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March 23, 2023

नई पेयजल योजना बनी शोपीस, खुले में बिछाए पाइप, बैंड में नहीं लगाई एल्बो, 10 लाख खर्च, अंतिम छोर तक पानी नहीं

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जल जीवन मिशन के तहत केंद्र से लेकर राज्य सरकारें हर घर में नल और जल के दावे कर रही है, वहीं सरकारों के इन दावों पर निर्माण ऐजेंसियां पलीता लगाने में लगी हैं। हर घर को पानी देने के लिए या तो पुरानी योजनाओं पर ही लीपापोती की जा रही है, या फिर नई योजना बनाकर चलताऊ काम किया जा रहा है। ऐसा ही एक उदाहरण उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में द्वारीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामसभा खजरी सनैत गांव की योजना में देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक, गांव के लिए नई योजना पर दस लाख से ज्यादा की राशि जल निगम ने खर्च कर दी, लेकिन अंतिम छोर तक पानी की एक बूंद तक नहीं टपक रही है। साथ ही पाइपों को जमीन के भीतर बिछाने की बाजय खुले में ही छोड़ दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्रामीणों के मुताबिक, खजरी सनैत गांव में पानी की आपूर्ति के लिए पुरानी योजना वर्ष 1983- 84 में जलसंस्थान कोटद्वार के अन्तर्गत संचालित थी। इससे पेयजल आपूर्ति बिरमोली खाल तथा सनैत को की जा रही थी। इस योजना से पानी कम पड़ा और सनैत गांव में पानी की समस्या पैदा हो गई। इस पर जल निगम कोटद्वार ने करीब दस लाख की लागत से सनैत गांव के लिए नई योजना बनाई। साथ ही बिरमोली खाल को भैरवी गढ़ी पेयजल योजना से जोड़ा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

ग्रामीणों के मुताबिक, पहली पुरानी योजना में दो गाँव जुड़े थे, लेकिन नई योजना में सनैत के साथ बिरमोली को भी जोड़ दिया गया। इसी क्षेत्र के लिए पुरानी योजना और नई योजना से आपूर्ति की जा रही है। वहीं, सनैत तक पानी अब भी नहीं पहुंच रहा है। इन दोंनों गांवों में लगभग 250 की आबादी है। ग्रामीणों ने बताया कि नई योजना के नाम पर सिर्फ लीपापोती की गई है। इस योजना में स्रोत को टैंक की ओर न बनाकर टैंक से ही दूसरी नई पाईपलाईन डाली गयी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये पाइप लाइन भी कई स्थानों मे भूमिगत नहीं है। अनेक स्थानों मे लीकेज के कारण पेयजल का भारी दुरूपयोग हो रहा है। लीकेज रोकने के लिए कई जगह पाइप पर पॉलीथीन बांधी गई है। बैंड पर पाइप को ही मोड़ दिया गया है, जबकि ऐसी स्थिति में एल्बो का इस्तेमाल लिया जाता है। ऐसे में तकनीकी दृष्टि से पेयजल आपूर्ति बाधित हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इसी योजना के ही टैंक से दूसरे गांव को पेयजल आपूर्ति दी गई है। वहीं, होना ये चाहिए था कि नए टैंक का निर्माण होता तो पर्याप्त पानी दोनों गांवों को मिल जाना था। जगह-जगह लगे स्टैंड पोस्ट भी लटके हुए हैं। ऐसे में आधा पानी रास्ते में ही गिरकर बह रहा है। गांवों के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचने से ग्रामीणों में रोष बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने उत्तराखंड जल निगम के प्रबन्ध निदेशक को भी इस संबंध में शिकायती पत्र लिखा है।

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