अडाणी मामले में गृह मंत्री अमित शाह ने तोड़ी चुप्पी, बोले- विपक्ष आगे आए तो संसद में खत्म हो सकता है गतिरोध
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विपक्षी दलों की तरफ से लगातार अडानी हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) बनाए जाने की मांग उठ रही है। इसके पलटवार में अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मामले का संज्ञान लिया है और एक जांच समिति का गठन किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमित शाह ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 में कहा कि हमारी सरकार को इस मामले पर कोई भ्रम नहीं है। हम जो कह रहे हैं वह यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए एक समिति का गठन किया है और लोगों को न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिए। शाह ने कहा कि अगर किसी के पास सबूत है तो उसे सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने पेश करना चाहिए। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अगर कुछ गलत हुआ है तो किसी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विपक्ष बातचीत करेगा तो हल होगा गतिरोध
शाह ने कहा कि अगर विपक्ष बातचीत के लिए आता है तो संसद में मौजूदा गतिरोध को हल किया जा सकता है। अगर विपक्ष “दो कदम आगे” बढ़ता है तो सरकार “दो कदम आगे” बढ़ेगी। शाह ने यह भी कहा कि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राजनीति से ऊपर हैं। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी विदेशी जमीन पर घरेलू राजनीति पर चर्चा करने से इनकार कर दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हम किससे बात करें
अमित शाह ने कहा कि दोनों पक्ष लोकसभा अध्यक्ष के साथ बैठें। उन्हें दो कदम आगे आना चाहिए और हम उससे भी दो कदम आगे बढ़ाएंगे। तब संसद चलेगी, लेकिन आप केवल संवाददाता सम्मेलन कीजिए और कुछ न कीजिए, ऐसा नहीं चलता। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि संसद केवल सत्ता पक्ष या केवल विपक्ष से नहीं चलती। दोनों को एक-दूसरे से बात करनी ही होती है। उन्होंने कहा कि हमारी पहल के बावजूद विपक्ष की ओर से बातचीत का प्रस्ताव नहीं आया। हम किससे बात करें? वे मीडिया से बातचीत कर रहे हैं। वे नारेबाजी कर रहे हैं कि संसद में बोलने की आजादी होनी चाहिए। संसद में बोलने की पूरी आजादी है। आपको बात करने से कोई नहीं रोक रहा। शाह ने हालांकि कहा कि सभी को नियमों का पालन करना चाहिए और उन्मुक्त नहीं होना चाहिए तथा प्रत्येक को नियमावली पढ़नी चाहिए और उन्हें समझना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंदिरा गांधी का दिया उदाहरण
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि संसद में बहस नियमों के तहत होती है। आप सड़क चलते व्यक्ति की तरह संसद में नहीं बोल सकते। अगर उनको इन मूल बातों की जानकारी नहीं है तो हम क्या करें। शाह ने दो घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी आपातकाल के बाद इंग्लैंड गईं थीं और उस वक्त शाह आयोग का गठन हुआ था। इंदिरा गांधी को जेल में भेजने के प्रयास चल रहे थे। उस समय कुछ पत्रकारों ने (इंग्लैंड में) इंदिरा से सवाल किया कि उनका देश कैसा चल रहा है। इस पर उन्होंने कहा था कि हमारे बीच कुछ समस्याएं हैं, लेकिन मैं उनपर यहां कुछ नहीं कहना चाहती। मेरा देश ठीक चल रहा है। मैं कुछ भी अपने देश के बारे में नहीं कहूंगी। यहां मैं एक भारतीय हूं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।