भ्रष्टाचार के मामले में आइएएस अधिकारी डॉ. राम विलास यादव निलंबित, सीएम धामी के निर्देश पर हुई कार्रवाई
1 min readआय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस जांच में सहयोग न करने पर उत्तराखंड में आइएएस अधिकारी डॉ. राम विलास यादव को निलंबित कर दिया गया है। समाज कल्याण और कृषि विभाग में अपर सचिव पद पर तैनात यादव के खिलाफ यह कार्रवाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर की गई है। यादव आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
निलंबन आदेश में आरोपों को बताया गंभीर
उत्तराखंड सरकार के कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि यादव के विरूद्ध यहां सतर्कता विभाग द्वारा दर्ज आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच में उनके अपेक्षित सहयोग न करने तथा अखिल भारतीय सेवाओं की आचरण नियमावली के संगत प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए अनुशासनिक कार्यवाही प्रस्तावित है। आदेश में कहा गया है कि यादव पर लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि उनके स्थापित हो जाने की दशा में उन्हें बड़ा दंड दिया जा सकता है। संयुक्त सचिव कार्मिक एवं सतर्कता श्याम सिंह चौहान ने डॉ. यादव के निलंबन आदेश जारी किए। उन्हें कार्मिक एवं सतर्कता कार्यालय में संबद्ध (अटैच) कर दिया गया। निलंबन अवधि के दौरान यादव जीवन निर्वाह भत्ता अन्य मान्य भत्ते दिए जाएंगे। भत्तों का भुगतान उसी दशा में होगा जब वह यह प्रमाण पत्र देंगे कि निलंबन काल में वह किसी अन्य सेवा, व्यापार या व्यवसाय में नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर राज्यपाल ने शासन को डॉ. यादव के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की मंजूरी दे दी है।
भ्रष्टाचार को लेकर सीएम का कड़ा संदेश
आईएएस अधिकारी राम विलास यादव पर निलंबन की कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम पुष्कर सिंह धामी का कड़ा संदेश माना जा रहा है। मुख्यमंत्री के कड़े निर्देश के बाद शासन ने निलंबन आदेश जारी किया। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।
कई ठिकानों में की गई थी छापेमारी
यादव पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव रह चुके हैं । लखनऊ के ही एक व्यक्ति ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके आधार पर उत्तराखंड के सतर्कता विभाग ने जांच शुरू की। सतर्कता विभाग की टीम ने उनके देहरादून, लखनऊ, गाजीपुर समेत कई ठिकानों पर छापा मारे थे। जहां उनके पास कथित रूप से आय से 500 गुना अधिक संपत्ति होने का पता चला। इस आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए यादव ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हांलांकि, न्यायालय ने उन्हें इससे कोई राहत न देते हुए उन्हें सतर्कता के समक्ष बयान दर्ज कराने का आदेश दिया।