राहुल की बात निकली सच, अजित पवार ने खोली पोल, मोदी, अमित शाह और ए का कनेक्शन किया एक्सपोज
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के लिए अब कुछ ही दिन शेष रह चुके हैं। सभी दलों का चुनाव प्रचार चरम पर है। 20 नवंबर को राज्य की सभी सीटों के लिए मतदान होना है। इस बीच अजित पवार ने ऐसा राजनीतिक बयान देकर बवाल मचा दिया, जिससे सहज कहा जा सकता है कि अभी तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी पीएम मोदी के अडानी से रिश्तों की जो बात करते थे, वो सच ही है। क्योंकि महाराष्ट्र में बीजेपी की तीन दिन की सरकार बनाने के पीछे गौतम अडानी का हाथ रहा है। हालांकि, इस साजिश के खुलासे में अजित पवार ने किसी को नहीं छोड़ा और अपने चाचा शरद पवार का भी नाम जोड़ दिया। हालांकि, शरद पवार बीजेपी के साथ शामिल नहीं हुए और उन्होंने कांग्रेस और उद्धव शिव सेना के साथ गठबंधन करना उचित समझा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अजित पवार ने जो बयान दिया है, उसमें गौतम अडानी और पीएम मोदी के संबंधों को सीधा एक्सपोज कर दिया। यानि कि जो बात कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहते आ रहे हैं, उसे सच साबित कर दिया। राहुल गांधी पीएम मोदी से बार बार पूछते हैं कि उनका गौतम अडानी के साथ क्या संबंध है। राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी उन पर हमलावर रहती है। वहीं, बीजेपी राहुल गांधी पर पलटवार करती रही है। अब इस नए खुलासे से बीजेपी चुप्पी साधने में ही भलाई समझेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कोई उद्यागपति कभी किसी दल के साथ नहीं जुड़ा रहा हो। पहले भी उद्यमी सीधे किसी ना किसी दल से जुड़े रहे, लेकिन अपने मामले में इस बात का बीजेपी खंडन करती रही। वहीं, अडानी का मामला ये है कि वह पर्दे के पीछे से बीजेपी के साथ खड़े हैं। अब अजित पवार के बयान से बीजेपी बचाव को लेकर किस तरह का बयान जारी करती है, इसका सभी को इंतजार है। क्योंकि सरकार बनाने या बिगाड़ने में यदि अडानी की मध्यस्थता हो रही है तो फिर राहुल की बात पर स्वाभाविक तौर पर मुहर लग रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खबर ये है कि अजित पवार ने अडानी को बीजेपी और एनसीपी के बीच गठबंधन कराने का प्रयास करने वाले वार्ताकारों में शामिल होना बताया है। बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुती सरकार में शामिल उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुलासा किया है कि गौतम अडानी पाँच साल पहले बीजेपी और एनसीपी में गठबंधन कराने वाली वार्ता में शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अजित पवार ने द न्यूज़ मिनट को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि पाँच साल पहले उद्योगपति गौतम अडानी भाजपा और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बैठक का हिस्सा थे। अजित उस घटनाक्रम का ज़िक्र कर रहे थे, जब पाँच साल पहले कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन सरकार बनना क़रीब-क़रीब तय हो चुका था। फिर अचानक सुबह आयोजित किए गए एक समारोह में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और खुद अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाँच साल पहले अजित की वह बगावत क़रीब तीन दिन ही चल पाई थी। तब शरद पवार ने उनका समर्थन नहीं करने का फैसला किया था। इसके बाद अजित पवार के साथ गए अधिकांश विधायक शरद पवार के साथ वापस आ गए थे। कुछ दिनों बाद अविभाजित एनसीपी और शिवसेना ने कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी यानी एमवीए सरकार बनाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एमवीए सरकार गठन के क़रीब ढाई साल बाद शिवसेना में बगावत हो गई और सरकार गिर गई। एकनाथ शिंदे के खेमे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। बाद में अजित पवार ने भी एनसीपी में बगावत कर दी और वह शिंदे व बीजेपी वाली सरकार में शामिल हो गए। अब महाराष्ट्र की इस सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है और इसके लिए चुनाव हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अजित पवार ने न्यूज वेबसाइट द न्यूज मिनट को दिए इंटरव्यू में बार-बार पाला बदलने और पाँच साल पहले बीजेपी-एनसीपी गठबंधन वार्ता को लेकर सवाल के जवाब में कहा कि क्या आपको नहीं पता? यह पांच साल पहले हुआ था। हर कोई जानता है कि बैठक कहां हुई थी। हर कोई वहां था। मैं आपको फिर से बताता हूं। अमित शाह वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, प्रफुल्ल पटेल वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, अजित पवार वहां थे, पवार साहब वहां थे। उन्होंने आगे कहा कि इसका दोष मुझ पर पड़ा है और मैंने इसे स्वीकार कर लिया है। मैंने दोष स्वीकार कर लिया और दूसरों को सुरक्षित कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने केवल वही किया जो उनके नेता ने कहा। अजित पवार से सवाल पूछा गया कि एनसीपी और भाजपा के बीच वैचारिक असंगति के बावजूद वह उनके साथ गए? इस पर अजित ने कहा कि 2014 में भी महाराष्ट्र सरकार को एनसीपी ने बाहर से समर्थन दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अजित पवार ने कहा, ‘जब 2014 के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए, तो एनसीपी प्रवक्ता प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि हम भाजपा को बाहर से समर्थन देंगे। हम वही करते हैं जो हमारे वरिष्ठ हमें करने को कहते हैं। 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद, एनसीपी प्रवक्ता प्रफुल पटेल ने भाजपा को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी। अजित पवार ने कहा कि बाद में एनसीपी ने कहा कि समर्थन स्थायी नहीं था, बल्कि केवल सरकार बनाने के लिए था। इसके परिणामस्वरूप भाजपा और शिवसेना फिर से एक साथ आ गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह पूछे जाने पर कि शरद पवार ने बाद में हिचकिचाहट क्यों दिखाई और भाजपा के साथ क्यों नहीं गए। इस पर अजित ने कहा कि उन्हें इसका कारण नहीं पता। उन्होंने कहा कि पवार साहब एक ऐसे नेता हैं, जिनके दिमाग को दुनिया में कोई नहीं पढ़ सकता। यहां तक कि हमारी आंटी यानि शरद पवार की पत्नी प्रतिभा या हमारी सुप्रिया (सुले) भी नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उधर, शरद पवार ने 2019 में भाजपा के साथ सत्ता-साझाकरण वार्ता में किसी भी तरह की भागीदारी से लगातार इनकार किया है। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने पिछले साल आरोप लगाया था कि पवार ने 2017 और 2019 के बीच भाजपा के साथ कई बैठकें की थीं। एनसीपी में विभाजन के बारे में पूछे जाने पर अजित ने कहा कि विभाजन का कोई सवाल ही नहीं है और जिसके पास बहुमत है, वही पार्टी को नियंत्रित करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अजित पवार ने इस बात से इनकार किया कि उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का भाजपा के साथ जाने से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि आरोप 2009 में लगाए गए थे और मैं 2023 में भाजपा के साथ गया। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें मामलों में बरी कर दिया गया। क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर मैं दोषी होता, तो मेरे खिलाफ कार्रवाई होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि 2019 में शपथ ग्रहण के बाद अजित शरद पवार के पास वापस चले गए क्योंकि उन्हें केवल कुछ एनसीपी विधायकों का समर्थन मिल सका, जबकि अधिकांश पार्टी विधायक पवार सीनियर के साथ थे। बाद में 2023 में, जब वे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हुए, तो उन्होंने पार्टी के अधिकांश विधायकों को अपने साथ ले लिया। अजित को डिप्टी सीएम बनाया गया। हालांकि, महायुति में शामिल होने से दो दिन पहले ही पीएम मोदी ने उन्हें 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप बताया था।
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