शिक्षिका दीपा शर्मा की कविताः मर्दों से इतनी अपेक्षाएं क्यों
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शिक्षिका दीपा शर्मा की कविताः मर्दों से इतनी अपेक्षाएं क्यों।
अपेक्षांए
मर्दों से इतनी अपेक्षाएं क्यों
क्या उनके दिल में होते अरमान नहीं
क्यों पहरे हैं इनके आँसुओं पे
क्या उन्हें होता दर्द का अहसास नहीं
डरता है दिल इनका भी
है होती घबराहट इन्हें भी
हो चाहे जितनी भी उमर
चाहें प्यार दुलार ये भी
कोई नोट छापने की मशीन नहीं
इनकी भी अपनी सीमाएं हैं
हो चाहे जितनी भी मुश्किल घड़ी
बस चाहें अपनों का साथ ये
जो समझे इनकी भावनाओं को
उसपे लुटाते अपना दिल और जहांन ये
कवयित्री का परिचय
नाम – दीपा शर्मा
पेशा – शिक्षिका
निवास -दिल्ली नजफगढ़
Waah kya bat hai.