एक प्रदेश एक प्रवेश के क्रियान्वयन में उत्तराखंड शासन लाचारः डॉ. सुनील अग्रवाल
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष और अखिल भारतीय अनऐडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने प्रदेश में एक प्रदेश एक प्रवेश नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शैक्षिक सत्र के नियमन के लिए प्रदेश सरकार की ओर से गत सत्र से एक प्रदेश एक प्रवेश एक परीक्षा नीति के तहत प्रवेश प्रारंभ किए गए थे। उक्त नीति को लागू करते हुए यह दूसरा वर्ष है, लेकिन अभी तक प्रदेश की सिर्फ तीन विश्वविद्यालयों को ही इसमें शामिल किया गया है। प्रदेश में तीन विश्वविद्यालय के अलावा कई अन्य सरकारी और निजी विश्वविद्यालय कार्यरत हैं। इसलिए जब तक इसमें सभी विश्वविद्यालयों को शामिल नहीं किया जाता तब तक एक प्रदेश एक प्रवेश अपने नाम को सार्थक नहीं करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्र में प्रदेश शासन द्वारा तीन विश्वविद्यालयों के लिए समर्थ पोर्टल के माध्यम से प्रवेश के लिए 31 मई की तिथि आवेदन के लिए निर्धारित की गई है। शासन के अधिकारियों को मालूम होना चाहिए कि बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्सों में छात्र तभी प्रवेश लेते हैं, जब उन्हें अन्य प्रोफेशनल कोर्सों में प्रवेश नहीं मिल पाता। अभी प्रोफेशनल कोर्सों के लिए प्रवेश प्रक्रिया कहीं प्रारंभ हुई या कहीं चल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसी स्थिति में समर्थ पोर्टल के लिए कम संख्या में छात्रों की ओर से आवेदन स्वाभाविक है। गत वर्ष भी प्रारंभ में छात्रों की कम संख्या को देखते हुए समर्थ पोर्टल में आवेदन की तिथि कई बार बढ़ानी पड़ी थी। गत सत्र की स्थिति से सबक लेते हुए पहले से ही समर्थ पोर्टल में आवेदन की तिथि अगस्त प्रथम सप्ताह तक रखी जानी चाहिए थी। अब जबकि प्रवेश के लिए आवेदन कम हुए हैं तो शासन की ओर से उक्त तीन विश्वविद्यालयों से संबंधित सभी कॉलेजों के लिए एक आदेश जारी हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसमें समर्थ पोर्टल के प्रचार प्रसार में जनप्रतिनिधियों पंचायत प्रतिनिधियों और व्यापार संगठन के सहयोग के लिए उच्च शिक्षा सचिव की ओर से तीनों विश्वविद्यालय को 17 मई को पत्र भेजा गया। विश्वविद्यालय द्वारा संबद्ध कॉलेजों को 20 मई को उक्त आशय का पत्र भेजा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसमें कहा गया है कि समर्थ पोर्टल से प्रवेश प्रक्रिया के लिए व्यापक रूप से प्रचार प्रसार किया जाए और इसमें पंचायत सदस्यों स्थानीय प्रतिनिधियों और व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों से संपर्क किया जाए। यानी शासन और प्रशासन समर्थ पोर्टल में प्रवेश प्रक्रिया करवाने में इतना लाचार हो चुका है कि उसके प्रचार प्रसार के लिए व्यापार मंडल को लगाया जाएगा। इससे साफ जाहिर है कि समर्थ पोर्टल से प्रवेश के लिए निर्धारित 31 मई की तिथि किसी भी तरह से उपयुक्त एवं व्यवहारिक नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों को समर्थ पोर्टल की प्रवेश प्रक्रिया में शामिल करने और प्रवेश की तिथि व्यवहारिक निर्धारित करने के लिए शीघ्र संगठन का प्रतिनिधिमंडल माननीय उच्च शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव से भेंट करेगा। उस दौरान यह मांग रखी जाएगी की सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालय को उक्त प्रक्रिया में शामिल किया जाए। अन्यथा एक प्रदेश एक प्रवेश की नीति संदेहास्पद ही रहेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।