दून अस्पताल से हटाए जा रहे हैं 462 उपनलकर्मी, कांग्रेस ने की निंदा, जल्द समायोजन की मांग
उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी ने राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल से उपनल के माध्यम से सेवायोजित विभिन्न संवर्ग के 462 कर्मचारियों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाए जाने पर कड़ा एतराज जताया।

उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आउटसोर्स की सेवाएं ली गई थी। इनके जरिये कार्यरत कर्मियों को अब 31 मार्च के बाद से हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने इन 462 उपनल कार्मिकों को मझधार में छोड़ दिया है। कांग्रेस पार्टी भाजपा सरकार के इस कृत्य की निंदा करती है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब पूरी मानवता कराह रही थी, उस समय अपनी जान जोखिम में डाल कर अस्पतालों में उपनल के जरिए स्वास्थ्य कर्मचारी आगे आए थे। अब कोरोना के मामले कम होते ही अस्पताल प्रशासन ने इन कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इन कर्मचारियों की सेवाएं जारी रखने के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं पहले ही बुरी स्थिति में हैं। खासकर दून अस्पताल में इन कार्मिकों ने पूरे कोरोना काल में मुस्तैदी से अपनी सेवाएं दी और अब उन्हें निराश कर घर भेजा जा रहा है। यह स्थिति बेहद निराशाजनक है। सरकार को तत्काल इन कार्मिकों के साथ न्याय करना होगा। अन्यथा कांग्रेस पार्टी उनके किसी भी आंदोलन का पुरजोर समर्थन करेगी।
महर्षि ने कहा कि बुरे दौर में सेवा देने वाले इन कोरोना योद्धाओं को अब स्थिति सामान्य होने पर इस तरह बेसहारा छोड़ देना किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार शायद चुनाव खत्म होने का इन्तज़ार कर रही थी। इससे यह जाहिर होता है कि भाजपा की नौजवानों को रोजगार देने की कोई मंशा नहीं है बल्कि रोजगार छीनने पर आमादा है। महर्षि ने कहा कि पहले ही उत्तराखण्ड में बेरोजगारी भयावह रूप ले चुकी है। डबल इंजन सरकार के कारनामों का ही नतीजा है कि देशभर में शहरी बेरोजगारी के मामले में छोटा सा राज्य उत्तराखंड चौथे स्थान पर दर्ज है। यही हाल रहा तो उत्तराखंड पहले स्थान पर होगा। भाजपा की यही एकमात्र उपलब्धि है।