युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-युद्ध ये ख़ौफ़नाक मंजर
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युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-युद्ध ये ख़ौफ़नाक मंजर।
ये ख़ौफ़नाक मंजर (युद्ध)
एक मोड़ पर थम ही जाएगा।
फिर नेता हाथ मिलाएंगे और समझौते होंगे।
मगर……
जीवन भर का इंतजार आएगा
एक बूढ़ी माँ के हिस्से अपने शहीद बेटे का।
प्रतीक्षा में रहेगी एक पत्नी सदैव अपने पति की।
तरसेंगी कई आंखे कई बच्चों की
देखने के लिए अपने पिता को।
उजड़ा बसेरा समेट नही पाएंगी
फिर कई पुश्ते भी
जिनका पुश्तेनी सब बिखर गया।
इन सब मे किसकी है खता ?
मुझे नही पता कि उनकी मातृभूमि किसने बेची…
लेकिन ये जानती हूँ कि इसकी कीमत किसने चुकाई…..
और कौन चुका रहा है।
और कौन चुकाता रहेगा……
जीवनपर्यन्त।
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।