राजकीय पेंशनर्स मंच ने की एक राष्ट्र, एक वेतन और एक पेंशन की पैरवी
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आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा के बाद से ही कर्मचारी संगठनों की ओर से सुझावों की लिस्ट तैयार की जा रही है। वहीं, पेंशनर्स भी इस मुद्दे पर मुखर हैं। राजकीय पेंशनर्स मंच ने एक राष्ट्र, एक वेतन और एक पेंशन की मांग उठाई है। साथ ही सुझावों की लिस्ट भी तैयार कर भारत सरकार को भेजी है। साथ ही तय किया कि वेतन आयोग के विधिवत गठन के बाद विस्तृत सुझाव और तर्क आयोग को भेजे जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंच के शीर्ष सलाहकार मंडल के मुख्य संयोजक जेपी चाहर ने कहा कि 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा के साथ ही भारत सरकार की ओर से गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। अभी आठवें वेतन आयोग का विधिवत गठन नहीं हुआ है, लेकिन भारत सरकार के वित्त विभाग ने आयोग के विचाराधीन संदर्भित शर्तों (टर्म्स ऑफ रिफरेन्स) के निर्धारण के लिए संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि राजकीय पेंशनर्स मंच ने एक राष्ट्र, एक वेतन, एक पेंशन पर विचार करने का अनुरोध किया है। पर्वतीय राज्यों की साथ ही परिस्थितियों पर विशेष ध्यान देने का सुझाव भारत सरकार के भेजा है। पेंशनर्स ने कहा कि केंद्रीय वेतन आयोग की संस्तुतियां केंद्रीय कर्मचारियों व पेंशनर्स के लिए लागू होती हैं, किंतु राज्य सरकार के कर्मचारी पेंशनर्स भी इससे प्रभावित होते हैं। इसलिए शासन ने 28 राज्यों के शासन से उनके कार्मिकों के पक्ष में हितकारी सुझाव आमंत्रित किये हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केंद्रीय संगठनों और राज्य सरकारों से सुझाव लेकर यह निर्धारित किया जाएगा कि वेतन आयोग को किन विषयों पर विचार कर संस्तुति देनी है। वेतन आयोग के सन्दर्भ शर्तों के विचार हेतु कर्मचारी संगठनों के साथ साथ पेंशनर्स के संगठनों ने भी अपने खुले विचार भारत सरकार और दोनों राज्यों को प्रेषित किये है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस क्रम में पहल करते हुए उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड राजकीय पेंशनर्स समन्वित मंच ने पांच सूत्रीय सुझाव पत्र केंद्र सरकार को प्रेषित कर दोनों प्रदेशो से अपनी सहमति के लिए अनुरोध किया है। मंच के शीर्ष सलाहकार मण्डल की ओर से लिए गए निर्णय पर जेपी चाहर ने पेंशनर्स की ओर से भारत सरकार के वित्त सचिव और यूपी व उत्तराखंड दोनों राज्यो के अपर मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। उन्होंने भारत सरकार को आगाह किया है कि पेंशनर के सम्बंध में कोई फैसला करने से पहले उनके संगठनों का पक्ष भी जान लें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, हरिद्वार में हुई मंच की बैठक में भी मंच के संयोजक एलसी पाण्डेय ने राज्य के पेंशनर्स को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह चिकित्सा सुविधा देने की मांग की है। बीपी चौहान व आरके जोशी ने उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों तथा पलायन की समस्या को ध्यान में रखकर प्रतिबंध रहित पर्वतीय विकास भत्ता, सीमांत भत्ता और नगरों के वर्गीकरण करने का सुझाव दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुझावों की श्रखला में जरूरी बिंदुओं पर विचार विमर्श में जेपी चाहर, आरके जोशी, बीपी चौहान, एलसी पाण्डेय, मंजू सिंह, पवन कुमारी, मधु सिंह, सुधा त्यागी, रामवीर सिंह, वीर सिंह, एम पी सिंह, बी पी सिंह सैनी, अतर सिंह, पंकज गुप्ता, अनिरुद्ध शर्मा, विमल प्रताप, मनोज शर्मा, सत्यवीर सिंह, रामसरीख, भूपेंद्र सिंह,अनिल गुप्ता शिवकुमार शर्मा,राकेश चौहान, पीके सिंह आदि शामिल रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।