सुरंग में 41 श्रमिक, मशीन खराब, रेस्क्यू बाधित, बर्फबारी का खतरा, बाहर निकालने में लग सकता है लंबा समय
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के अभियान का आज रविवार 26 नवंबर को 15 वां दिन है। इन्हें निकालने के लिए पहुंचाई जाने वाली 80 सेंटीमीटर व्यास की आखिरी 10 मीटर की पाइप बिछाने का काम पिछले तीन दिनों से नहीं हो पाया है। कारण ये है कि ड्रिल करने वाली ऑगर मशीन में बार-बार समस्या आ रही है। मशीन खराब हो चुकी है। इसके ब्लेड टूट चुके हैं। ऐसे में मशीन से मशीन से 47 मीटर तक पाइप डालने के बाद काम रुका पड़ा है। वहीं, करीब 10 मीटर का काम ही शेष था। इस बीच आगर मशीन बाहर निकालने के बाद मैनुअल ड्रिलिंग की योजना बनाई जा रही है। ऐसे में काफी लंबा वक्त लग सकता है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने क्रिसमस तक श्रमिकों के निकलने की उम्मीद जता रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद उत्तरकाशी में डेरा जमाए हुए हैं। वह रेस्क्यू कार्य का निरंतर जायजा ले रहे हैं। साथ ही मातली में अस्थायी कैंप कार्यालय से कामकाज भी निपटा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मौसम हो सकता है खराब, आ सकती है दिक्कत
इस बीच भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार 27 नवंबर को उत्तराखंड के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग ने सोमवार भारी बारिश के साथ बर्फबारी की चेतावनी दी है। इसकी वजह से बचाव अभियान में और मुश्किलें आ सकती हैं। ऐसे में टनल में फंसे श्रमिकों को निकालने के अभियान में चुनौती कम होने वाली नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्रिसमस तक श्रमिकों के निकलने की उम्मीद
दो दिन पहले तक लग रहा था कि कुछ ही घंटों में श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा। कारण ये था कि सिर्फ 10 से 15 मीटर तक सुरंग में और पाइप डाला जाना था। इसी पाइप के जरिये श्रमिकों को बाहर निकाला जाना था। वहीं, खुदाई करने वाली आगर मशीन के खराब होने से 24 नवंबर से खुदाई का काम नहीं हो पाया है। ऐसे में उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में अभी कुछ और समय लग सकता है। ऑगर मशीन के फिर से अटकने के बाद अब मैनुअल ड्रिलिंग की योजना बनाई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने क्रिसमस तक श्रमिकों के निकलने की उम्मीद जताई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का ये है मानना
सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल’ करने में इस्तेमाल ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसने से काम बाधित होने के बाद दूसरे विकल्पों पर विचार किए जाने के बीच शनिवार को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने उम्मीद जताई कि पिछले 14 दिन से फंसे 41 श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे। शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ड्रिलिंग का काम बाधित रहा। हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने मीडियाको बताया कि ऑगर मशीन खराब हो गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिलहाल तय नहीं है समय सीमा, सिर्फ अंदाजा
एक्सपर्ट का कहना है कि ऑगर मशीन को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हम अपने काम करने के तरीके पर पुनर्विचार कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी 41 लोग लौटेंगे। जब डिक्स से इस संबंध में समयसीमा बताने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा- मैंने हमेशा वादा किया है कि वे क्रिसमस तक घर आ जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन दो विकल्प पर हो रहा विचार
अब रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत अधिकारी दो विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इनमें पहला ये है कि मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से हटाया जाए। या फिर सुरंग के ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग कर फंसे श्रमिकों तक पहुंचा जाए। इन दोनों की काम में लंबा वक्त लग सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में लंबा समय लग सकता है। हाथ से ड्रिलिंग (मैनुअल ड्रिलिंग) के तहत श्रमिक बचाव मार्ग के अब तक खोदे गए 47-मीटर हिस्से में प्रवेश कर एक सीमित स्थान पर अल्प अवधि के लिए ड्रिलिंग करेगा और उसके बाहर आने पर दूसरा इस काम में जुटेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, निर्धारित निकासी मार्ग में फंसे उपकरण को बाहर लाते ही फिर से खुदाई का कार्य शुरू हो सकता है। हॉरिजोंटल ड्रिलिंग के लिए भारी उपकरणों को शनिवार को 1.5 किलोमीटर की पहाड़ी सड़क पर ले जाया गया। इस मार्ग को सीमा सड़क संगठन द्वारा कुछ ही दिनों में तैयार किया गया है। यह प्रक्रिया अगले 24 से 36 घंटे में शुरू हो सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि अब जिन दो मुख्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें से यह सबसे तेज विकल्प है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिलहाल ये है स्थिति
अब तक मलबे में 46.9 मीटर का क्षैतिज मार्ग बनाया गया है। सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है। मलबे में फंसे मशीन के ब्लेड के लगभग 20 हिस्से को काट दिया गया है और शेष काम पूरा करने के लिए हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर हवाई मार्ग से लाया जा रहा है। इस काम के पूरा होने पर मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छह इंच पाइप से भेजी जा रही हैं आवश्यक सामग्री
श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए श्रमिकों को खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं। पाइप का उपयोग करके एक संचार प्रणाली स्थापित की गई है और श्रमिकों के रिश्तेदारों ने उनसे बात की है। इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है, जिससे बचावकर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राज्य में शुरू किए गए बचाव अभियान के बारे में हर रोज अपडेट ले रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है। इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चल रहा है। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये टनल बनाई जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम धामी निरंतर ले रहे हैं जायजा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके का निरंतर जायजा ले रहे हैं। शनिवार को भी मुख्यमंत्री ने टनल में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने ऑगर मशीन की स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि पाइप में फंसी ऑगर मशीन को अतिशीघ्र निकाला जाए। ऑगर मशीन को निकालने हेतु जो मशीन या टेक्नोलॉजी का इस्तमाल हो, उसे अतिशीघ्र मंगवाया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भोजन की गुणवत्ता की जांच
मुख्यमंत्री ने टनल में फंसे श्रमिकों को भेजे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच भी की। उन्होंने श्रमिकों को भोजन भेजने की विधि को भी जाना। उन्होंने कहा श्रमिकों की हर मांग को प्रथमिकता से लिया जाए। एवं जो सामग्री संभव हो उन्हें भेजा जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
श्रमिकों से की बात
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टनल में एसडीआरएफ द्वारा स्थापित ऑडियो कम्युनिकेशन सेटअप के माध्यम से अंदर फंसे श्रमिकों में से गब्बर सिंह, सबाह अहमद, अखिलेश से बात कर सभी मजदूरों के बारे में जानकारी ली। साथ ही उनकी हौसला आफजाई की। मुख्यमंत्री ने वार्ता के दौरान कहा कि देश एवं दुनिया के विशेषज्ञ मदद हेतु दिन रात काम में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। वह प्रत्येक दिन स्वयं जानकारी जुटा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किसी भी दिक्कत पर करें सूचित
मुख्यमंत्री ने अंदर फंसे श्रमिकों में से कहा कि कोई भी दिक्कत होने पर अधिकारियों को सूचित करें। उन्होंने कहा आप सभी को जल्द ही बहार निकाल लिया जाएगा। पूरा देश आपके साथ खड़ा है। केंद्र एवं राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि सभी श्रमिकों को शीघ्र और सुरक्षित बाहर निकाला जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार एवं उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस संधु, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय( भारत सरकार) के सचिव अनुराग जैन, एमडी एनएचआईडीसीएल महमूद अहमद, कमिश्नर गढ़वाल मंडल विनय शंकर पांडे, रेस्क्यू आभियान के समन्वयक सचिव डॉ. नीरज खैरवाल, पीएमओ उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, विधायक संजय डोभाल, विधायक सुरेश चौहान, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी, जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।