आपदा पर गुमराह कर रही उत्तराखंड सरकार, पांच सौ से ज्यादा मार्ग बंद, चार माह बाद नींद से जागे सीएमः सूर्यकांत धस्माना
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि प्रदेश में पिछले चार महीनों से बारिश के कारण भयंकर आपदा आई हुई है। सरकारी तंत्र पूरी तरह सुप्त अवस्था में सोया रहा। जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है और मुख्यमंत्री केवल निर्देश दे रहे हैं। इनका भी कोई पालन नहीं कर रहा। अब अचानक सीएम नींद से जागते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में धस्माना ने कहा कि पूरे प्रदेश में साढ़े पांच सौ से ज्यादा मार्ग क्षतिग्रस्त हैं। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग व संपर्क मार्ग शामिल हैं। बरसात के कारण क्षतिग्रस्त सड़कों को खोलने व दुरुस्त करने के लिए जिस तेजी व युद्ध स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है, वो कहीं नजर नहीं आ रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ व केदारनाथ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग की बुरी गत बनी हुई है। अगस्तमुनि से लेकर गुप्तकाशी, कालीमठ, गौरीकुंड, सोनप्रयाग तक रास्तों का बुरा हाल है। बद्रीनाथ रूट पर जोशीमठ से ले कर बद्रीनाथ तक रास्ता बदहाल है। कोटद्वार से लेकर पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग व इसी तरह यमुनोत्री और गंगोत्री के यात्रा रूट भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि जब राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य राजमार्ग की यह दुर्दशा है तो अंदरूनी संपर्क मार्गों की तो कोई भी कल्पना कर सकता है । जिस तरह सरकार वनाग्नि को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम रही, उसी तरह बारिश के कारण आई आपदा से निपटने में भी सरकार पूरी तरह से फ्लॉप हुई है। अब जब बारिशें खत्म होने को हैं, तब मुख्यमंत्री मार्गों को खोलने के लिए निर्देश दे रहे हैं, जो हास्यास्पद है। क्योंकि अब बारिशों के बाद तो सड़कों को खोलने का रूटीन काम विभाग की ओर से हर साल किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों से प्रदेश के लोगों ने जो पीड़ा सही, उसकी जवाबदेही किसकी है। उसके लिए किसी को दंडित किया जाएगा या नहीं। धस्माना ने कहा की उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य है, जहां अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय व पूरा विभाग व आपदा प्रबंधन मंत्री है। अब यह विभाग ही राज्य की सबसे बड़ी आपदा बन गया है। क्योंकि गर्मियों में वनाग्नि की घटनाओं में ढाई हजार हैक्टेयर जंगल जल गए, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग का अता पता नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि बरसात में चार महीनों से सैकड़ों सड़कें बंद पड़ी हैं। विभाग की कोई जिम्मदारी नहीं तो ऐसे आपदा प्रबंधन मंत्रालय का होना ना होना एक समान है। मुख्यमंत्री को आपदा प्रबंधन विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनाी चाहिए जिनकी लापरवाही के कारण जंगलों में आग लगी और जो बंद पड़ी सड़कों को अब तक नहीं खोल पाए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।