जोशीमठ आपदा को लेकर यूकेडी और सीपीएम ने सरकार को दिए ज्ञापन, आप नहीं कही ये बात

आज उत्तराखंड क्रांति दल का एक प्रतिनिधिमंडल ने अपर आयुक्त नरेंद्र सिंह क्वीरियाल से मिलकर जोशीमठ में आई आपदा के संबंध में ज्ञापन दिया। इस अवसर पर यूकेडी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश उपाध्याय ने कहा कि जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव पहाड़ के लिए चिंतनीय विषय हैं। पहाड़ो में विकास के नाम पर बड़ी बड़ी परिजोनाओं के निर्माण अवैज्ञानिक ढंग से होना तथा जियोलॉजीकल सर्वे का नकाराना इसका मुख्य कारण हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि एनटीपीसी द्वारा जोशीमठ के नीचे सुरंग बनाना वहां के मूल निवासियों के लिए खतरा बन गया है। बाईपास सड़क बनाने एवं एनटीपीसी की कार्यों पर स्थाई रूप से रोक लगाने की मांग उत्तराखंड क्रांति दल करता है। उन्होंने कहा कि उक्रांद का पूर्व से ही स्पष्ट मानना हैं कि बड़ी-बड़ी विद्युत परियोजनाए पहाड़ के लिए विनाशकारी होगी। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण जोशीमठ में हो रहा भू- धसाव है। दल के निर्माण सन 1979 से ही प्रथम अध्यक्ष डॉ डी डी पंत जी का स्पष्ट कहना था कि पहाड़ो में रनिंग ऑफ़ द वाटर पर ही छोटी छोटी जल विधुत परियोजनाओं का निर्माण किया जाय, जो कि परिस्थितिकी पर्यावरण दृष्टिकोण से उचित होगा तथा हिमालय को बचाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर केंद्रीय महामंत्री विजय कुमार बौड़ाई ने उत्तराखंड की सरकारों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि पहाड़ों में बड़ी बड़ी परियोजनाओं के निर्माण से हिमालय को छलनी कर दिया। इसका खामियाजा उत्तराखंड की भोली भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है। जोशीमठ के साथ साथ प्रदेश के अन्य स्थानों को भी जल्द चिह्नित कर उनका परीक्षण किया जाय। नैनीताल सरोबर नगरी के आसपास के गांवों में भी इसी तरह की घटना होने की भी प्रबल सम्भावना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड क्रांति दल ने मांग की है कि एनटीपीसी और बाईपास सड़क निर्माण पर तत्काल प्रभाव से स्थाई तौर से रोक लगाने के आदेश सरकार को जारी करने चाहिए। उत्तराखंड में निर्माणधीन परियोजनाओं के आसपास क्षेत्रों का भू परिक्षण किया जाय। इसमें ऋषिकेश, कर्णप्रयाग ,निर्माणधीन रेल लाइन परियोजनाओं की टनलों के कारण होने वाले कार्यो को भी सम्मिलित किया जाए। ताकि भविष्य में जोशीमठ जैसी घटनायें न हों। सभी का वैज्ञानिक भूगर्भीय परिक्षण किया जाय तथा जोशीमठ घटना से प्रभावित जनों को अविलम्ब मुआयजा देकर शीघ्र अन्यत्र पुनर्वास सुनिश्चित किया जाय। ज्ञापन देने वालों में एडवोकेट दीपक गैरोला सुनील ध्यानी जय प्रकाश उपाध्याय विजेंद्र रावत, अशोक नेगी, किरण रावत, उत्तम रावत, शिव प्रसाद सेमवाल, जितेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीपीएम ने डीएम के माध्यम से सीएम को भेजा ज्ञापन
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिनिधिमण्डल ने आज जोशीमठ में निरन्तर मकानों एवं जमीन में आ रहे धसाव से प्रभावितों के पुर्नवास एवं जोशीमठ बचाने की समुचित व्यवस्था किये जाने की मांग को लेकर जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि जोशीमठ के लोग लंबे से समय से जोशीमठ को भू-धसाव से बचाने की मांग करते आ रहे हैं। वर्ष 1976 में तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने भी भूस्खलन को लेकर एक रिपोर्ट तत्कालीन सरकार को दी थी, जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र किया गया था। इसके बावजूद कभी भी इस दिशा में तब सज अब तक ठोस व गंभीर प्रयास नहीं किये गये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नदी किनारे कटाव बढ़ने से भी भूस्खलन को और भी अधिक बढ़ा है। जोशीमठ शहर के नीचे से होकर एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड परियोजना की सुरंग निर्माणाधीन है। जो आज हो रहे भू-धसाव के लिए सबसे बड़े कारणों में से एक है। सीपीएम ने सीएम से अपेक्षा की है कि वह जनता की मांगों को अत्यधिक संवेदनशीलता लेकर जनहित में पुर्नवास तथा प्रभावितों के साथ न्याय करेंगे। जोशीमठ बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। प्रतिनिधिमण्डल में जिलासचिव राजेंद्र पुरोहित, महानगर सचिव अनन्त आकाश, सचिव मण्डल सदस्य लेखराज, कृष्ण गुनियाल, भगवन्त पयाल, इन्द्रेश नौटियाल, अर्जुन रावत, मामचन्द आदि शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहत के नाम पर प्रभावितों को कुछ नहीं दे पाए सीएमः जोत सिंह बिष्ट
आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उनके दौरे पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि लंबे इंतजार के बाद प्रदेश के मुखिया धामी बर्बादी की कगार पर खड़े जोशीमठ के पीड़ित परिवारों की सुध लेने के लिए गए। पीड़ित परिवारों को राहत के नाम पर तो सीएम कुछ खास दे नहीं पाए, लेकिन पीड़ितों के सामने रोने का नाटक करके उनकी सिंपैथी जरूर हासिल करने का उन्होंने प्रयास किया। उन्होंने कहा कि मेरा मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि आपको पीड़ितों की परेशानियों को दूर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसलिए आंसू निकालने के बजाय पीड़ितों के आंसू पोछने का काम कीजिए, तो बेहतर होगा।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।