लोक गायिका एवं बिहार की ‘स्वर कोकिला’ शारदा सिंहा का निधन, छठ पर्व में गूंजते हैं उनके गीत, जानिए उनके बारे में
सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार पांच नवंबर 2024 को 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उनका इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा था। जहां उन्होंने रात के 9 बजकर 20 मिनट पर आखिरी सांस ली। शारदा सिन्हा की तबीयत सोमवार को अचानक बिगड़ी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उन्हें बिहार की ‘स्वर कोकिला’ भी कहा जाता था। शारदा सिन्हा ने तमाम छठ गीतों को अपनी आवाज दी थी। छठ के दौरान उनके गीत हर घाट में बजते रहे हैं और इस बार भी बजाए जा रहे हैं। बुधवार को पटना में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाल ही में पति का भी हुआ था निधन
डेढ़ महीने पहले ही 22 सितंबर को शारदा सिन्हा के पति बृजकिशोर सिन्हा का निधन ब्रेन हेमरेज के कारण हो गया था। इसके बाद से उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी। बीते दिनों उन्हें बोन मैरो कैंसर डिटेक्ट हुआ था। इसके बाद उनका इलाज एम्स दिल्ली के अंकोलॉजी मेडिकल डिपार्टमेंट में चल रहा था।
पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि- सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भोजपुरी गीतों से हुई थी शुरुआत
शारदा सिन्हा मुख्य तौर पर मैथिली और भोजपुरी में लोकगीत गाती थीं। उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था। 1978 में शारदा सिन्हा ने पहली बार उग हो ‘सूरज देव गाना’ रिकॉर्ड किया।
कहे तोहसे सजना, से की थी बॉलीवुड में एंट्री
1989 में उनका गाना ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां’ रिलीज हुआ और इसी गाने से उनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई। साथ ही इस गाने ने धूम मचाकर रख दी। शारदा सिन्हा ने समस्तीपुर वीमेन कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम भी किया है। उन्होंने छठ के अलावा शादी, मुंडन, जनेऊ, विदाई और श्रद्धांजलि के गीत भी गाए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छठ पर्व में बजते हैं उनके गाने
छठ पर्व हो और शारदा सिन्हा के गाने नहीं बजे ये संभव नहीं है। हर छठ घाटों पर शारदा सिन्हा के गाने बजते ही हैं। साथ ही कुछ साल पहले तक छठ के दिन और उससे कई दिन पहले से ही शारदा सिन्हा के लाइव शो बिहार में होते थे। मैथिली, मगही, भोजपुरी सहित तमाम भाषाओं में छठ गानों को शारदा सिन्हा ने गांव-गांव में लोकप्रिय बनाया।
होली और विवाह समारोह में भी उनके गानों की उपस्थिति
छठ पर्व के साथ-साथ होली और विवाह समारोह में शारदा सिन्हा के गानों की उपस्थिति रहती है। उनके गानों में वो सादगी होती है, जो किसी कमरे में बैठकर भी इंसान को बिहार के छठ घाटों तक पहुंचा दे। बाकी लोकगायिकाओं से इतर शारदा सिन्हा की खासियत यह रही है कि वो किसी भी भाषा के बंधन से आगे बढ़ती हुई पूरे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश साथ ही झारखंड के बड़े हिस्से में लोकप्रिय रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई पुरस्कारों से सम्मानित
शारदा सिन्हा को 1991 में पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है। 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2006 में वो राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवॉर्ड से सम्मानित हुईं। 2015 में बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सरकार पुरस्कार से नवाजा। 2018 में भारत सरकार ने शारदा सिन्हा को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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