राज्य आंदोलनकारी एवं मुजफ्फरनगर गोलीकांड में सीबीआइ के प्रमुख गवाह जीतपाल बर्त्वाल का सड़क दुर्घटना में निधन

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी एवं मुजफ्फरनगर गोलीकांड में सीबीआइ के प्रमुख गवाह जीत पाल सिंह बर्त्वाल का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वह करीब 65 साल के थे। वह चार वर्ष पहले ही शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। वह अपने पीछे पत्नी के साथ दो पुत्र एवं दो पुत्रियों को छोड़ गये।
गत रात 13 जनवरी को देहरादून में आइएसबीटी फ्लाई ओवर के पास वह अपने बेटे विवेक बर्त्वाल के साथछ बाइक से कहीं जा रहे थे। तभी पीछे से अनियंत्रित ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी। इससे वह छिटककर ट्रक के पिछले टायर के नीचे आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। लाइन नंबर दो मोथोरावाला देहरादून निवासी जीतपाल सिंह के निधन पर राज्य आंदोलनकारियों ने गहररा शोक व्यक्त किया। हादसे में उनके बेटे को हल्की चोटें आई। मौके से चालक ट्रक को छोडकर फरार हो गया।
गोलीकांड में हुए थे घायल
जीतपाल बर्त्वाल उत्तराखंड आन्दोलन के दौरान दिल्ली रैली में शामिल होने जा रहे थे। दो अक्टूबर की रात मुजफ्फरनगर कांड में वह घायल हुए थे। इस मामले में वह सीबीआइ के प्रमुख गवाह भी रहे हैं। वह अभी चार वर्ष पहले ही शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे।
राज्य आंदोलनकारियों ने दी श्रद्धांजलि
जीतपाल बर्त्वाल अंतिम दिनो तक राज्य हितों से लेकर राज्य आन्दोलनकारियों की मांगो को लेकर व प्रत्येक कार्यक्रम में हमेशा सक्रिय रहते थे। राज्य आंदोलनकारी मंच उनकी आत्मा की शाँति की प्रार्थना की। आज पोस्टमार्टम के पश्चात शाम चार बजे लक्खीबाग घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
उन्हें श्रद्धांजली देने वालो में मुख्यतः जगमोहन सिंह नेगी, रविन्द्र जुगरान, रामलाल खंडूड़ी, प्रदीप कुकरेती, चन्द्र किरण राणा, पूरण सिंह लिंग्वाल, कमल गुंसाई, सुमन भण्डारी, सतेन्द्र नोगाई, मनमोहन नेगी, बीर सिंह रावत, पुष्कर बहुगुणा, चन्द्र मोहन सिंह नेगी, विनोद असवाल, सुमित थापा (बंटी), राजेश पाँथरी, विरेन्द्र गुंसाई, गणेश डंगवाल, सुरेश कुमार, प्रभात डड्रियाल, सुनील बडोनी, यशवंत रावत, ध्यानपाल सिं,ह अजय डबराल, बलबीर नेगी आदि रहे।
पत्रकार जितेंद्र अंथवाल की फेसबुक वाल से
आंदोलन के योद्धा और मुजफरनगर कांड में सीबीआई के अहम गवाह जीतपाल बर्तवाल की हादसे में मृत्यु
अभी-अभी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के महासचिव रामलाल खंडूरीजी ने यह दुःखद सूचना दी कि वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी जीतपाल बर्तवालजी नहीं रहे। कल रात वे अपने पुत्र के साथ बाइक पर जा रहे थे, तभी आईएसबीटी के पास किसी अज्ञात वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में जीतपालजी की मृतु हो गयी, जबकि उनके पुत्र घायल हो गया, जिसका उपचार चल रहा है।
मूलरूप से चमोली निवासी जीतपाल बर्तवाल 1994 में शुरुआती दौर में ही उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन से जुड़े थे। वे यहां पटेलनगर में रहते थे। अपने जुझारूपन के कारण आंदोलन के पूरे दौर में वे अनेक बार लाठीचार्ज में घायल हुए, जेल गए। हर धरना-प्रदर्शन, रैलियों, बन्द-चक्का जाम आदि में वे अग्रणी रहते थे। मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर 2 अक्टूबर 1994 को गोली लगने से घायल हुए जीतपाल बर्तवाल जी इस कांड में सीबीआई के अहम गवाह भी थे।
राज्य निर्माण के बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के संस्थापक सदस्य के साथ ही वे गढ़वाल मंडल के प्रभारी भी बने। घायल आंदोलनकारी कोटे से वे 2004 के आसपास शिक्षा विभाग में सेवायोजित हुए और अभी दो-एक साल पहले सेवानिवृत हुए। आंदोलनकारी मंच में रहने के साथ-साथ वे सेवानिवृति के बाद भाजपा से भी जुड़ गए। जीतपाल जी , दून अस्पताल के नेत्र विभाग से सेवानिवृत्त और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगम्बर सिंह बर्तवाल ‘तुंगनाथी’ जी के छोटे भाई थे। अभी पिछले सप्ताह जीतपाल जी, कलक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक परिसर में पहुंची धारी देवी डोली यात्रा में शामिल हुए थे, जो संभवतः उनका आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम रहा।
आंदोलन के शुरुआती दौर से मेरा उनसे काफी अच्छा सम्पर्क था। इसकी वजह यह भी थी कि वे तुंगनाथीजी के अनुज थे। बावजूद इसके, मेरे लिए यह पीड़ादायक स्थिति है कि कोविड के कारण फिलहाल बेड पर होने से मैं इस दुखद मौके पर मौजूद नहीं हो पा रहा हूं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इस योद्धा को नमन….।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।