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November 11, 2024

वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पास नहीं करा पाई सरकार, जेपीसी के पास भेजा, सवाल- क्या कमजोर पड़ गई मोदी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2014 से लेकर 2024 तक के दस साल के कार्यकाल में जहां संसद में चुटकियों में ढेरों बिल पास हो जाते थे, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार सदन में कमजोर पड़ गई है। क्योंकि, पिछले उदाहरणों को तो देखा जाए तो सरकार ने ढेरों बिल बगैर चर्चा के ही पारित कर दिए थे। अबकी बार विपक्ष भी मजबूत है। ऐसे में सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। क्योंकि सरकार विधेयक को लेकर मतदान कराने से डरी नजर आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसका ताजा उदाहरण गुरुवार लोकसभा में लोकसभा में पेश किए गए वक्फ से जुड़े दो विधेयक हैं। पहले विधेयक में मुसलमान वक्फ कानून 1923 को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया। दूसरे विधेयक में वक्फ कानून 1995 में बड़े बदलाव का प्रस्ताव किया गया। बिल के जरिए मौजूदा कानूनों में करीब 40 संशोधन किए गए। 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव है। इन दोनों बिलों को सरकार लोकसभा में पास नहीं करा पाई। विपक्षी दलों के कड़े विरोध के चलते इसे जेपीसी के पास भेजा गया है। हालांकि, कोई भी विधेयक जेपीसी के पास भेजने का मतलब है कि उस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए। क्योंकि इससे पहले जब भी किसी विधेयक में ऐसी नौबत आई, तो मामला ठंडे मामले में पड़ गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हालांकि, लोकसभा में जेडीयू और टीडीपी जैसे सहयोगी दलों ने इस बिल को लेकर सरकार का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई, लेकिन टीडीपी ने सशर्त समर्थन जैसी बात की और इसे जेपीसी को भेजने का सुझाव दिया।  भितरखाने कई सहयोगी दलों के सांसदों के भी इसे लेकर विचार अलग हैं। जेडीयू और टीडीपी दोनों ही दल मुस्लिम मतों को रिझाने की राजनीति करते आए हैं। ऐसे में इस बिल को जेपीसी को भेजने की पटकथा पहले ही लिख दी गई थी। ऐसा राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, लेफ्ट, एनसीपी शरद पवार गुट और AIMIM जैसे दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। सरकार दावा कर रही है कि इन बदलावों के जरिये वो वक्फ कानून को बेहतर और बोर्ड को जवाबदेह बना रही है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सरकार ये समझाने की कोशिश कर रही है कि इस विधेयक से मुस्लिमों का भला होगा। विपक्ष मानने को तैयार नहीं दिख रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

टीडीपी सांसद ने भी संसदीय समिति को भेजने का दिया सुझाव
टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी ने कहा कि अगर विधेयक संसदीय समिति को भेजा जाता है, तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वक्फ दानदाताओं के उद्देश्य की रक्षा की जानी चाहिए। जब ​​उद्देश्य और शक्ति का दुरुपयोग होता है तो सुधार लाना और प्रणाली में पारदर्शिता लाना सरकार की जिम्मेदारी है। बालयोगी ने कहा कि वह सरकार के इस प्रयास का समर्थन करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बालयोगी ने आगे कहा कि हमारा मानना ​​है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण से देश के गरीब मुसलमानों और महिलाओं को मदद मिलेगी और पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि अगर विधेयक को आगे परामर्श के लिए संसद की समिति के पास भेजा जाता है, तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर गलतफहमी दूर करने, गलत सूचना को रोकने और विधेयक के उद्देश्य से अवगत कराने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है, तो हमें इसे प्रवर समिति को भेजने में कोई समस्या नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सपा और डीएमके ने भी किया विरोध
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध किया। सपा सांसद मोहिबुल्लाब ने कहा कि मेरी मजहब के मुताल्लिक जो चीजें हैं उस पर सरकारी अमले को हक दिया है। उन्होंने मजहब में दखलंदाजी का आरोप लगाया। सपा सांसद ने कहा कि इससे मुल्क की साख को नुकसान पहुंचेगा। वहीं, डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि यह बिल अनुच्छेद 30 का सीधा उल्लंघन है जो अल्पसंख्यकों को अपने संस्थानों का प्रशासन करने से संबंधित है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को टारगेट करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बिल का असदुद्दीन ओवैसी ने भी विरोध किया
वहीं, इस विधेयक का AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी विरोध किया है। ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। यह विधेयक भेदभावपूर्ण और मनमाना दोनों है। इस विधेयक को लाकर आप (केंद्र सरकार) देश को जोड़ने का नहीं बल्कि बांटने का काम कर रहे हैं। यह विधेयक इस बात का सबूत है कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

किरेन रिजिजू ने पेश किया था विधेयक
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार दोपहर 1 बजे वक्फ कानून में संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया। बिल पेश होते ही जैसा कि पूर्वानुमान था कि हंगामा होगा और वही हुआ। स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष का हंगामा किसी तरह शांत कराया, तब जाकर इस पर चर्चा शुरू हुई। सदन में छोटी सी चर्चा के बाद दोपहर करीब 3 बजे ये बिल जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। यानी फिलहाल ये बिल संसदीय प्रक्रिया और दांव पेच में अटक गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पेश किए गए थे ये दो विधेयक
सरकार ने लोकसभा में वक्फ से जुड़े दो विधेयक पेश किए थे। पहले विधेयक में मुसलमान वक्फ कानून 1923 को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया। दूसरे विधेयक में वक्फ कानून 1995 में बड़े बदलाव का प्रस्ताव किया गया। लोकसभा में पेश विधेयक को Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act 1995 नाम दिया गया है। हिंदी में सरकार इसे ‘उम्मीद’ का नाम दे रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नए विधेयक में ये हैं बदलाव
-बिल के जरिए मौजूदा कानूनों में करीब 40 संशोधन किए गए। 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव है।
-वक्फ बोर्ड जिस संपत्ति पर दावा करेगा, उसके लिए सत्यापन अनिवार्य होगा। बोर्ड पर अधिकारों का दुरुपयोग कर किसी भी प्रॉपर्टी को वक्फ की घोषित करने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन नए कानून में ऐसा नहीं होगा।
-वक्फ संपत्तियों के सत्यापन का अधिकार डीएम के पास होगा। यानी डीएम तय करेंगे कि प्रॉपर्टी वक्फ की है या नहीं।
-वक्फ बोर्ड में महिला प्रतिनिधि को शामिल करना अनिवार्य होगा।
-शिया और सुन्नी की तरह बोहरा और आगाखानी समुदाय के लिए अलग वक्फ बोर्ड होगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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