अशोक आनन की कविता- युद्ध अब लड़ा न जाए
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युद्ध
अंधियारों से
अब लड़ा न जाए।
सूरज भी
अब थका हुआ सा लगता।
भुनसारे से
कोहरा रोज़ डसता।
युद्ध
बटमारों से
अब लड़ा न जाए ।
पग – पग पर हैं
संगीनों के पहरे।
नक़ाबों में हैं
अपनों के चेहरे।
युद्ध
ग़द्दारों से
अब लड़ा न जाए। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुबह परोसती
धमाकों की दहशत।
शांति के तमाम
कपोत हुए रुख़सत।
युद्ध
नक़्कारों से
अब लड़ा न जाए।
लूटकर गुलशन
बहारें चलीं गईं।
भौरों के हाथों
कलियां छली गईं।
युद्ध
ज़रदारों से
अब लड़ा न जाए।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।