पढ़िए कवयित्री सुनीता रतूड़ी की गढ़वाली कविता-इगास बग्वाल
1 min readइगास बग्वाल
उत्तराखंड का रीति -रिवाज,
कख हरची होला आज।
दाना सयाणू की रखी पछयांण,
कख हरची होली इगास बग्वाल।
चौक, तिवरी, डिन्डयाली, उरख्याली,
सब्बी घसेंदी छै लाल माटै न,
छोट्टा-बड़ा सब्बी रंगमता होंदा छा,
जब औंदी छै इगास बग्वाल।
छोट्टा-बड़ा सब्बी मिलिकै,
छिल्लों तो कट्टठा करिकै ,
तब बणोंदा छा भैला,
जब औंदी छै इगास ग्वाल।
सबेर सब्जी घर-घरों मा,
बणदी छै स्वाली, पकौड़ी।
ब्यखंदी दा सब्बी कट्टठा ह्वैकी,
खेलदा छा भैला,
जब औंदी छै इगास बग्वाल।
कवयित्री का परिचय
सुनीता रतूड़ी
प्रधानाध्यापक
राजकीय प्राथमिक विद्यालय सौडू
विकासखंड देवप्रयाग, टिहरी गढ़वाल