कैग की रिपोर्ट पेश, उत्तराखंड में कई विभागों की चूक आई सामने, ठेकेदारों से 1386 करोड़ की वसूली लटकी
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उत्तराखंड में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चल रहे बजट सत्र में सरकार ने बुधवार को नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक की रिपोर्ट पेश की। इसमें 31 मार्च 2020 एवं 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष की लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में कई विभागों की अनियमितता का उल्लेख किया गया है। 210 पेज की रिपोर्ट में खनन ठेकेदारों पर जुर्माना न लगाकर करोड़ों के राजस्व की हानि हुई। संस्कृति विभाग,वनाग्नि, वृद्धावस्था पेंशन, हेली कम्पनियों, टीडीएस, अर्थदंड वसूलने में विफलता का प्रमुखता से जिक्र किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार वर्ष बीते दो वित्तीय वर्षों में ठेकेदारों और अलग-अलग एजेंसियों से 1386 करोड़ की वसूली नहीं कर पाई। इसमें कई मामले गलत भुगतान के होने के बावजूद वसूली की स्थिति बेहद खराब रही। इससे सरकार को सीधा आर्थिक नुकसान हुआ। वसूली की रकम से महज 4.44 करोड़ रुपये यानी 0.32 फीसदी राशि खजाने में पहुंच सकी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। कैग ने राज्य के 55 विभागों, 32 सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम और 53 अन्य संस्थाओं की राजस्व वसूली के साथ ही भुगतान की पड़ताल की तो पाया कि विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों को गलत भुगतान हुए। शुल्क के रूप में जो राशि विभाग को मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग इस दौरान सिर्फ साढ़े चार करोड़ की वसूली हो पाई। जबकि शेष 1386 करोड़ की वसूली अभी तक लटकी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बता दें वर्ष 2019-20 के दौरान 770 प्रकरणों में 982.07 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पाई, सिर्फ 83 प्रकरणों में कुल 2.57 करोड़ रुपये वसूले जा सके थे। इसी तरह 2020-21 में 531 प्रकरणों में 404.64 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई। इस वर्ष 109 प्रकरणों में 1.87 करोड़ रुपये ही वसूल किए जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकारी एजेंसियों ने ही कराया अवैध खनन
कैग ने राज्य में खनन के दौरान राजस्व चोरी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कैग ने देहरादून जिले में ही तीन स्थानों पर अवैध खनन के साक्ष्य पाए। देहरादून में सरकार की निर्माण एजेंसियों ने 37.17 लाख मीट्रिक टन अवैध खनन का उपयोग किया। कैग ने कहा कि खनन विभाग, जिला कलेक्टर, पुलिस विभाग, वन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम जैसी संस्थाएं अवैध खनन को रोकने और उसका पता लगाने में विफल रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पांच गुना जुर्माना नहीं लगाया, 104 करोड़ का नुकसान
खनन विभाग में देहरादून में निर्माण एजेंसियों ने 2017-18 से 2020-21 के दौरान 26.02 करोड़ रुपये की रॉयल्टी जमा की। बिना निर्माण कार्य में उप-खनिजों का उपयोग किया गया था। खनन नियमावली के अनुसार, रॉयल्टी का पांच गुना जुर्माना वसूला जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे 104.08 करोड़ का नुकसान हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अवैध खनन पर अर्थदंड न वसूलने से 1.24 करोड़ की क्षति
2018 में बागेश्वर में ठेकेदार ने 4,536 घन मीटर क्षेत्र में अवैध खनन किया। इसके लिए उसने दो लाख रुपये अर्थदंड जमा किया। विभाग को रॉयल्टी के पांच गुना 44.11 लाख रुपये की राशि का नुकसान हुआ। कैग ने कहा कि राज्य में उप खनिजों के अतिरिक्त भंडारण पर अर्थदंड नही लगाया गया, जिससे 2.72 करोड़ का नुकसान हुआ। वस्तु एवं सेवा कर के तहत व्यापारी चार डुप्लीकेट प्रपत्र सी की बिक्री पर 22 लाख का नुकसान हुआ। राज्य कर विभाग में व्यापारियों से मान्यता प्रमाणपत्र न लिए जाने से 3.52 करोड़ का नुकसान हुआ।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।