विभिन्न हादसों में तीन पोर्टरों सहित ट्रैकिंग दल के 12 लोगों की मौत, 20 पर्यटक लापता
विभिन्न स्थानों पर हुए हादसों में करीब 12 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, बीस पर्यटक लापता बताए जा रहे हैं। ये हादसे उत्तरकाशी, बागेश्वर जिले में हुए हैं।
तीन पोर्टरों के शव बरामद, पांच पर्यटकों के भी शव मिले
उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा पर लापता तीन पोर्टरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। पोर्टर आईटीबीपी गश्ती दल के साथ सीमा पर गए थे। पोर्टरों के शव आइटीबीपी की नीला पानी चौकी से डेढ़ किलोमीटर दूर सीमा की ओर बर्फ में दबे मिले। शवों के बरामद होने की सूचना आईटीबीपी प्रशासन ने हर्षिल थाने में दी है। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि शवों को उत्तरकाशी लाया जाएगा। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए जाएंगे। वहीं, ट्रैकिंग पर गए आठ पर्यटकों सहित 11 सदस्यीय दल में शामिल पांच पर्यटकों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
बता दें कि बीती 15 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिले में आईटीबीपी की टीम चार पोर्टरों के साथ नियमित गश्ती के लिए भारत चीन सीमा पर स्थित नीला पानी चौकी से सीमा के लिए रवाना हुई थी। वापसी के दौरान बर्फबारी के चलते पोर्टर राजेंद्र सिंह पुत्र बृजमोहन निवासी स्यूणा, सिरोर तहसील भटवाड़ी, संजय सिंह पुत्र दिलबर सिंह निवासी चिवां, नाल्ड तहसील भटवाड़ी व दिनेश चौहान पुत्र भारत सिंह चौहान निवासी भटवाड़ी गश्ती टीम से बिछड़ गए थे। चौथा पोर्टर गश्ती टीम के साथ नीलापानी चौकी लौट गया था।
इन तीन पोर्टरों की तलाश में 18 अक्टूबर को पांच अन्य पोर्टर भेजे गए। लापता पोर्टरों की खोजबीन की जा रही थी। आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी नेहाल सिंह भंडारी ने बताया कि लापता चल रहे तीनों पोर्टरों के बुधवार शाम को शव बरामद कर लिए गए हैं। भंडारी ने बताया कि पोर्टर रास्ता भटक गए थे। जिस स्थान पर शव मिले हैं वह स्थान चौकी से मात्र डेढ किमी दूर है। तीनों के शव को नेलांग पोस्ट पर पहुंचाया गया है। साथ ही आइटीबीपी की ओर से इन पोर्टरों के परिजनों को बुधवार देर शाम को सूचना दे दी गई।
पांच पर्यटकों के शव मिले
उधर, हर्षिल से लम्खागा पास होते हुए हिमाचल प्रदेश स्थित छितकुल की ट्रैकिंग पर गए 11 सदस्यीय दल में पांच पर्यटकों की मौत हो गई है। अन्य पर्यटकों को हेली से रेस्क्यू किया जा रहा है। मरने वालों में दिल्ली की एक महिला पर्यटक भी शामिल है। हेली से एक पर्यटक को हर्षिल पहुंचाया गया है। इस संबंध में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि पांच पर्यटकों की मौत हो गई है। एसडीआरएफ की टीम हेली से रेस्क्यू कर रही है। करीब साढ़े चार हजार मीटर की ऊंचाई पर यह पर्यटक खोज बचाव दल को मिले हैं। एक पर्यटक को हर्षिल लाया गया। वहां पर्यटक को उपचार दिया जा रहा है। अन्य पर्यटकों को लाने के लिए हेली रेस्क्यू किया जा रहा है।
गौरतलब है कि उत्तरकाशी जिले के हर्षिल से लम्खागा पास होते हुए छितकुल हिमाचल की ट्रेकिंग के लिए गए 8 पर्यटकों समेत 11 लोग लापता हो गए थे। पर्यटकों के दल से संपर्क भी नहीं हो पा रहा था। हेलिकाप्टर से इनकी तलाश में एसडीआरएफ की टीम लगाई गई थी। पश्चिम बंगाल व अन्य स्थानों के आठ पर्यटकों का दल मोरी सांकरी की ट्रेकिंग एजेंसी के माध्यम से 11 अक्तूबर को हर्षिल से रवाना हुआ था। इस दल में तीन कुकिंग स्टाफ और छह पोर्टर भी शामिल थे। पोर्टर पर्यटकों का सामान छोड़कर 18 अक्तूबर को छितकुल पहुंचे। वहीं, आठ पर्यटक और तीन कूकिंग स्टाफ के सदस्यों का कोई पता नहीं चल पाया है।
पुलिस ने सूचना उत्तरकाशी के ट्रेकिंग संचालक को दी। संभावना जताई जा रही थी कि 19 अक्तूबर तक पर्यटक और कुकिंग स्टाफ छितकुल पहुंच जाएंगे, लेकिन बुधवार सुबह तक पर्यटक दल और कुकिंग स्टाफ का कोई पता नहीं चला पाया। इसके बाद से ही पर्यटकों के रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ की टीम हेली से रेस्क्यू कर रही थी।
चार पर्यटकों की मौत, बीस लापता
बागेश्वर जिले के सुंदरढूंगा घाटी में ट्रैक पर गए चार पर्यटकों की मौत हो गई तो दो लापता बताए जा रहे हैं। वहीं कफनी ग्लेशियर में ट्रैक के लिए गए 20 पर्यटक लापता बताए जा रहे हैं। उनके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। वहीं द्वाली में भी 34 पर्यटक फंसे हुए हैं। जिन्हें रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन आज अपनी दो टीमों को हेलीकॉप्टर के साथ भेजेगा। बताया जा रहा है कि सुंदरढूंगा घाटी में ट्रैके लिए छह पर्यटक पोर्टर के साथ गए थे। जिनमें चार की मौत हो गई है और दो तापता हैं। यह जानकारी उनके साथ बतौर पोर्टर गए सुन्दरढूंगा से लौटे नेपाली युवक सुरेंद्र पुत्र हरक सिंह ने दी। उसने बताया कि एक घायल समेत चार लोग खाती गांव वापस लौट आए हैं।
कफनी ग्लेशियर में 20 पर्यटक लापता
20 पर्यटक कफनी ग्लेशियर की तरफ ट्रैक करने गए हैं। यह भी लापता बताए जा रहे हैं। इनके बारे में कोई सूचना फिलहाल अभी तक प्राप्त नहीं मिल सकी है। जिला प्रशासन इनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहा है। बताया जा रहा है कि ट्रैक पर जाने वाले पर्यटकों के पास भोजन का लिमिटेड स्टाक होने के कारण उनके भी सामने मुसीबत खड़ी हो सकती है। यदि उन्हें जल्द ढूंढकर रेस्क्यू नहीं किया गया तो अनहोनी हो सकती है। बताया जा रहा है कि ट्रैक पर गए और भी पर्यटक फंसे हो सकते हैं। धीरे-धीरे जानकार सामने आएगी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।