शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-मेरा गांव
मेरा गांव
बत्तीस दांतो के
बीच जैसी जिह्वा
वैसा ही
देवभूमि उत्तराखण्ड के
उत्तरकाशी जिले में
दशगी पट्टी के बीच
मेरा गांव जिब्या
सभी पूछते हैं मुझे
क्यों पडा नाम जिब्या
इसी जिज्ञासा ने एक शब्द गढा
सेरा की रोपाई भाती मुझे
गांव की बरबस याद आती मुझे
मेरा आचार व्यवहार है जिब्या
मेरी शान पहचान है जिब्या
पूरे क्षेत्र दशगी का
मध्य है जिब्या
खेल खेल में
थौलु त्यार-बार में याद
आता है जिब्या
देवी भगवती का वो थौलु त्यार
जो होता देवीधार
देव नागराजा की थाती है जिब्या
मेरे जन्म की माटी है जिब्या
पलायन से भी अछूता नहीं है
मेरा गांव जिब्या
दशगी का ह्रदय स्थल है जिब्या
जिन घरों के दरवाजे खुलते हैं जिब्या
उन घरों मे रौनक है
जहां जडें ताले
वहां बार बार कोसता मुझे मेरा घर गांव
क्यों छोड चले गया तू मुझे अकेला
बार बार याद आता मुझे गांव जिब्या
कभी हंसाता कभी रुलाता मुझे
मेरा गांव जिब्या
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। वह कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




