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November 14, 2024

राज्य आंदोलनकारियों, जनसंगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने निकाला जुलूस, उत्तराखंड के इन मुद्दों पर सरकार को घेरा

उत्तराखंड राज्य की स्थापना दिवस के मौके पर विभिन्न आंदोलनकारियों, विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों ने देहरादून में जुलूस निकाला और विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरा। ये संयुक्त प्रदर्शन मूल निवास धारा 371, भू सुरक्षा कानून, छूटे हुये उत्तराखंड आन्दोलनकारियों का चिह्नीकरण, ओल्ड पेंशन की बहाली, बिगड़ती कानून व्यवस्था में सुधार की मांग और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद के बैनर तले इस जुलूस में आरयूपी, सीपीआईएम, यूकेडी, जनवादी महिला समिति, महिला मंच, चिह्नीकरण राज्य आन्दोलनकारी समिति, नेताजी संघर्ष समिति, सीटू, पीपुल्स फोरम उत्तराखंड, एसएफआई, एआईएलयू आदि संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए। परेड ग्राउंड में आमसभा के बाद जुलूस निकाला गया, जो गांधी पार्क से होता हुआ घंटाघर में राज्य आंदोलन के प्रणेता स्व. इन्द्रमणि बडोनी की मूर्ति तक पहुंचा और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। बाद में जुलूस कचहरी पहुंचा। जहां शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए गए। ज्ञापन उपजिलाधिकारी सदर हरिगिरि को सौंपे गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस‌ अवसर पर आयोजित जनसभा में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में काफी समय से एक सख्त भू-कानून की मांग उठाई जा रही है। इस मांग के मूल में एक सशक्त कानून के माध्यम से पहाड़ के लोगो की जमीन को बाहरी लोगों की ओर से लगातार खरीदने से रोकना है। अन्यथा मूल आबादी ही राज्य में बेघर होकर रह जाएगी। इस समय कोई भी व्यक्ति उत्तराखंड में 250 वर्गमीटर जमीन खरीद सकता है, किन्तु कमजोर भू कानून के कारण लगातार पहाड़वासी भूमिहीन एवं बेघरवार हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान डबल इंजन सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियोँ के परिणामस्वरुप पहाड़ों को छलनी छलनी किया जा रहा है। चोर दरवाजे से सरकारों द्वारा पहाड़ के नदी, नालों, घाटियों तथा पहाड़ो को देश के बड़े बड़े घरानों तथा भू माफिया के हवाले कर दिया गया है। वक्ताओं ने कहा कि यहां तक कि उत्तराखंड की मुख्यसचिव आएदिन भू कानून लागू करने के लिए सख्त आदेश निकालती रहती हैं, उन्ही के राजपुर रोड़ स्थित सरकारी आवास के इर्दगिर्द तथा प्राईमलैंड पर बिल्डर्स एवं भू माफिय कब्जा जमाए हैं। इसी तरह की स्थिति रेसकोर्स में भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं‌ ने‌ कहा है कि उत्तराखंड में पीएसीएल, गोल्डन फारेस्ट तथा अन्य कई भूमि घोटाले हुए। इनमें सत्ता से जुड़े लोगों और अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई, लेकिन उच्च आदेश के बावजूद कार्रवाई ठंडे बस्ते में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

की गई ये मांगें
1-उत्तराखंड राज्य में मूल निवास तथा सख्त भू कानून को सख्ती से लागू किया जाए। ताकि संविधान की ओर से प्रदत मूलनिवासियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
2-उत्तराखंड के छूटे हुये आन्दोलनकारियों का चिह्नीकरण अविलम्ब शुरू किया जाऐ। इस प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए। चयन के लिये संयुक्त समिति का गठन किया जाए।
3-कर्मचारियों की ‌ओल्ड पेंशन की बहाली सुनिश्चित की जाए।
4-राज्य‌ में बिगड़ती कानून व्यवस्था के परिणामस्वरूप महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, कमजोर वर्ग के उत्पीड़न व आपसी सदभाव बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित हो।
5- राज्य में कारपोरेटपरस्त नीतियों के परिणामस्वरूप निजीकरण, सरकारी नौकरियों में भारी कटौती तथा बढ़ती बेरोजगारी पर सख्ती रोक लगानी की कार्रवाई सुनिश्चित कि जाऐ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

6- राज्य में भूमाफियाओं‌, भ्रष्ट राजनेताओं तथा लालफीताशाही ‌के नापाक गठबंधन से हो रहे नुकसान पर अविलंब रोक लगाई जाये।
7- राज्य के जल, जंगल, जमीन को हो रहे नुकसान पर अविलंब रोक लगाई जाये।
8- राज्य की जनता के लिए निशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी की व्यवस्था, सार्वजनिक तथा सस्ते परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित कि जाऐ।
9- सेना में लागू अग्निवीर योजना को निरस्त करो।
10-तमाम भूमि घोटालों की जांच की जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जुलुस में शामिल लोग
इस अवसर प्रमुख लोगों में आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गुंसाई, अध्यक्ष राकेशश्वर पोखरियाल, सीपीएम के देहरादून सचिव अनन्त आकाश
सचिव, देहरादून के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, सीटू के जिला सचिव लेखराज, जनवादी महिला समिति उत्तराखंड की उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल, यूकेडी की केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रमिला रावत, महिला मंच से निर्मला बिष्ट, किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सजवाण, चिह्नीकरण राज्य आन्दोलनकारी समिति से बालेश बबानिया, सुरेश कुमार, चिन्तन सकलानी, मनोज ध्यानी
वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी जय प्रकाश उत्तराखंडी, हिमांशु चौहान, प्रभात डंडरियाल, जयकृत कण्डवाल, कृष्ण गुनियाल, एसएस नेगी, शम्भू प्रसाद ममगाईं, अनुराधा, अमित पंवार, जगमोहन रावत, रामपाल, एजाज खान, सुशील बिरमानी, शान्ति प्रसाद भट्ट, मौहम्मद इकबाल, भगवन्त पयाल, अभिषेक भण्डारी, मोहन पंवार, हरिश कुमार आदि प्रमुख थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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