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December 13, 2024

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति की बैठक में शासन ने रुख की समीक्षा, हड़ताल पर चर्चा

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल की आपातकालीन बैठक में अब तक हुए आंदोलन और शासन के रुख की समीक्षा की गई।

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल की आपातकालीन बैठक में अब तक हुए आंदोलन और शासन के रुख की समीक्षा की गई। साथ ही 18 सूत्रीय मांगों को लेकर 22 नवंबर को प्रस्तावित हड़ताल की सफलता को लेकर चर्चा की गई। तय किया गया कि जल्द से जल्द सभी घटक संगठनों से जिला व ब्लाक स्तर पर हड़ताल का घोषणा पत्र भराने का काम पूरा कर लिया जाएगा।
बैठक की जानकारी देते हुए समन्वय समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय ने बताया कि बैठक में दिनांक 22 अक्टूबर 2021 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के उपरान्त दिये गये लिखित आश्वासन पर चर्चा की गई। एक मांग को आज आंशिक रूप से पूर्ण करते हुए शिथिलीकरण की सुविधा वर्तमान चयन वर्ष 01 जुलाई, 2021 से 30 जून, 2022 के लिए अनुमन्य किये जाने पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया कि मुख्य सचिव की ओर से दिये गये आश्वासन के अनुसार मंत्रिमंडल ने गोल्डन कार्ड की सुविधा में सुधार एवं शिथिलीकरण की अनुमन्यता में वृद्धि सम्बन्धी प्रस्ताव पारित कर दिए।
साथ ही इस बात पर असंतोष भी व्यक्त किया गया कि शिथिलीकरण की अनुमन्यता मात्र 01 वर्ष के लिए की गई। गोल्डन कार्ड का शासनादेश अभी भी लंबित है। साथ ही मुख्य सचिव की ओर से दिये गये आश्वासन के अनुसार एसीपी व पूर्व में कार्मिक संगठनों के साथ हुए समझौतों पर हुई कार्यवाही की समीक्षा पर अभी तक कार्यवाही नहीं की गई है। इससे समन्वय समिति को मुख्य सचिव की ओर से दिये गये आश्वासन पर प्रश्नचिन्ह लगता हुआ दिखाई दे रहा है।
इसी प्रकार मुख्य सचिव की ओर से एक और आश्वासन के अनुसार निगम कर्मियों को भी मंहगाई भत्ते की किस्त में 11 प्रतिशत की बढोतरी की जानी थी, जोकि आतिथि तक लम्बित है। इससे मुख्य सचिव द्वारा दिया गया यह आश्वासन भी पूरा नहीं किया जा सका है। इस मौके पर अरुण पांडे ने कार्मिकों को बताया कि कल दिनांक 08 नवंबर 2021 को सीएम के अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन से संयोजक मंडल ने मुलाकात कर आश्वासन को पूर्ण किये जाने की मांग की। साथ ही आज दिनांक नौ नवंबर को को भी सचिव वित्त एवं औद्योगिक विकास अमित नेगी से मुलाकात कर तत्काल मुख्य सचिव के आश्वासन के अनुसार कार्यवाही करने को अनुरोध किया।
सचिव वित्त ने समिति के संयोजक मंडल को आश्वासन दिया कि आज ही मुख्य सचिव वार्ता कर निगम कर्मियों को मंहगाई भत्ते की बढ़ी हुई किस्त शीघ्रातिशीघ्र अनुमन्य किये जाने का अनुरोध किया जाएगा। इसी क्रम में समन्वय समिति के संयोजक मंडलच ने सचिव कार्मिक अरविन्द सिंह हयांकीसे भी मुलाकात कर एसीपी के सम्बन्ध में समन्वय समिति की मांग के अनुसार कार्यवाही का अनुरोध किया। इस पर सचिव कार्मिक ने आश्वस्त किया गया कि शीघ्र ही वेतन समिति की संस्तुति राज्य सरकार को प्राप्त होनी है। तदोपरान्त एसीपी की व्यवस्था में संशोधन की कार्यवाही भी शासन की ओर से कर ली जायगी।
समन्वय समिति की बैठक में एक बार पुनः अपील की गई कि समन्वय समिति की ओर से घोषित कार्यक्रम के अनुसार प्रत्येक जनपदों में दिनांक 22 नवंबर से घोषित अनिश्चितकालीन हडताल में भागीदारी के लिए घोषणा पत्र भरवाने का कार्य जोर-शोर से जारी रखा जाय। इसकी सूचना प्रदेश नेतृत्व को भी प्रेषित की जाय। इससे कि मांग पत्र की अन्य लम्बित मांगों को पूर्ण कराने के लिए आवश्यक दबाव बनाया जा सके।
बैठक में प्रताप पंवार, अरूण पाण्डे, सुनील कोठारी, शक्ति प्रसाद भट्ट, पूर्णानन्द नौटियाल, एचसी नौटियाल, पंचम बिष्ट, बीएस रावत, विक्रम सिंह नेगी, दिनेश गुसांई, संदीप मौर्या, निष्कर्ष सिरोही, बनवारी सिंह रावत आदि कर्मचारी नेता शामिल थे।
चलाया जा रहा है आंदोलन
गौरतलब है कि 18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारियों, शिक्षकों और अधाकारियों ने साझा मंच का गठन किया है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर तले ही सिलसिलेवार आंदोलन किए जा रहे हैं। आंदोलन के तहत अभी तक गेट मीटिंग, जिला स्तरीय धरने, जिला स्तरीय रैली का आयोजन किया गया है। आंदोलन के चौथे चरण में छह अक्टूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली निकाली गई।
पहले शासन की वेतन विसंगति समिति की बैठक समिति के साथ 29 सितंबर को हुई थी। इसमें समिति के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न समस्याओं को वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह के समक्ष बिंदुवार रखा। बैठक में अध्यक्ष की ओर से सार्थक प्रयास का आश्वासन दिया गया। इसके बाद एक अक्टूबर को समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ सचिवालय में मांग पत्र पर विस्तार से वार्ता हुई। इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने बिंदुवार चर्चा के दौरान ही कार्मिक विभाग को आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान अपर सचिव ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर समस्त प्रकरणों पर ठोस निर्णय लेने की मांग की। बैठक तय नहीं हुई और इस पर पांच अक्टूबर को हुंकार रैली निकाली गई । कर्मियों ने तय किया था कि 26 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। अब हड़ताल 22 नवंबर से करने का निर्णय किया गया है।
ये हैं मांगे
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों, शिक्षकों, निगम, निकाय, पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाये।
2-राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुए केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएसएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये। तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाए।
3-पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाए।
4-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
5-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
6-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
7-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाए।
8-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाए।
9-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
10-विभिन्न विभागीय संवर्गो के वेतन विसंगति/स्टापिंग पैर्टड के प्रकरण जो शासन स्तर पर लम्बित हैं, उनका शीघ्र निस्तारण किया जाये।
11-जिन विभागों के ढांचे का पुर्नगठन/एकीकरण शासन स्तर पर किया जाना प्रस्तावित हैं, उन विभागों के पूर्व स्वीकृत पदों में कटौती न की जाये। ताकि कार्मिको के पदोंन्नति के अवसर बाधित न हों।
12-राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा “अतिउत्तम” के स्थान पर “उत्तम” की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाए।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाए।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाए।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयों के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाए।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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