कितने सागर डूबे जिसमें । उन्हीं नयनों का नीर हूं मैं॥ हर पल जो जी रहा है डर -डर के।...
कवयित्री
प्यासा तेरे द्वार पर अपनी आन बान और शान पर नित, सागर क्यूं इठलाए। प्यासा तेरे द्वार पर, प्यासा ही...
मैं ख़ुश हूं बहुत कि अपनी ख़ुशी की, अब मैं स्वयं ही तलबगार हूं मुझे चाहत नहीं अब तेरे प्यार...
अक्षर साधकों की कल्पना , अक्सर धारण कर अंगवस्त्र शब्दों का। ओढ़ भावों की चुनरियाँ, भर लेती उपमान गगरिया, छलकाती...
देवनागरी लिपि है जिस की। वह देवों की भाषा हिंदी है॥ मेरी आन -बान -मर्यादा है। मेरा अभिमान भी हिंदी...
वो कहते हैं जाना चाहता है कोई तो जाने दो ना तुम्हारे रोक देने से कुछ पल के लिए रुक...
जीवन सद्गुरु का आभार। मातपिता ने जन्म दिया है। गुरु ने सौंपा ज्ञानागार॥ पढ़ा लिखा गुणवान बनाया, दया धर्म का...
दोहा कर जोड़ी वंदन करूं, गुरु को शीश झुकाय। रामकथा तुमसे कहूं, हनुमत निकट बिठाय चौपाई सरयू तीरे है इक...
ओ गुजरा हुआ जमाना आज, मुझे बहुत याद आ रहा है। बिछड़े हैं जो अपने मुझसे, ओ दौर याद आ...
खुशियों से कभी झोली भर दे इतनी जो संभाले नहीं संभलती हैं। पलभर में छीन खुशियों को, दुःखों के समन्दर...