Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 2, 2023

दुनिया की बड़ी खबर, क्या धरती पर दिख रही हैं उड़न तश्तरियां, नासा की बैठक में जांच, जानिए इनका रहस्य

1 min read

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आसमान में उड़ती नजर वाली अज्ञात वस्तुओं (यूएफओ) का अध्ययन शुरू करने के एक साल बाद बुधवार को उनपर अपनी प्रथम सार्वजनिक बैठक की। अंतरिक्ष एजेंसी ने विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र समिति की भागीदारी वाली घंटे भर चली बैठक को टेलीविजन पर प्रसारित किया। टीम में 16 सदस्य और सेवानिवृत्त अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली सहित नासा द्वारा चुने गये अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। केली, पहले अमेरिकी हैं, जिन्होंने करीब एक साल अंतरिक्ष में समय बिताया था।

शोधकर्ताओं का तर्क
शोधकर्ताओं का कहना है कि यूएओ की जांच कर रहे नासा के एक पैनल ने लगभग 800 रहस्यमयी घटनाएं दर्ज की हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने पिछले साल यूएपी पर अपने काम की व्याख्या करने के लिए एक पैनल का गठन किया। उन घटनाओं को यूएपी माना जाता है, जिन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विमान या ज्ञात प्राकृतिक घटनाओं के रूप में नहीं पहचाना जा सकता। यह पैनल इस साल एक रिपोर्ट जारी करेगा। बुधवार को इसकी पहली सार्वजनिक बैठक हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बैठक को टेलीविजन में किया गया प्रसारित
नासा ने आसमान में उड़ती नजर वाली अज्ञात वस्तुओं (यूएफओ) का अध्ययन शुरू करने के एक साल बाद बुधवार को उनपर अपनी पहली सार्वजनिक बैठक की। अंतरिक्ष एजेंसी ने विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र समिति की भागीदारी वाली घंटे भर चली बैठक को टेलीविजन पर प्रसारित किया। टीम में 16 सदस्य और सेवानिवृत्त अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली सहित नासा की ओर से चुने गए अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। केली, पहले अमेरिकी हैं जिन्होंने करीब एक साल अंतरिक्ष में समय बिताया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूएफओ का ब्योरा जुटाने की पहली कोशिश
नासा में असिस्टेंट डिप्टी एसोसिएट एडमिंस्ट्रेटर फॉर रिसर्च डॉ डेनियल एवांस ने कहा कि मुख्य रूप से सबूतों पर आधाारित रुख ने तथ्यों को कल्पना से अलग किया है। आसमान में रहस्यमय रूप से नजर आने वाली इन वस्तुओं (उड़न तश्तरियों) के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने की यह प्रथम कोशिश है। साइमन फाउंडेशन का संचालन करने वाले और समिति के अध्यक्ष, खगोल विज्ञानी डेविड स्पेरगेल के मुताबिक, समूह इस पर गौर कर रहा है कि इस विषय पर क्या गोपनीय सूचना उपलब्ध है और आसमान में जो कुछ हो रहा है उसे समझने के लिए और क्या किए जाने की जरूरत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हर माह इससे संबंधित आती हैं इतनी रिपोर्ट्स
नासा के ऑल-डोमेन एनोमली रेजोल्यूशन ऑफिस के निदेशक सीन किर्कपैट्रिक ने कहा कि हमारे पास हर महीने 50 से 100 नई रिपोर्ट्स आती हैं। 2021 में पेंटागन की एक अलग रिपोर्ट में कहा गया है कि 2004 के बाद से सैन्य पायलटों की ओर से देखी गई 144 घटनाओं में से एक को छोड़कर सभी अस्पष्ट रहीं। अधिकारियों ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है कि इन ऑब्जेक्ट्स का संबंध दूसरे ग्रहों से हो सकता है। बैठक वाशिंगटन स्थित नासा के मुख्यालय में हुई, जिसमें लोगों ने डिजिटल माध्यम से हिस्सा लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

क्या होती हैं उड़न तश्तरी
उड़न तश्तरी आकाश में उड़ती किसी अज्ञात उड़ती वस्तु यूएफओ (UFO)) को कहा जाता है। इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं का आकार किसी डिस्क या तश्तरी के समान होता है या ऐसा दिखाई देता है, जिस कारण इन्हें उड़न तश्तरीयों का नाम मिला। कई चश्मदीद गवाहों के अनुसार इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं के बाहरी आवरण पर तेज़ प्रकाश होता है और ये या तो अकेले घुमते हैं या एक प्रकार से लयबद्ध होकर और इनमें बहुत गतिशीलता होती है। ये उड़न तश्तरीयाँ बहुत छोटे से लेकर बहुत विशाल आकार तक हो सकतीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उड़न तश्तरी का इतिहास
उड़न तश्तरी शब्द 1940 के दशक में निर्मित किया गया था। ये ऐसी वस्तुओं को दर्शाने या बताने के लिए प्रयुक्त किया गया था, जिनके उस दशक में बहुतायत में देखे जानें के मामले प्रकाश में आए। तब से लेकर अब तक इन अज्ञात वस्तुओं के रंग-रूप में बहुत परिवर्तन आया है, लेकिन उड़न तश्तरी शब्द अभी भी प्रयोग में है। जो ऐसी उड़ती वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो दिखनें में किसी तश्तरी जैसी दिखाई देती हैं और जिन्हें धरती की आवश्यकता नहीं होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सरकारों से नहीं है मान्यता प्राप्त
उड़न तश्तरीयों के अस्तित्व को आधिकारिक तौर पर दुनिया भर की अधिकांश सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन कुछ गवाह उड़न तश्तरीयों के देखे जाने का दावा करते हैं। इनके देखे जाने के बहुत से रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैं। ऐसा माना जाता है की इन उड़ती वस्तुओं का संबंध परग्रही दुनिया से है क्योंकि इनके संचालन की असाधारण और प्रभावशाली क्षमता मनुष्यों द्वारा प्रयुक्त किसी भी उपकरण से बिल्कुल मेल नहीं खाती, चाहे वह सैन्य उपकरण हों या नागरिक वह बिल्कुल अलग दिखती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आकार और बनावट
यूएफओ उड़न तश्तरीयों को अन्य यू॰एफ॰ओ समझ लेना एक आम बात है। जैसे इरिडियम नक्षत्र की निचली घुमावदार कक्षाओं में घूमते कृत्रिम उपग्रह और पृथ्वी के चारों ओर तेज़ गती से चक्कर लगाते जीपीएस के उच्च घुमावदार परिसंचारी, जो अपने पैनलों द्वारा सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं जो विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है, लेकिन इस उत्सुकता के पीछे एक छोटा चमकदार बिन्दु है जो शाम से लेकर लगभग रात ८ से ९ बजे तक किसी के द्वारा भी देखा जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देखी जाने की घटनाएँ
31 जुलाई 1931 को न्यू जर्सी, अमेरिका में एक अभिकथित उड़न तश्तरी का छायाचित्र खींचा गया।
मानव इतिहास के प्राचीन काल से ही उड़न तश्तरीयों के देखे जाने के प्रतिवेदन हैं, लेकिन ये पिछले करीब 60 सालों में अधिक प्रकाश में आई हैं। इनके अध्ययन को यूफ़ोलॉजी कहा जाता है। ये वे लोग होते हैं जो इस प्रकार के घटनावृत की खोज करते हैं। अन्य वस्तुएं जिन्हें उड़न तश्तरी समझ लिया जाता है, वे हैं- आपातकालीन झंडे, मौसमी गुब्बारे, उल्काएं, चमकदार बादल इत्यादि। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हुआ था घटित
अमेरिका के पेंसिलवेनिया राज्य में पीट्सबर्ग से ६४ किमी दूर दक्षिण पूर्व में केक्सबर्ग के जंगलों के उपर एक अज्ञात वस्तु बहुत देर तक मंडराती रही। जिसने इसे देखा वो देखता ही रह गया। देखते देखते ये अज्ञात वस्तु आग की लपटों से घिर गई। फिर इसमें एक भयंकर विस्फोट हुआ। आसपास का क्षेत्र हिल उठा। इस घटना के तुरंत बाद इस क्षेत्र को घेर लिया गया। और किसी को भी वहीं जाने नहीं दिया गया। बाद में उड़न तश्तरी की बात सामने आई। हालांकि नासा ने इसे उल्का पिंड का नाम दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रूस में भी दिखने का दावा
रूस के इतिहास में 1989 का साल काफी दिलचस्प रहा है। इस साल यहां कई बार यूएफओ देखे जाने की खबर मिली थी। सबसे पहले 14 अप्रैल के दिन चेरेपोवेस्क के इवान वेसेलोवा ने बहुत बड़ा यूएफओ देखने का दावा किया। फिर 6 जून के दिन कोनेंटसेवो में बहुत से बच्चों ने ऐसा दावा किया। 11 जून के दिन वोलागडा की एक महिला ने 17 मिनट तक उड़न तश्तरी देखने की बात कही। एक और मामले में करीब 500 लोगों ने ऐसा दावा किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये भी है किस्सा
सबसे ज्यादा रोमांचक किस्सा 17 सितंबर 1989 का है। इस दिन वोरोनेज़ के एक पार्क में बच्चे खेल रहे थे। ऐसे में बहुत बड़ा लाल रंग का अंडाकार यान उतरा था। देखते ही देखते वहां बहुत से लोग जमा हो गए। कुछ देर बाद यान में से दो एलियन निकले। एक करीब 12 से 14 फीट लंबा था और उसकी तीन आंखें थीं। दूसरा रोबोट जैसा लग रहा था। बच्चे उसे देखकर चीखने लगे तो उसने एक बच्चे पर लाइट की बीम छोड़ी और बच्च लकवे जैसी स्थिति में पहुंच गया। उस जगह की रिसर्च करने पर वहां मिट्टी में रेडिएशन के निशान मिले। वहां फॉस्फोरस की मात्रा ज्यादा पाई गई। वैज्ञानिकों के अनुसार यूएफओ का वजन कई टन था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यात्री विमान के करीब से दिखने का दावा
1999 में एलिटालिया विमान सेवा के एक यात्री विमान ने उड़न तश्तरी का दर्शन काफी समीप से किया था। बीबीसी के मुताबिक इटली के राष्ट्रीय अभिलेखागार की ओर से जारी रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेजों में इस बात का वर्णन दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे भी फैलती हैं भ्रांतियां
रूस में तिकोने आकार की दूसरे ग्रह से आई एक उड़नतश्तरी के कारण रूसवासी हैरत में पड़ गए थे। डेली मेल के अनुसार, यह उड़नतश्तरी कथित तौर पर नौ दिसम्बर 2009 को दिखाई दी। इसी दिन नार्वे के आसमान में नीले रंग का वृत्ताकार प्रकाश देखा गया था, लेकिन बाद में बताया गया कि यह रूस से प्रक्षेपित एक असफल रॉकेट था।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब (subscribe) कर सकते हैं।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page