75वां श्री रामलीला महोत्सवः राम ने तोड़ा धनुष, परशुराम की तपस्या हुई भंग, गली गली से होकर निकली राम बारात

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राजपुर क्षेत्र में आदर्श रामलीला समिति की ओर से इस बार रामलीला महोत्सव का 75 वां हीरक जयंती साल है। श्री रामलीला महोत्सव के तीसरे दिन राम ने शिव धनुष तोड़ा तो क्रोध से परशुराम की तपस्या भंग हो गई। फिर किसी तरह राम उनके क्रोध को शांत करते हैं और फिर राम विवाह संपन्न होता है। राजपुर में रामलीला का मंचन रात करीब साढ़े नौ बजे से शुरू होता है, लेकिन रविवार को रामलीला का मंचन अपराह्न करीब तीन बजे से शुरू किया गया। बाद में राजपुर क्षेत्र में राम बारात के रूप में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा को देखने के लिए सड़क किनारे लोगों की भीड़ उमड़ गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धनुष तोड़ने पहुंच गया था रावण
राजपुर में लीला के तीसरे दिन जनकपुर में महर्षि विश्वामित्र (शमशेर सिंह) के साथ कुमार राम (उपदेश भारती) और लक्ष्मण (गणेश भारती) भी जनक दरबार में पहुंचे। जहां सीता (संगीत) स्वयंवर में जोर आजमाने के लिए अनेक राजा पहुंचे थे। वहीं, बिना आमंत्रण के ही अहंकार से भरे रावण के जनकपुर आगमन पर शिवभक्त बाणासुर (चरण सिंह) ने रावण को नीति और ज्ञान का उपदेश देकर समझाया। अहंकारी रावण (दिनेश रावण) कहां मानने वाला था। सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़ने के लिए तैयार रावण को आकाश वाणी के कारण वापस लंका लौटना पड़ा। धनुष यज्ञ में जब कोई भी राजा ने शिव धनुष को हिला भी नहीं पाये तो हताश और निराश होकर राजा जनक (बाबूलाल) द्वारा रुष्ट होकर व्यथा व्यक्त की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जब कोई धनुष नहीं तोड़ पाता है तो जनक दुखी मन से कहते हैं कि- क्षत्रीय वंश का हो गया खात्मा, ना तो योद्धा रहे ना धर्मात्मा। यानि क्या इस धरती पर कोई क्षत्रीय नहीं है, जो धनुष को उठा सके। मिथिलेश जनक (बाबू लाल) के इस गीत को सुनकर लक्ष्मण का क्रोध सातवें आसमान में पहुंच जाता है। राम लक्ष्मण को समझाते हैं। लक्ष्मण क्रोध में कहते हैं कि वह चाप सहित धनुष को एक अंगुली से उठाकर ब्रह्मांड में फेंक सकते हैं। इसके सौ टुकड़े कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राम ने तोड़ा धनुष, सीता ने पहनाई जयमाल
विश्वमित्र की आज्ञा से राम शिव आराधना के साथ ही शिवधनुष को उठा देते हैं और धनुष धमाके के साथ टूट जाता है। इसके बाद दुलारी सीता (संगीत) ने राम के गले में जय माला डाल कर श्री राम का वरण किया। राम को सीता ने जैसे ही जयमाल पहनाई, तो वातावरण खुशी से भर गया। ये खुशी कुछ ही क्षण की थी। क्योंकि….(खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भंग हुई परशुराम की तपस्या, क्रोध पहुंचा सातवें आसमान पर
शिव भक्त परशुराम तपस्या में लीन थे। शिव का धनुष टूटते ही उनकी तपस्या भी भंग हो गई। इस दृष्य को काफी शानदार तरीके से दर्शाया गया। शिव धनुष भंजन की झंकार से क्रोधित भार्गव परशुराम (चरण सिंह) ने राजा जनक की सभा में पहुंच कर अपने भयानक क्रोध का इजहार किया। साथ ही शिव धनुष तोड़ने वाले को अपने सामने प्रस्तुत करने को राजा जनक से कहा। इस दौरान राम की विनम्रता से उन्हें समझाते हैं कि धनुष भंजन करने वाला आपका ही दास है। जब परशुराम बार बारा क्रोधित होते हैं तो लक्ष्ण उन्हें चिढ़ाकर और परेशान कर देते हैं। परशुराम अति क्रोधित होकर बार बार लक्ष्मण को अपना फरसा दिखाने लगे, तभी अयोध्या कुमार राम ने परशुराम को अपना पूर्ण परिचय देकर अपने विष्णु अवतार का अहसास कराया। परशुराम राम के चरणो मे गिर गये। हरिद्वार से आए हारमोनियम पर श्रीओम अग्रवाल, तबले पर राजन साजन मिश्रा के शिष्य पारितोष शर्मा ने सहयोग किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निकाली राम बारात, घोड़े पर सवार हुए चारों राजकुमार
इसके पश्चात श्री राम सीता विवाह की भव्य शोभायात्रा में दूल्हा बने कुमार राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों राजकुमार सजे हुए घोड़ो पर रथ पर सवार हुए। पिता दशरथ, गुरु वशिष्ठ,म हर्षि विश्वामित्र, मंत्री सुमंत के साथ गाजे बाजों के साथ शोभायात्रा शहनशाही आश्रम से प्रारंभ हो कर चौक बाजार, बिरगिरवाली होते हुए ढाकपटटी, राजपुर से होकर पुनः श्री रामलीला मंचन स्थल पर पहुंचे। जहां वेद मंत्रों के साथ सीता राम का विवाह संपन्न हुआ। सीता राम के विवाह के उपलक्ष्य में रामलीला स्थल पर ही श्री राम बारात में पधारे सभी दर्शकों का भण्डारा प्रसाद से स्वागत किया गया। राजपुर वासियों ने भगवान श्री राम की बारात की शोभा यात्रा का भव्य स्वागत किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संस्था के प्रधान योगेश अग्रवाल ने राम के विवाह के उपलक्ष्य में भंडारे में लोगों को आमंत्रित किया। रामलीला मंचन के दौरान अतिथियों में समाजसेवी इं. प्रेम प्रकाश शर्मा, दिल्ली से पधारे सुरेश कुमार सिंघल, देहरादून के समाजसेवी डॉ. एन के अग्रवाल ने रामलीला मंचन के दृश्यों की सराहना की। निर्देशक शिवदत्त अग्रवाल व अन्य पदाधिकारियों ने समारोह में अन्य अतिथियों में समाजसेवी विजय अग्रवाल, निवर्तमान पार्षद उर्मिला थापा, कमल अग्रवाल का स्वागत सम्मान भी किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समारोह के आयोजन में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर के संरक्षक विजय जैन, जय भगवान साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, मंत्री अजय गोयल, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल, आडिटर ब्रह्म प्रकाश वेदवाल, स्टोर कीपर वेद प्रकाश साहू, डॉ. विशाल अग्रवाल, अमन अग्रवाल, ऊषा देवी साहू, विभू वेदवाल, मोहित अग्रवाल, उमादेवी, सुभाष कन्नौजिया, अमित रावत, विनय शर्मा, तनु वेदवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।