मुआवजा वितरण में गड़बड़ी और पीएसीएल की जमीन खुर्दबुर्द करने के खिलाफ सीपीएम का धरना जारी, एडीएम से की भेंट, देखें मांगे
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उत्तराखंड में देहरादून के विकासनगर क्षेत्र में भूमाफियाओं और जिला प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विकासनगर तहसील कार्यालय के समक्ष मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कार्यकर्ताओं का धरना प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। पार्टी की मुख्य मांगों में पीएसीएल प्रकरण का समाधान, प्रस्तावित बल्लूपुर -पांवटा राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच -72 मुआवजा वितरण में अनियमिताओं को दूर करने, भूमाफियाओं द्वारा जनपद के अनेक भागों में खासकर विकासनगर तहसील के अन्तर्गत तहसील प्रशासन की मिलीभगत से ग्राम समाज की भूमि, अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों भूमि तथा जलमग्न श्रेणी की भूमि को खुर्दबुर्द करने की उच्चस्तरीय जांच की मांग शामिल हैं। तहसील कार्यालय के समक्ष सोमवार से धरना आरंभ किया गया था, जो आज मंगलवार को भी जारी रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एडीएम से की मुलाकात
पार्टी ने तय किया है कि जब तक मांगों का सम्माजनक हल नहीं होता और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तब तक आन्दोलन जारी रहेगा। इधर विकासनगर में चल रहे आन्दोलन को लेकर विभिन्न राजनैतिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने देहरादून मुख्यालय में अतिरिक्त जिलाधिकारी (प्रशासन) से मुलाकात की। एडीएम इस सन्दर्भ में जांच कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने एडीएम को अवगत कराया कि तीन माह बाद भी स्थिति जस की तस है। पीड़ित दर – दर भटक रहे हैं और उनमें भारी रोष व्याप्त है। प्रतिनिधिमंडल ने एडीएम से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की। यह भी स्पष्ट किया कि यदि समाधान नहीं निकाला गया जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रतिनिधिमंडल में यूकेडी के वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन, जिलाउपाध्यक्ष सुनील ध्यानी, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी के अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सजवाण, जनता दल (एस) के अध्यक्ष हरजिंदर सिह, सपा के प्रदेश महामंत्री अतुल शर्मा, सीटू से भगवन्त पयाल, एटक से अशोक शर्मा, यूकेडी नगर अध्यक्ष बिजेन्द्र रावत, सामाजिक कार्यकर्ता नेताजी संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभात डंडरियाल, राज्य आन्दोलनकारियों की ओर सुरेश कुमार, विनोद असवाल, पीपुल्स फोरम उत्तराखंड के अध्यक्ष जयकृत कण्डवाल, राज्य आन्दोलकारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार, एसएफआई के राज्य कमेटी सदस्य शैलेंद्र परमार, सीपीएम के सचिव अनन्त आकाश सहित अनेक लोग शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एसडीएम को दिए निर्देश
इस अवसर पर अतिरिक्त जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी विकासनगर को लिखित रूप से आदेशित कर धरने में बैठे लोगों से वार्ता के निर्देश दिये। कहा कि जो मांग उनके स्तर से हल नहीं हो सकती, उन्हें जिलाधिकारी कार्यालय को भेजें। प्रतिनिधिमंडल ने एडीएम को अवगत करवाया जब तक सभी मांगों पर न्यायोचित कार्यवाही नहीं होती तो तब तक आन्दोलन समाप्त नहीं होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धरना स्थल पर आयोजित की गई सभा
उधर विकसनगर तहसील में धरने को सम्बोधित करते हुऐ सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी ने राज्य में भूमाफियाओं के बढ़ते प्रभाव के लिए भाजपा सरकार को सीधेतौर पर जिम्मेदार ठहराया है। कहा कि यदि आ्न्दोलन का समाधान नहीं निकला तो राज्यभर मै आन्दोलन के समर्थन में अभियान छेड़ा जाऐगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने गिनाई समस्याएं
इस अवसर पर आयोजित वक्ताओं ने कहा है कि भ्रष्टाचार एवं भूमि घोटाले अनेक मामले प्रकाश में आये हैं, किन्तु बार बार धरने, प्रदर्शनों एवं शिष्टमंडलों के अधिकारियों से मिलने के बावजूद प्रशासन हाथ में हाथ धरा बैठा है। पार्टी ने हजार – हजार पेज के दस्तावेज सबूतों के रूप में पेश किये हैं, जो एसपी ग्रामीण तथा जिलाधिकारी कार्यालय में घूल फांक रहे हैं। वक्ताओं ने कहा है कि जब तक कार्रवाई नहीं होती, धरने को खत्म नहीं करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएसीएल कंपनी से ठगे गए ग्रामीण
उन्होंने बताया कि पीएसीएल कम्पनी 1983 में बनी थी। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों की जमा राशि का उपयोग जमीनों को खरीदना व बेचना था। साथ ही अविकसित जमीनों को विकसित करना, खेती योग्य बनाना था। इसका लाभ निवेशकों को भी देना था, किन्तु कम्पनी में अनियमिताओं के कारण 2014 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी ) ने कम्पनी के कारोबार एवं सम्पतियों पर रोक लगा दी थी। पीएसीएल कम्पनी का प्रबन्धन न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी अनुपालन नहीं
सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस लोढा की अध्यक्षता में समिति का गठन कम्पनी की करोड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति पर निगरानी तथा इस सम्पत्ति को बेचकर निवेशकों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए किया था। जहाँ जहाँ कम्पनी की चल अचल सम्पत्ति थी वहाँ -वहाँ के जिलाधिकारियों को सम्पत्ति पर रिसीवर बिठाया गया। उत्तराखंड में कम्पनी की संपत्ति देहरादून, उधमसिंहनगर, टिहरी आदि जनपदों में है। अकेले देहरदून में ही कम्पनी पर छोटे बड़े निवेशकों का लगभग 250 करोड़ रूपया बकाया है। देहरादून में ही सर्वोच्च न्यायालय एवं जस्टिस लोढा कमेटी के आदेशों को दरकिनार करते हुऐ उपनिबंधक विकासनगर तहसील एवं तहसील प्रशासन एवं कम्पनी के अधिकारियों तथा भूमाफियाओं मिलीभगत से उक्त भूमि को बेचा गया। जो कि स्वयं में बहुत बड़ा महाघोटाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जिला प्रशासन भी कतरा रहा है जवाब देने में
उन्होंने कहा कि इस मामले में संपत्ति के रिसीवर जिलाधिकारी भी जबाब देने से कतरा रहे हैं। निवेशकों द्वारा जिलाधिकारी महोदय, पुलिस महानिदेशक, मुख्यमंत्री से आवश्यक कार्यवाही के अनुरोध किया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। साथ ही राजमार्ग के नाम पर किसानों की जमीन का समुचित मुआवजा देने की मांग भी की गई। साथ ही ग्राम पंचायतों की जमीन को खुर्द बुर्द करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने आन्दोलन को पूर्ण समर्थन दिया।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।