वरिष्ठ पत्रकार दिनेश कुकरेती की ग़ज़ल-मिलकर दिन को रात करें
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बैठ, आ मन की बात करें।
वो धर्म से धर्म को जोडे़ं गर,
हम धर्म के आगे जा़त करें।
जो रोजी-रोटी की बात करे
उस पर छिपकर आघात करें।
सच कहने की हिम्मत जिसमें,
चल उससे दो-दो हाथ करें।
नफरत की बेल कहां पहुंची,
इसकी हम मा’लूमात करें।
वो सुने न अपनी बात अगर,
लालच देकर उसे साथ करें।
कवि का परिचय
दिनेश कुकरेती उत्तराखंड में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वह प्रिंट मीडिया दैनिक जागरण से जुड़े हैं। वर्तमान में देहरादून में निवासरत हैं। साथ ही उत्तरांचल प्रेस क्लब में पदाधिकारी भी हैं।