हाथों की चंद लकीरों से हम लिखते रहे किस्मत सदा। आड़ी, तिरछी, गोल लकीरें। लिखें हमारी ये तक़दीरें। लकीरों के...
साहित्य जगत
कभी शहर, कभी गांव में रहे। मुफ़लिस फ़िर भी तनाव में रहे। छोड़कर वे उलाहनों की छत कभी धूप, कभी...
वादों के सौदागर वादों के सौदागर आएंगे। फ़िर वादों से वे भरमाएंगे। चुग्गे डाल वे तुम्हारे आगे फ़िर जाल में...
खुशियों के अक्षत डाल गया तेईस का साल। सपनों का सूरज उगा। हाथों से फ़िर तम चुगा। कमल खिलाकर हर...
कोलाहल के यहां सब बहरे हैं। दीवारें भी सुन नहीं पाती हैं। बैठकें भी बतिया नहीं पाती हैं। घण्टियों से...
इन्द्रमणि बड़नी जी इना मन्खि कखन देखण, नेता मेरा बड़ोनी जी। अखोड़ी गौं मा जनम लीनि, उत्तराखण्ड का गाँधी जी।...
उत्तराखंड का गांधी बूढ़ा गांधी देखा मैंने, प्रथम बार पचहत्तर में, गंजे सिर पर पीछे अलके, चंद्रकांएं थी गालों पर।...
ले अद्दा त्यारु,अद्दा म्यारु, मिल बाँटी खौंला जमा फण्ड। सरकार तेरी,जनता मेरी, हम चलौंला उत्तराखंड। हम चलौंला उत्तराखंड।। हमन स्वाच...
तानों के तीर तने हुए हैं। ख़तरा ग़ैरो से नहीं, अपनों से है। शिकवा नींदों से नहीं, सपनों से है।...
संसद पर हमला। सुरक्षा का मसला। आशंकित है फ़िर संसद का अमला। सुरक्षा का दावा फ़िर फुस्फुस निकला। संसद तो...