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February 24, 2025

हिमाचल में लापता 17 टैकर्स में से 11 की मौत, दो को बचाया, चार लापता

हिमाचल प्रदेश में लापता हुए पर्यटकों, कुलियों और गाइडों सहित 17 ट्रैकर्स के समूह में से 11 लोगों की मौत हो चुकी है।

हिमाचल प्रदेश में लापता हुए पर्यटकों, कुलियों और गाइडों सहित 17 ट्रैकर्स के समूह में से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इन लोगों के लापता होने की सूचना मिलने के बाद, वायु सेना ने लमखागा दर्रे पर बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू किया। अब तक 11 शव बरामद किए हैं। भारी बर्फबारी और खराब मौसम के बीच यह समूह 18 अक्टूबर को लापता हो गया था। टैकर्स के लापता होने की जानकारी मिलने के बाद भारतीय वायु सेना ने 20 अक्टूबर को बचाव कार्य शुरू किया था। बताया जाता है कि ये ट्रैकर्स 14 अक्टूबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी से सटे हर्षिल से हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में चितकुल के लिए निकले थे, लेकिन वे 17 से 19 अक्टूबर के बीच लमखागा दर्रे के आसपास लापता हो गए थे। यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले को उत्तराखंड के हरसिल से जोड़ने वाले सबसे खतरनाक पास में से एक है।
लापता ट्रैकर्स का पता लगाने के लिए नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एनडीआरएफ) के तीन कर्मियों को लगाया गया है और हल्‍के हेलीकॉप्‍टर (एएलएच) के जरिए ऊंची पहाड़ियों पर रेस्‍क्‍यू चलाया जा रहा है। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक 21 अक्टूबर को, एसडीआरएफ के सदस्‍यों ने 4 शव बरामद कर लिए थे। इस बीच, 22 अक्टूबर को एएलएच ने एक जीवित व्यक्ति को बचाया और 16500 फीट की ऊंचाई पर 7 शव बरामद किए गए। चार लोगों के बारे में अभी भी कोई जानकारी नहीं मिली है। अधिकारियों ने शव को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया और बचे लोगों को हर्षिल में प्राथमिक उपचार के बाद उत्‍तरकाशी के जिला अस्पतालमें भर्ती करा दिया गया।
पश्चिम बंगाल और अन्य स्थानों के आठ पर्यटकों का दल मोरी सांकरी की एक ट्रैकिंग एजेंसी के माध्यम से 11 अक्‍टूबर को हर्षिल से रवाना हुआ था। दल ने बाकायदा वन विभाग उत्तरकाशी से 13 से 21 अक्टूबर तक लमखागा के पास तक ट्रैकिंग करने के लिए इनर लाइन परमिट भी लिया था। 17 से 19 अक्टूबर तक मौसम खराब होने के कारण यह दल भटक गया। ट्रैकिंग दल से कोई संपर्क न होने पर सुमित हिमालयन ट्रैकिंग टूर एजेंसी ने उत्तराखंड सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार से पर्यटकों को सुरक्षित निकालने के लिए सूचना दी है। किन्नौर जिला प्रशासन को बुधवार को इस दल के लापता होने की सूचना मिली थी।
बता दें कि भारतीय वायु सेना ने 20 अक्टूबर को अधिकारियों की ओर से किए गए एक एसओएस कॉल के बाद एक्शन शुरू किया। साथ ही पर्यटक हिल स्टेशन हरसिल तक पहुंचने के लिए दो एएलएच हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं. 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के तीन कर्मियों के साथ एएलएच हेलीकॉप्टर पर दोपहर में 19,500 फीट की ऊंचाई पर राहत बचाव कार्य शुरू किया गया।
अगले दिन एएलएच ने सुबह होते ही एसडीआर टीम के साथ उड़ान भरी। जिन्होंने दो बचाव स्थलों का पता लगाया. बचाव दल ने 15,700 फीट की ऊंचाई पर चार शवों का पता लगाया। फिर हेलीकॉप्टर दूसरे स्थान पर पहुंचा और 16,800 फीट की ऊंचाई पर एक जीवित व्यक्ति को बचाया, जो हिलने-डुलने में असमर्थ था। 22 अक्टूबर को हेलीकॉप्टर ने भोर में उड़ान भरी। प्रतिकूल इलाके और तेज हवा के बावजूद दल ने 16,500 फीट की ऊंचाई से एक व्यक्ति को बचाया और पांच शवों को वापस लाने में कामयाबी हासिल की।
डोगरा स्काउट्स, चार असम और दो आईटीबीपी टीमों के संयुक्त गश्त करते हुए दो और शवों का पता लगाया और उन्हें निथल थाच शिविर में भेजा। वहीं अब शनिवार को एएलएच दल शेष लापता लोगों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए तलाशी अभियान चलाएगा। रेस्क्यू टीम ने शवों को स्थानीय पुलिस को सौंपा और घायलों को हरसिल में प्राथमिक उपचार देने के बाद उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भेजा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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