एम्स ऋषिकेश में 25 लोगों ने स्वेच्छा से लिया अंगदान का संकल्प, क्यू-आर कोड आधारित पंजीकरण शुरू
प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि समाज को जागरूक कर हमें यह मिथक तोड़ना होगा कि अंगदान करने से अगले जन्म में विकार पैदा हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि हम आम लोगों को अंगदान की जरूरत के बारे में विस्तृत तरीके से समझाएं और अंगदान करने के प्रति लोगों में हिचकिचाहट दूर कर उन्हें अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करें। डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने अंगदान को जीवन का सबसे बड़ा दान बताया। उन्होंने कहा कि अंगदान करने वाला व्यक्ति दूसरों का जीवन बचाकर हमेशा के लिए अमर हो जाता है। चिकित्सा विज्ञान ने अंगदान के क्षेत्र में सुधार कर सभी मिथकों को समाप्त कर दिया है। अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने बताया कि जागरुकता कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के 25 लोगों ने अंगदान करने हेतु फार्म भरा है। उनकी इच्छा है कि उनके निधन के बाद उनके अंग जरूरतमंद व्यक्तियों को दान कर दिए जाएं। डॉ.मित्तल ने कहा कि अंगदान करने के लिए व्यक्ति का स्वस्थ होना जरूरी है। अंगदान करने वाले व्यक्ति को एचआईवी, कैंसर, डायबिटीज, किडनी और हृदय रोगों से पीड़ित नहीं होना चाहिए। कहा कि अंगदान दो तरह से किया जा सकता है। पहला यह कि जब इंसान का ब्रेन डेड हो जाए लेकिन दिल का धड़कना बंद नहीं हुई हो, ऐसे लोग अपने ऑर्गन डोनेट कर सकते हैं। दूसरा यह कि हेड इंजुरी, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित वह व्यक्ति जिसका ब्रेन डैमेज हो चुका हो वह भी अंगदान कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से रोगियों और उनके तीमारदारों को अंगदान करने हेतु जागरूक कर उन्हें विस्तार से समझाया गया। मूत्ररोग विभाग, गुर्दा रोग और कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग डॉ. स्मृति अरोड़ा, यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विकास पंवार, नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. संदीप सैनी, गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. निर्झर राकेश, चीफ नर्सिंग ऑफिसर रीटा शर्मा, डॉ. हर्षित, डॉ. गौतम व नर्सिंग अधिकारियों सहित 150 से अधिक मरीज और उनके तीमारदार मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्यू-आर कोड आधारित पंजीकरण करने वाला उत्तराखंड का पहला अस्पताल बना एम्स
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट (आभा) के क्यूआर कोड आधारित काउंटर सुविधा का विधिवत लोकार्पण किया। इसके साथ ही एम्स ऋषिकेश उत्तराखंड का आभा क्यूआर कोड आधारित पहला अस्पताल बन गया है। जहां अस्पताल में आने वाले ऐसे मरीजों को क्यूआर कोड आधारित पंजीकरण सुविधा का लाभ मिल सकेगा,जिनके मोबाईल पर आभा एप उपलब्ध हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एम्स के ओपीडी पंजीकरण परिसर में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह ने संस्थान में उपचार कराने के लिए आने वाले मरीजों की सुविधा के लिए आभा के क्यूआर कोड बेस रजिस्ट्रेशन काउंटर का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने एम्स संस्थान की इस पहल की सराहना की और इसे मरीजों के लिए बेहद लाभकारी बताया। काबीना मंत्री डा. रावत ने कहा कि इससे उत्तराखंड में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को और अधिक बल मिलेगा। जिसके तहत मरीजों की आभा आईडी भी बनाई जाएगी, लिहाजा इससे उन्हें अस्पताल में पंजीकरण कराने के लिए लंबी लाईनों से निजात मिलेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि इस व्यवस्था के तहत संस्थान में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को एम्स के प्रवेश द्वारा गेट नम्बर- 3 पर ही क्यूआर कोड के माध्यम से मोबाईल से आभा एप डाउनलोड कर एम्स हॉस्पिटल का क्यूआर कोड स्कैन करना होगा। एप डाउनलोड करने के बाद उसे मोबाईल कैमरे द्वारा अस्पताल की दीवार पर प्रदर्शित क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उनके मोबाईल एप पर ओपीडी का पंजीकरण नम्बर आएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि यह पंजीकरण टोकन नंबर ओपीडी एरिया के संबंधित काउंटर पर मौजूद डिस्पले बोर्ड पर भी प्रदर्शित होगा। मरीज द्वारा इस टोकन नम्बर को ओपीडी काउंटर पर मौजूद कर्मचारी को दिखाने पर मरीज अपना ओपीडी परामर्श के लिए पर्चा तत्काल प्राप्त कर सकता है। इस दौरान आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के समन्वयक कमल जुयाल ने मंत्री धन सिंह को आभा के क्यूआर कोड आधारित पंजीकरण के विषय में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही इस दौरान उन्होंने आभा के क्यूआर कोड बेस रजिस्ट्रेशन का डैमो भी दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में एम्स की डीन एकेडमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी, अस्पताल के अपर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अंशुमन दरबारी, नोडल ऑफिसर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन डॉ. मोहित भाटिया, डीएमएस डॉ. पूजा भदौरिया, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल,आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के समन्वयक कमल जुयाल,आईटी विभाग से संचित गर्ग, खिलानंद थपलियाल, त्रिलोक खरोला आदि मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुस्तकालयों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
केंद्रीय पुस्तकालय एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार देर शाम संपन्न हो गया। इस दौरान समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य के स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार के अधीन संचालित सभी मेडिकल कॉलेजों के पुस्तकालयों को शीघ्र ही एम्स के केन्द्रीय पुस्तकालय से सम्बद्ध किया जाएगा, ताकि मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को एम्स की चिकित्सा शिक्षा से लाभ मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देश के विभिन्न मेडिकल कॉलजों और अन्य संस्थानों से आए पुस्तकालयाध्यक्षों और विभिन्न कंपनियों के प्रकाशकों के सम्मेलन में वक्ताओं ने प्रोद्योगिकी संचालित पुस्तकालयों को बढ़ावा देने के लिए दो दिनों तक विचार मंथन कर अपने अनुभव साझा किए। हार्नेसिंग द डिजिटल स्पेस, वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन इनिसिएट एण्ड मेडिकल लाईब्रेरियन्स विषय पर आधारित इस तृतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश राज्य में स्थित सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है और इसका लाभ समूचे राज्य के मेडिकल कॉलेजों को उपलब्ध कराने हेतु योजना तैयार की जा रही है। योजना के तहत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों को एम्स के केन्द्रीय पुस्तकालय से सम्बद्ध किया जाएगा। यह योजना लागू हो जाने पर राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे मेडिकल के छात्र-छात्राएं एम्स की चिकित्सा शिक्षा से लाभान्वित हो सकेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2023 से देश के सभी एम्स में स्थित पुस्तकालयों का आधुनिकीकरण करते हुए वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना लागू की जा रही है। इस योजना से सभी एम्स के पुस्तकालय एक साथ जुड़ जाएंगे और मेडिकल की पढ़ाई करने वाला कोई भी छात्र घर बैठे ई-पुस्तकालय से अध्ययन कर सकता है। देशभर के विभिन्न संस्थानों से आए पुस्तकालयाध्यक्षों से उन्होंने कहा कि देश में 5 जी इन्टरनेट सुविधा के शुरू हो जाने पर ई-पुस्तकालय की मांग बढ़ जाएगी और विद्वान लेखकों द्वारा लिखित बेहतर पुस्तकों का डिजिटाईलेशन करने के लिए सभी को मिलकर चरणबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. धन सिंह ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां सर्वाधिक 51 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने मेडिकल लाईब्रेरियन प्रोफेशन को और बेहतर बनाने पर प्रकाश डाला और कहा कि मरीजों की बेहतर देखभाल और उनके बेहतर इलाज के लिए एविडेंस बेस्ड मेडिसिन प्रणाली ही कारगर है। वन नेशन, वन सब्क्रिप्शन योजना को लाभकारी योजना बताते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के लागू हो जाने से राज्य के सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी सीधा लाभ मिलने लगेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मेलन को स्वामीराम हिमालयन यूनिवर्सिटी, देहरादून के डॉ. योगेन्द्र सिंह, प्रिंसिपल ऑफ साइंटिफिक एडवाइजर भारत सरकार श्रीमती राम्या हरीदासन, अपर महानिदेशक मेडिकल लाईब्रेरी दिल्ली प्रो. बी. श्रीनिवास, फेडरेशन ऑफ हेल्थ साइंस लाईब्रेरियन एसोसिएशन डॉ. पीआर मीणा सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस दौरान राज्य के स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने पुस्तकालय क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले विभिन्न संस्थानों के पुस्तकालयाध्यक्षों को भी पुरस्कृत किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आयोजन सचिव और एम्स ऋषिकेश के सीनियर लाईब्रेरियन संदीप कुमार सिंह के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश की डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सैना, वाईस डीन डॉ. मनीषा नैथानी, अपर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अंशुमन दरबारी, डॉ. रश्मि मल्होत्रा, वित्तीय सलाहकार ले.कर्नल डब्लू.एस. सिद्धार्थ, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकान्त, प्रशासनिक अधिकारी गौरव बडोला सहित विभिन्न प्रकाशन समूह के प्रतिनिधि शामिल थे।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।