शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता- योग दिवस
1 min readयोग दिवस
आओ आओ योग करें नित
योग ही संयोग सा नियमित
तन मन सब नीरोग करें हम
आओ आओ योग करें हम
ऋृषि मुनियों को योग ही भाया
बर्ष हजारों ध्यान लगाया
सूरज और चाँद की दूरी का
ध्यान से ही हिसाब बताया
जनजीवन भी सफल बनाएं
तन मन स्वस्थ रहे जिससे
नित अपनी काया को हरषाएँ
आओ आओ योग करें हम
तन मन सब नीरोग करें हम
बड़े बड़े रोग का भी तो
निदान योग से होता है
योग नहीं जो नित करता
वो स्वास्थ्य स्वयं का खोता है
कपालभाति अनुलोम विलोम
भस्त्रिका नित जो अपनाते हैं
ब्लडप्रेशर शूगर आदि भी फिर
निकट न उनके कभी आते हैं
आओ आओ हम योग करे नित
योग ही है संयोग सा नियमित
अजन्ता एलौरा की गुफाओं में
ध्यान योग की मूर्तियां सजीव हैं
भारत योग गुरु है जग में
योग से स्वस्थ भारत का
निर्माण करें नित नित हम
विश्व को दें संदेश ये प्यारा
योग दिवस है आज सुनो
आओ आओ योग करें नित
योग सदा संयोग सा नियमित
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून, उत्तराखंड।