एक महीने की मौज, तीरथ ने हटाई त्रिवेंद्र की फौज, सल्ट उपचुनाव के दौरान विपक्ष को दिया एक और हमले का मौका
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से रखे गए दायित्वधारियों को तीरथ सरकार में जगह नहीं है। शासन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से रखे गए दायित्वधारियों को तीरथ सरकार में जगह नहीं है। शासन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। ऐसे में इन दायित्वधारियों कुछ को तो एक माह छह दिन के करीब ही सत्ता में बने रहने का मौका मिला। उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के दौरान ही इन दायित्वधारियों को हटाने से भाजपा ने विपक्ष को एक ओर हमला करने का मौका दे दिया है।
मार्च माह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर भाजपा हाईकमान ने तीरथ सिंह रावत को सीएम की कमान सौंपी। तब से लेकर अब तक सीएम तीरथ सिंह रावत जहां त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पलट रहे हैं, वहीं कई बार ऐसे मौके और बयान आए जिससे दोनों नेताओं को किरकिरी झेलनी पड़ी। अब दो दिन पूर्व भाजपा की ओर से जारी स्टार प्रचारकों की सूची से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और विजय बहुगुणा के नाम भी गायब थे। मीडिया में जब ये मामला उठा तो अगले दिन ही कल दोबारा से सूची जारी की गई।
अब आज दो अप्रैल को मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश से दायित्वधारी भी हट चुके हैं। यूं तो जब सीएम का इस्तीफा हो जाता है, तो सारी कैबिनेट, राज्यमंत्री आदि सभी के विभाग स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। दोबारा से नए सीएम के साथ मंत्रि परीषद के सदस्य शपथ लेते हैं। फिर चाहे दर्जाधारी हों, वे स्वत ही पद से हट जाते हैं। इसके बावजूद पदों की लालसा के चलते दर्जाधारी पदों से चिपके हुए थे। हाल ही में 26 फरवरी को त्रिवेंद्र ने 17 लोगों को दर्जाधारी बनाया। इसके एक बाद बाद एक और को लालबत्ती दी गई। इससे पहले भी कई को दायित्व दिया गया था। ऐसे में करीब सौ से अधिक दर्जाधारी (संवैधानिक पदों को छोड़कर) थे।
दर्जाधारियों के पद समाप्त होने के बाद भी उनके पदों पर जमे रहने के कारण ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को कड़ा फैसला लेना पड़ा। सीएम के हटने पर ये भी स्वतः पदमुक्त हो जाते हैं। इसके बावजूद सभी अपने विभागों में जमे हुए थे। नए दर्जाधारियों को तो मात्र एक माह छह दिन ही पदों में बने रहने का मौका मिला। वहीं, सल्ट चुनाव के दौरान ऐसा होने से विपक्ष को हमले करने का मौका मिल गया है।

अपने आदेश में मुख्य सचिव ने कहा कि 18 मार्च, 2017 से वर्तमान तक विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों, इत्यादि में नामित व नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सलाहकार एवं अन्य पदों पर गैर सरकारी महानुभावों यथा मंत्रीस्तर, राज्यमंत्री स्तर, अन्य महानुभाव स्तर सदस्य तथा अन्य (संवैधानिक पदों पर निर्धारित अवधि हेतु नियुक्त महानुभाव को छोड़कर) को तात्कालिक प्रभाव से पदमुक्त किया जाता है।






कुछ भी परिवर्तन करने से सरकार की छवि नही सुधरेगी