युवा कवि नवीन जोशी की गढ़वाली कविता- चुल्हा कु मुछ्यालू

में चुल्हा कु मुछ्याऴु छो
अफुमा मस्त जलणु छो
कभी एक धोरा सी
कभी चारों धोरा सी
कभी तुमारी खाणी पेणी भडु मा बणोणु छों
कभी तुमारी नोना बाऴो चुल्हा पर तपोणु छो
कभी मंगतु की कच्ची दारू
प्यार सी बणोणू छों
कभी अपणी मेडम तें मार मुछ्यालों की करनु छों
कभी अपणी अकड़ दिखोण छों
कभी जग्दा जग्दा राखु बणी उडणु छों
कभी अपणा नोना बाऴो तैं तपोणु छों
कभी मुछ्याला की मशाल बणोणु छों
कभी मुछ्याला सारा दिन रात बितोणो
कभी अपणी खैरी विपदा का आंसु बगोणु
कभी देवी देवतोणी तेरा सारा घीं का धुपाणा देणु
कभी अपणी शल्ली भोणी मा अपणी मेडम तैं याद कनू
कवि का परिचय
नाम-नवीन जोशी
कवि टिहरी गढ़वाल के पिलखी के पोस्टऑफिस में उपडाकपाल के पद पर कार्यरत हैं। वह टिहरी गढ़वाल के थौलधार विकासखंड के कोट गांव के निवासी हैं। कविता लिखना उनका शौक है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।