़क दुर्घटना के कारणों और लापरवाही के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से भी संस्था ने कई बार आंदोलन किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब कहा जा रहा है कि भानियावाला से ऋषिकेश तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर 3357 पेड़ों को काटने की योजना है। इसी तरह नई मसूरी रोड केलिए करीब 20000 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाने हैं। इसके विरोध में वरिष्ठ नागरिकों के संगठन भी सड़कों पर उतरने लगे हैं। आज शांति मार्च के मौके पर वक्ताओं ने कहा कि विकास के नाम पर बेतहाशा पेड़ काटे जा रहे हैं। इसके विरोध में एकजुट होना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वक्ताओं ने कहा कि देहरादन के खलंगा, कैनाल रोड व कैन्ट रोड के पेड़ों का कटान भी जनांदोलन के कारण नही हो पाया था। अब फिर मसूरी, ऋषिकेश, झाझरा में नई अतिरिक्त सड़को के लिए लगभग 30000 पेडो के काटने का प्रस्ताव है। मात्र पांच से दस मिनट जल्दी पहुचने के लिए पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सहस्त्रधारा रोड के हज़ारों पेडो को काटा जा चुका है और वनविभाग की ओर से हजारो पौधरोपण को पत्थरो के बीच कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि पेड़ कटान के एवज में जो पौधरोपण किया गया, वह सफल नहीं हुआ। पौधे नष्ट हो रहे हैं। रिस्पना नदी के किनारे एक लाख पेड़ लगाने के बाद भी एक भी पेड़ भी जीवित नहीं बचा है। इस काम में भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है। कैम्पा फण्ड के 10 करोड़ रुपए लेपटॉप व मोबाइल आदि पर खर्च कर दिए गए। पर्यावरणविद् अनूप नॉटयाल ने बताया कि किस प्रकार 15 सालों में उत्तराखंड में भारी मात्रा में वनभूमि का हस्तांतरण हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

रैली के दौरान आयोजित सभा को मुख्य रूप से हिमांशु अरोड़ा, रवि चोपड़ा, कमला पंत, लोकेश ओहरी, जगमोहन मेंदीरत्ता, नितिन मलेथा आदि ने संबिधित किया। संचालन इरा चौहान ने किया। इस मौके पर अनीश लाल, रुचि, तन्मय ममगाईं, अजय शर्मा, सुशील त्यागी, सतीश धौलखंडी, नवीन सदाना, परमिंदर सिंह, अनिल जग्गी आदि ने भी प्रदर्शन में शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन संगठनों के प्रतिनिधि रहे रैली में शामिल
रैली में संयुक्त नागरिक संगठन, आघास फाउंडेशन, एसडीसी फाउंडेशन, डीसीए, देहरादून साइक्लिंग क्लब, इंसानियत मंच, हिंद स्वराज, यू नो ट्रैश, तितली ट्रस्ट, परशक्ति, द इको ग्रुप, प्रमुख संस्था, फ्रेंड्स ऑफ दून, मैवरिक्स, भारत गायन विज्ञान समिति, नेचर्स बडी, बलभद्र खलंगा विकास समिति नालापानी, पिंडर घाटी यूथ क्लब, एसएफआई, सीएफजीडी, क्लान एंड ग्रीन आर्ग, उत्तराखंड महिला मंच, रोड स्पिन वारियर्स, पहाड़ी पेडलर्स, आर्यन ग्रुप, वेस्ट वॉरियर्स सोसाइटी, संख्यायोग फाउंडेशन, डालनवाला वेलफेयर सोसाइटी, ग्राम विकास संगठन, वॉयस ऑफ वारियर्स, मिशन क्लीन भारत, लोक पूज्य एसोसिएट्स के प्रतिनिधि शामिल रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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