ये बेस्ट इंजीनियर पक्षी बनाता है खूबसूरत घोसला, जड़ता है हीरे मोती, सबसे सुंदर घोसला बनाया तो दिल दे बैठेगी मादा
इंसान अपने आराम करने और नींद लेने के लिए एक छत की तलाश करता है। वह घर बनाता है और उसमें खुद को सुरक्षित महसूस करता है। इसी तरह कुत्ते और बिल्ली भी घर में सुरक्षित स्थान तलाशकर नींद पूरी तरहे हैं। हालांकि, जानवर अपने घर के लिए इंसान की तरह मेहनत नहीं करते हैं, लेकिन पक्षियों में ये समानता देखी जा सकती है। इनमें भी अलग अलग पक्षी अलग अलग तरह के सुरक्षित ठिकाने के लिए घोसले बनाते हैं, लेकिन एक पक्षी तो कमाल का इंजीनियर होता है। वह तो ऐसे घोसले बनाता कि उसमें अपना पूरा हुनर डाल देता है। आज हम आपको उसी के बारे आपको बताने जा रहे हैं। इस पक्षी का नाम है बया। सकता है आपको उसके झूलते हुए घोंसलों को भी देखने का सौभाग्य कभी हासिल हुआ हो। बया पक्षी को दुनिया भर में अपने सुंदर घोंसलों के लिए जाना जाता है। हीरे मोती के रूप में जुगनुओं की रोशनी से अपने घोंसले सजाने वाले ये पक्षी घर बनाने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत करते हैं। इसके पीछे भी एक खास वजह होती है। जो बेहद दिलचस्प है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आमतौर पर चिड़िया दो या तीन डालियों के जोड़ के स्थान पर घास फूस डालकर अपने घोषले बनाती हैं। वहीं, बया एक ही डाली पर झूलता हुआ घोंसला बना डालता है। ऐसे घोसलों में वह रहता भी है। अंडे भी देता है। उसके बच्चे जन्म भी लेते हैं। साथ ही वह झूला झूलने के लिए भी इन घोसलों का इस्तेमाल करता है। बया के घोंसले इतने खूबसूरत होते हैं कि रात में भी अलग से चमकते हैं। दरअसल ये डाली पर झूलते अपने घोंसलों पर गीली मिट्टी लगाकर इसमें जुगनुओं को लाकर चिपका देते हैं, जो रात में चमकते हैं। ऐसा लगता है कि घोसलों में हीरे और मोती लगे हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो से तीन मंजिल के घोसले
बया के घोंसले दो-तीन मंज़िल के हो सकते हैं। इन्हें बेहद बारीकी से बुना जाता है। दिलचस्प बात ये भी है कि परिवार के लोगों की संख्या के मुताबिक घोंसले में मंज़िलें बढ़ाई जाती हैं। अच्छी तरह से बुने घोंसले मजबूत तो होते ही हैं, ये बेहद सुंदर भी लगते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बेस्ट इंजीनियर को चुनती है मादा बया
अब ये सवाल ये है कि बया घोंसले पर मेहनत क्यों करते हैं। दरअसल बया ऐसे नस्ल की चिड़िया है, जिसमें नर ही कर्म करते हैं। ऐसे में वो घोंसले बनाते वक्त जब इसे आधा कर लेते हैं, तो मादा को खास किस्म की आवाज़ से अपनी ओर आकर्षित करते हैं। मादा बया अलग-अलग घोंसलों को जाकर देखती है और जो घोंसला उसे सबसे ज्यादा पसंद आता है, उसे चुनती हैं। घोंसले की लोकेशन, सुरक्षा और आराम देखकर ही मादा बया अपना पार्टनर चुनती हैं। लटकते हुए घोंसलों में दुश्मन नहीं आ सकते और इनके झूलते रहने में उन्हें मज़ा भी आता है। कई बार बया आराम करने के लिए अलग और मौज मस्ती के लिए अलग घोसला बनाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इतनी तरह के घोसले
पक्षियों का जगत बहत बड़ा है। इसमें हजारों किस्म के पक्षियां शामिल है। उसी तरह उनका घोंसला भी अलग अलग कलाकारी से भरा हुआ है। हर पक्षी अपना घोंसला बनाने के लिए हजार बार उड़ती हैं। वह चीजें इकट्ठा करके घर बनाने के लिए पूरा ताकत लगा देते हैं। ये घोंसले की आकृति, स्थिति और गठन दृष्टि से अलग किया हुआ कुछ नाम है। यहां हम ये जानकारी देने जा रहा हैं कि अलग अलग पक्षी अपने अनुकूल अलग अलग तरह के घोसले बनाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छोटा घोंसला
छोटा घोंसला दुनिया का सबसे छोटा पक्षी हमिंग बर्ड का है। यह अपना घोंसला पेड़ों के रेशम, मकड़ी के जाले, छोटे पत्ते और सड़े और गले पंख के अवशेष को इस्तेमल करके अपना प्यारा सा घर बनाता है। यह घोंसला लचीला होता है। जैसे ही अंडे से बच्चे निकल कर बड़े होने लगते हैं, वैसे ही घोंसला थोड़ा बड़ा हो जाता है। यह पक्षी अपने घोंसला को पत्तों से अच्छी तरह से सजा कर रखता है। करीब आठ दस दिन में यह अपना घर तैयार कर देता है। स्विफ्ट लेड बर्ड अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के पहाड़ी पर मिलती हैं। यह पक्षी अपने लार से ही अपना घोंसला बनाता है। इनका बनाया घोसला ऐसा इकलौता घोसला है, जिसे इनसान खाने में इस्तेमाल करता है। यह घोंसले बेहद कीमती होने के कारण पंछियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। फल स्वरूप इनकी तादात में तेजी से गिरावट हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बड़ा घोंसला
इस तरह का घोंसला चील, कौवा, सारस जैसे बड़े पंछी बनाते हैं। ये पेड़ के छोटे टहनियां और झाड़ियों का इस्तेमाल कर अपना घोंसला बनाते हैं। यह घोंसला काफी बड़ा रहता है। चील अपना घोंसला ऊंचे पहाड़ी या ऊंची पेड़ पर ही बनाता है। यह अपना घोंसला हर साल बढ़ाता रहता है। अगर वहां कोई बाहरी आक्रमण ना हो तो। चील का घोंसला सबसे बड़ा तथा भारी रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गुहा घोंसला
पेड़ या पत्थर के कमजोर हिस्से को चोंच से कुरेद कर बनाए गए घोंसले को गुहा घोंसला कहा जाता है। तोता, उल्लू, मैना, कठ्फोड़बा, रमचिरेईया आदि प्रजाति के पक्षी पेड़ तथा पहाड़ के गोहे में अपना घोंसला बनाते हैं।
लटकता हुआ घोंसला
लटकता हुआ सुंदर सा घोंसला वेबर बर्ड यानी बया पक्षी का होता है। ये चिड़िया कॉलोनी बनाकर रहते हैं। पेड़ के टहनी में ये अपना घर बनाते हैं। सारे पक्षियों में से यह सबसे आकर्षक घोंसला बनाने में माहिर जाने जाते हैं। इस घोंसले में पानी बिल्कुल नहीं गिरता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तैरने वाला घोंसला
यह घोंसला पानी में तैरने वाले पक्षियां बनाते हैं। हंस और बटेर की सारे प्रजाति इसी तरह से अपना घोंसला बनाते हैं।
मिट्टी से बने घोंसला
अबाबिल (clay swallow)पक्षी अपनी घोंसला मिट्टी से बनाता है। यह चिड़िया काफी मेहनत से अपना घर बनाता है। वह मिट्टी के साथ छोटी झाड़ी और पत्तों का इस्तेमाल करता है। यह घर काफी बारिश से भी गलता नहीं है। और तूफान इसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जटिल दिखने वाले घोंसला
जटिल दिखने वाले घोंसला बनाने में भी जटिल होता है। यह घोंसला बया पक्षी की कुछ विदेशी प्रजातियां बनाती हैं। साउथ अफ्रीका, नामीबिया, बोटस्वाना आदि देशों में ऐसे घोसले देखने को मिलते हैं। इन पक्षियों की एक कॉलोनी में करीब आठ सौ से हजार या उससे अधिक पंछी रहते हैं। इनके घोंसले एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जमीन पर घोंसला
मुर्गी, बतख, शुतुरमुर्ग, एमु आदि पक्षी जमीन पर अपना घोंसला बनाते हैं। जमीन पर घोंसला बनाने के कारण इन पक्षियों को काफी जोखिम उठाना पड़ता है। कुत्ते, बिल्ली, सांप, बड़ी चिपकली आदि शिकारी खाने के तलाश में इनके अंडे और बच्चे खा जाते हैं। मुर्गी, बतख, एमु और मोर जमीन पर पत्ते और झाड़ियों के इस्तेमाल कर के अपना घोंसला बनाते हैं। शुतुरमुर्ग अपना घोंसला रेत पर ही बनाता है और अपने अंडे की सुरक्षा खुद बहादुरी से करता है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।