युवा कवि आशीष उपाध्याय की कविता- प्रश्न ये है कि बूढ़े माँ-बाबू को
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टूट गया है जो ऐनक ये, ऐनक अब दिलाएगा कौन।
ख़त्म होने को हैं दवाएँ, ये दवाएँ अब लाएगा कौन।।
हम भाइयों ने बाँट तो ली है, उनकी सारी दौलत।
प्रश्न ये है कि बूढ़े माँ-बाप को अब खिलाएगा कौन।।
इस समस्या का भी हमने तिकड़म से हल निकाला है।
उन माँ-बाप को बुढ़ापे में बाँट लिया जिन्होंने हमें पाला है।।
ख़ुद के बँटने की बात पर माँ ग़ुस्से में कुछ बुदबुदा रही थी।
लेकिन आँखों में आशू लिए मेरे बाबू जी खड़े थे मौन।।
प्रश्न ये है कि बूढ़े माँ-बाबू को
तीनों भाइयों कि बीबिया अपनी-अपनी पसंद छाँट रही थी।
उसी हिसाब से सब मेरी माँ के गहने भी बाँट रही थी।।
अब कौन हमें दुलारेगा ये चल रहा था बच्चों के मन में।
दादा दादी बिन परियों की कहानियाँ अब हमें सुनाएगा कौन।
प्रश्न ये है कि बूढ़े माँ-बाबू को
भूल बैठे थे सारे संस्कार भूल बैठे थे हम सारी शरम।
आज समझ आया हमें क्यों खुलने लगे हैं वृद्धाश्रम।।
क्यों ठानूँ रार और दिल दुखाऊँ माँ बाप का।
बिन उनके ग़लत सही का भेद बताएगा कौन।।
प्रश्न ये है कि बूढ़े माँ-बाबू को
कवि का परिचय
ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही) उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के छोटे से गांव टांडा निवासी हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि की पढ़ाई पूरी की। वह कॉलेज के दिनों से ही लिखते आ रहे हैं। मोबाइल नंबर- 7525888880
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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