पद्मश्री डॉ. बीकेएस संजय ने उपराष्ट्रपति को भेंट किया अपना प्रथम काव्य संग्रह
1 min readउत्तराखंड में जाने माने चिकित्सक एवं पद्मश्री डॉ. संजय ने अपने प्रथम काव्य संग्रह ‘उपहार संदेश का’ की प्रथम प्रति भारत के उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू को भेंट की। यह काव्य संकलन भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से प्रकाशित किया गया है। इसकी भाषा की सरलता पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और वास्तविकता के बीच प्रकृति, प्रेम, संबंध, विज्ञान और मातृत्व से हमारा परिचय कराती है।
डॉ. संजय की ओर से कविता के रूप में उपहार संदेश का जो संकलन प्रकाशित हुआ, इसमें सभी कविताओं के पीछे एक कहानी है। साथ ही एक संदेश है। इनकी कविताऐं जैसे कि फैलाव, भूख, पुस्तकें, मौन भी एक भाषा है, नाता, पूर्णता एवं संवाद कविताऐं न केवल कवि के विचारधारा को दर्शाती है, बल्कि समाज के प्रति उसका चिन्तन भी दर्शाती है। लगता है कि कवि के मन में समाज में बदलाव लाने की अत्यंत तीव्र इच्छा है। कवि का मानना है समाज में बदलाव लाने के लिए विचारों में बदलाव, आपसी सहयोग एवं संवाद ही किसी भी बदलाव के मूलमंत्र हैं।
अपने कार्यक्रम के दौरान डॉ. संजय ने उपराष्ट्रपति को अपने काव्य संकलन की एक कविता ‘सपने हमारे और आपके’ पढ़ी। इसकी उपराष्ट्रपति ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। साथ ही डॉ. संजय के प्रथम काव्य संकलन के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाऐं दी। इस कार्यक्रम में डॉ. संजय के अलावा वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह शशि, भारतीय ज्ञानपीठ के प्रबंध न्यासी अखिलेश जैन, शिक्षाविद् एवं साहित्यकार नरेन्द्र सिंह नीहार, ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय मौजूद रहे।
पद्मश्री डॉ. बीकेएस संजय एक विश्व के प्रतिष्ठित ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन हैं। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, लिम्का, इंडिया, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उल्लेखित किया जा चुका है। वह चिकित्सीय कार्य एवं समाज सेवा कार्यों के लिए जाने जाते हैं। इनके इन्हीं उत्कृष्ट कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार की ओर से 2021 में डॉ. संजय को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से अलंकृत किया जा चुका है।
डॉ. संजय सर्जन एवं समाज सेवक के साथ ही लेखक, वक्ता एवं कॉलमनिस्ट हैं। डॉ. संजय का कविता के बारे में रूचि और काव्य संग्रह का संकलन एक सर्जन के लिए अनोखा काम है। डॉ. संजय अपने हाथों से सर्जरी के क्षेत्र में ही सर्जन का काम ही नहीं करते, बल्कि वह शब्दों का भी अच्छे ढ़ंग से सृजन करते हैं जिसको उनके काव्य संग्रह में अच्छे ढ़ंग से दर्शाया गया है।