गीतकार ललित मोहन गहतोड़ी की कुमाऊंनी में होली रचना, पढ़िए और आनंद लीजिए
1 min readबल…बूबू धादधधयाय…
आमा भात पकायो छ….बल
अच्हारे आमा भात पकायो छ।।टेक।।
बूबू धाद धधयाय…
आमा भात पकायो छ।।टेक।।
बल बूबू घाद धधयाय…
आ लौ खाली खाली भात पाकि गौ…
बासमति को भात बनो है।।1।।
सोटी भटिया दाल बनायो छ…
बल बूबू धाध धधयाय…
आ लौ खाली खाली भात पाकि गौ…
धनिया, खुरशानी, हल्दी, जीरा।।2।।
सिलबट्टा में पिसवायो छ…
बल बूबू धाध धधयाय…
आ लौ खाली खाली भात पाकि गौ…
धुनू गदरयानि को तड़का लगायो।।3।।
डाडूं में छाई करायो छ…
बल बूबू धाध धधयाय…
आ लौ खाली खाली भात पाकि गौ…
आ खाईले आ खाईले लड़को।।4।।
झोली टपक्या संग बनायो छ…
बल बूबू धाध धधयाय…
आ लौ खाली खाली भात पाकि गौ…
काका, काकी, ठुलतिना, नानतिना।।5।।
सबकै संगे बैठायो छ…
बल बूबू धाध धधयाय…
आ लौ खाली खाली भात पाकि गौ…
कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।