मां योग्य पुत्र बन सकूं हे मां मनीषिणी हमें विचार का अभिदान दो मां योग्य पुत्र बन सकूं स्वाभिमान का...
कविता
हम गांव क्यों भूल गए आखिर क्यों शहर की,रंगीनियों में, हम यूं ही मशगूल हो गए। पुरुखों का घर था...
शिक्षक बच्चों को समझे पौध समान तब सींचे उसको अपने ज्ञान से प्यार प्रेम से बच्चों को पढ़ाये तब वह...
पर्यावरण दिवस मना तो रहे आज पर क्या सुरक्षित है यहां पर्यावरण फिर क्यों चारों और ऑक्सीजन की कमी, क्यों...
आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगायें प्रगति के नाम पर आज प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहे है बनाये जा रहे...
घर एक गांव में भी बनाया करो यूं अपनों की जमीन छोड़कर, शहर मत जाया करो। कब छोड़ना पड़े शहर,...
सेवा करने से ईश्वर प्रसन्न होता है सेवा करने से जीवन सफल होता है, सेवा करने से कर्तव्यनिष्ठा बढ़ती है,...
मत देखो नफरत भरी निगाहों से मत देखो इंसान मुझे, नफरत भरी निगाहों से। मेरा भी इस गांव से नाता,...
जय -जय मारुति नन्दन हे प्रभु तुम्हीं दया निधान हो सकल गुणों की तुम खान हो तेज तपस्वी महावीर तुम...
गांव जब मजे में थे तो गांव सब भूल गये। मुसीबत में आज गांव याद आ गये।। शहर-शहर, गली-गली सब...