13 विपक्षी दलों ने जारी किया साझा बयान, समाज में नफरत और हिंसा को लेकर पीएम चुप क्यों हैं
देश में फैलाई जा रही नफरत, हिंसा आदि को लेकर विपक्षी दलों ने पीएम पर हमला कर दिया है। 13 दलों ने साझा बयान जारी कर पीएम से पूछा है कि वे ऐसी नफरत और हिंसा के मामलों में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं।
इन दलों ने एक साझा बयान जारी कर देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा और हेट स्पीच को लेकर गहरा खेद जताया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कहा गया है कि जिस तरह से खान-पान, पोशाक (हिजाब), धार्मिक आस्था, त्योहार और भाषा का इस्तेमाल सत्तारूढ़ वर्ग द्वारा समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, वो चिंताजनक है। विपक्षी दलों ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र की चुप्पी चिंताजनक है, जो ऐसे नफरती माहौल को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ एक भी शब्द बोलने में नाकाम रहे हैं।
उनके बयान या कामों में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है, जिसमें ऐसे हिंसा फैलाने वाले लोगों या संगठनों की निंदा की गई हो। यह खामोशी गवाह है कि ऐसे निजी सशस्त्र संगठनों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। इन दलों ने सामाजिक सौहार्द्र के लिए सामूहिक तौर पर काम करने का संकल्प दोहराया। विपक्षी नेताओं ने कहा कि हम ऐसी नफरती विचारधारा का सामना करने और लड़ने के लिए एकजुट हैं। ये सोच समाज में खाई पैदा करने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि रामनवमी के दिन देश में मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे कई राज्यों में हिंसा देखने को मिली थी। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले और गुजरात के खंभात में हिंसा के बाद सैकड़ों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इनमें बिना उचित कार्यवाही के तमाम आरोपियों के घर बुलडोजर से गिरा देने की भी आलोचना हो रही है। एमपी में तो तीन ऐसे युवकों को बाइक जलाने का आरोपी बनाया गया, जो पहले से ही जेल में बंद हैं। हिंसा के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए इनके घर का कुछ हिस्सा बुलडोजर से तोड़ दिया।
वहीं महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में मस्जिदों में लाउडस्पीकर का मुद्दा गरमाया हुआ है। बीजेपी, मनसे जैसे दल मस्जिदों में लाउडस्पीकर का विरोध कर रहे हैं और विरोध में लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ रहे हैं। अलीगढ़, वाराणसी जैसे कुछ जिलों में जगह-जगह लाउडस्पीकर लगाए जाने की कोशिश हो रही है। वहीं यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान देश में हिजाब का मुद्दा छाया रहा, जिसकी शुरुआत कर्नाटक से हुई थी। कर्नाटक के स्कूलों में लड़कियों के लिए हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी गई, कोर्ट ने इस आदेश को सही माना था। हालांकि हिजाब पर सांप्रदायिक उन्माद और घृणा का माहौल पैदा करने की कोशिश भी हुई।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।