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November 7, 2024

सफलता के लिए जरूरी नहीं 10वीं के नंबर, गणित में 36 और अंग्रेजी में 35 अंक लाने पर भी बने कलेक्टर

सफलता के लिए स्कूली शिक्षा के अंक ज्यादा मायने नहीं रखते। ये बात उन्हें भी समझने की जरूरत है, जो हाईस्कूल में कम अंक मिलने से निराश हो जाते हैं और खौफनाक कदम उठा लेते हैं।

सफलता के लिए स्कूली शिक्षा के अंक ज्यादा मायने नहीं रखते। ये बात उन्हें भी समझने की जरूरत है, जो हाईस्कूल में कम अंक मिलने से निराश हो जाते हैं और खौफनाक कदम उठा लेते हैं। कई राज्यों में इन दिनों बोर्ड रिजल्ट्स जारी हो रहे हैं। इनमें कुछ बच्चे अपनी सफलता का परचम लहरा रहे हैं, तो कुछ अपनी विफलता से निराश हैं। इस दुख के चलते कई बार युवा गलत कदम उठा लेते हैं। इसके उलट ये बात भी सही है कि किसी एग्जाम में खराब नतीजे करियर के सारे दरवाजे बंद नहीं करते। इसका उदाहरण हैं गुजरात के भरूच जिले के कलेक्टर तुषार सुमेरा। उनकी कहानी काफी लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक साबित हो सकती है।
इंटरनेट पर आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने ट्विट कर भरूच के कलेक्टर की मार्कशीट शेयर की है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि-भरूच के कलेक्टर तुषार सुमेरा ने अपनी दसवीं की मार्कशीट शेयर करते हुए लिखा है कि, उन्हें दसवीं में सिर्फ पासिंग मार्क्स आए थे। उनके 100 में अंग्रेजी में 35, गणित में 36 और विज्ञान में 38 नंबर आए थे। ना सिर्फ पूरे गांव में, बल्कि उस स्कूल में यह कहा गया कि यह कुछ नहीं कर सकते।

आइएएस अवनीश शरण के इस ट्वीट का भरूच कलेक्टर तुषार सुमेरा ने जवाब देते री-ट्वीट कर लिखा कि- ‘धन्यवाद सर। भरूच में उत्कर्ष पहल अभियान के तहत किए गए तुषार के कामों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी तारीफ कर चुके हैं। आईएअस अवनीश शरण के इस ट्वीट पर तमाम यूजर्स ने रिएक्ट किया है। अब तक इसे तक12.5 हजार से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को लाइक किया है, जबकि 2200 से अधिक लोग इस पोस्ट को री-ट्वीट कर चुके हैं। एक यूजर ने कहा कि कि डिग्री नहीं, टैलेंट मैटर करता है। अन्य यूजर ने लिखा कि-काबिलियत मार्क, ग्रेड या फिर रैंक नहीं तय करती। एक ने लिखा-लगन हो तो कुछ भी असंभव नहीं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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